Noida News: नवजात की उखड़ती सांसों पर भारी PGI की फीस, बिना ऑक्सीजन के ही कर दिया रेफर; मौत
इरफान खान ने बताया कि गर्भवती पत्नी रुखसाना को शुक्रवार सुबह 10 बजे बादलपुर सीएचसी में बच्ची हुई। बच्ची को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। वह रो नहीं पा रही थी। डॉक्टरों ने लंग्स में संक्रमण बताते हुए वेंटिलेटर की जरूरत को देखते हुए जिम्स के लिए रेफर किया लेकिन वहां पर बेड की कमी बताकर चाइल्ड पीजीआई के लिए रेफर कर दिया गया।
जागरण संवाददाता, नोएडा। छपरौला के रहने वाले ऑटो चालक इरफान खान शुक्रवार सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में एक दिन के नवजात को लेकर पहुंचे थे, लेकिन अस्पताल की फीस में 13 हजार रुपये कम पड़ने पर नवजात को भर्ती नहीं किया गया। काफी जद्दोजहद के बाद भी जब अस्पताल प्रबंधन नहीं माना तो नवजात के बिगड़ती हालात को देख निराश इरफान ने अस्पातल से एंबुलेंस मांगी तो वह भी नहीं दी गई। परेशान इरफान लंग्स इंफेक्शन से जूझ रहे नवजात को बिना ऑक्सीजन ऑटो में वापस सीएचसी बादलपुर ले गए। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित कर दिया।
इरफान खान ने बताया कि गर्भवती पत्नी रुखसाना को शुक्रवार सुबह 10 बजे बादलपुर सीएचसी में बच्ची हुई। बच्ची को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी। वह रो नहीं पा रही थी। डॉक्टरों ने लंग्स में संक्रमण बताते हुए वेंटिलेटर की जरूरत को देखते हुए जिम्स के लिए रेफर किया, लेकिन वहां पर बेड की कमी बताकर चाइल्ड पीजीआई के लिए रेफर कर दिया गया। दोपहर सवा एक बजे वह चाइल्ड पीजीआई पहुंचे। यहां उपचार का खर्च 20 हजार रुपये बताया गया, लेकिन उसके पास सात हजार रुपये ही थे। उन्होंने डॉक्टरों से काफी मिन्नतें की लेकिन एक नहीं सुनी गई।
न्यूनतम शुल्क देने पर ही इलाज का प्रावधान: अस्पताल प्रबंधन
जब आधे घंटे तक भी अस्पताल प्रबंधन नहीं पसीजा तो उन्होंने दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी, लेकिन अस्पताल ने उसके लिए भी मना कर दिया। बच्ची की हालात लगातार बिगड़ती देख वह बिना ऑक्सीजन के ही ऑटो में नवजात को लेकर वापस बादलपुर सीएचसी निकल गए। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने नवजात को मृत घोषित कर दिया। वहीं, मामले को लेकर चाइल्ड पीजीआई प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में उपचार के लिए न्यूनतम शुल्क तय है। इसके बिना उनके यहां उपचार का कोई प्रावधान नहीं है।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।