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Noida Wall Collapse: दो घंटे पहले पहुंची थी मृतक बच्चों की मां शबनम, निसार अपनी ससुराल जाने को थी तैयार

हादसे में घायल चार बच्चे अब खतरे से बाहर है। हालांकि अभी भी उनका उपचार अस्पताल में चल रहा है लेकिन पांच वर्षीय बच्चे हुसैन की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। वह अभी भी वेंटिलेटर पर है। जबकि 11 वर्षीय वासिल के सिर में गंभीर चोट आई है। बच्चे का जबड़ा भी टूट गया है। वासिल भी निसार का बड़ा बेटा है।

By Ajab Singh Edited By: Abhishek Tiwari Published: Sun, 30 Jun 2024 09:59 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2024 09:59 AM (IST)
खोदना गांव में क्षतिग्रस्त मकान। (फोटो- जागरण)

अजब सिंह भाटी, ग्रेटर नोएडा। सूरजपुर कोतवाली क्षेत्र के खोदना कलां (बड़ा खोदना) गांव में निर्माणाधीन मकान की भर भराकर दीवार व छत गिरने से हुई तीन बच्चों की मौत व पांच बच्चों के गंभीर रूप से घायल होने के बाद गांव में सन्नाटा पसरा है।

आसपास के गांवों में भी दर्दनाक हादसा लोगों के बीच चर्चा का विषय बना है। हादसे में मरने वाले दो बच्चे चार वर्षीय अहद व दो वर्षीय अलफिजा उर्फ अलफिदा के साथ उनकी मां शबनम अपनी ससुराल मुस्तफाबाद दिल्ली से अपने मायके महज दो घंटे पहले ही पहुंची थी। जबकि मृतक आठ वर्षीय आदिल की मां निसार अपने एक सप्ताह पहले ही मायके आई थी और शुक्रवार को अपनी ससुराल लाैटने वाली थी।

पीड़िता के चचेरे भाई आबिद ने बताया कि निसार ने अपनी ससुराल वापस जाने के लिए अपने पति शेरखान के पास फोन भी कर दिया था। पति रास्ते में था कि तभी चचेरी बहन शबनम के मायके आने की सूचना मिली। निसार भी शबनम से मिलने के लिए रुक गई। महज दो घंटे ही हुए होंगे कि मकान भरभराकर गिर गया। और अहद, अलफिजा व आदिल समेत आठ बच्चे दब गए।

गमगीन माहौल में तीनों बच्चों को किया सुपुर्द ए खाक

बच्चों को बाहर निकालकर ग्रामीणों ने दादरी के नवीन अस्पताल भर्ती कराया था। जहां तीनों बच्चों के दम तोड़ने की सूचना पाकर ससुराल पक्ष के लोग भी पहुंच गए। शनिवार को पीड़ित स्वजन ने तीनों बच्चों को सुपुर्द ए खाक (अंतिम संस्कार) कर दिया।

चार इंच की चौड़ी दीवार पर खड़ा किया जा रहा था दो मंजिला मकान

मकान के निर्माण कार्य में लापरवाही बरती गई। महज चार इंच की चौड़ी दीवार पर दो मंजिला मकान बनाया जा रहा था। दीवारी में पिलर भी नहीं डाले गए थे।

ग्रामीणों की माने तो मृतक बच्चों की मां शबनम के पिता सागिर अपने मकान का निर्माण करा रहे थे। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। कम बजट में मकान तैयार हो जाए, परिवार के लोग मजदूरी करते थे। लेंटर की जगह छत पर गार्डर पत्थर से पाटा हुआ था।

निर्माणाधीन सीढ़ियों को तोड़ने से हुआ हादसा

ग्रामीणों की माने तो मकान लगभग तैयार हो चुका था। प्लास्टर का काम चल रहा था। ऊपर बनाए गए कमरों के लिए सीढ़ियां भी बना दी गई थी, लेकिन सीढ़ियों को लेकर सागिर को कुछ संशय हुआ। उन्होंने सीढ़ियों को तोड़कर दोबारा सीढ़ियां बनाना मुनासिब समझा।

ग्रामीणों ने बताया कि सीढ़ी के लेंटर को कंक्रीट तोड़ने के हैमर (लेंटर तोड़ने की मशीन) व हथौड़े की मदद से तोड़ा जा रहा था। ग्रामीणों का दावा है कि सीढ़ियों को तोड़ने के दौरान दरार आ गई होंगी और मकान भरभराकर गिर गया।


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