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साइबर चोरों ने नोएडा की बैंक से कैसे 16 करोड़ किए गायब, पुलिस को मिली अहम जानकारी

Noida Police दिल्ली के तिलकनगर स्थित एक बैंक से साथ लाख रुपये कैश निकाला गया। बैंक में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर पकड़ में आरोपी पकड़ में आएंगे। साइबर अपराधियों ने आरटीजीएस के माध्यम से देश के अलग-अलग स्थान पर 84 बार में 160183261.11 रुपये ट्रांसफर किए। यह धनराशि कुल 89 बैंक खातों में ट्रांसफर की गई।

By Gaurav Sharma Edited By: Geetarjun Updated: Tue, 16 Jul 2024 12:34 AM (IST)
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बैंक के 16 करोड़ ठगने वालों की पुलिस को मिली अहम जानकारी।
जागरण संवाददाता, नोएडा। सेक्टर-62 स्थित नैनीताल बैंक को 16.1 करोड़ का चूना लगाने वाले साइबर अपराधियों के बारे में पुलिस को अहम जानकारी हाथ लगी है। मामले की जांच कर रही विशेष टीम को पता चला है कि आरोपियों ने सात लाख रुपये दिल्ली के तिलकनगर स्थित एक बैंक से नकद निकासी की थी। उसमें लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज पुलिस ने प्राप्त कर ली है। जल्द ही साइबर अपराध थाना पुलिस घटना का पर्दाफाश कर सकती है।

साइबर सेल के एसीपी विवेक रंजन राय ने बताया कि साइबर अपराधियों ने आरटीजीएस के माध्यम से देश के अलग-अलग स्थान पर 84 बार में 16,01,83,261.11 रुपये ट्रांसफर किए। यह धनराशि कुल 89 बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। इनमें पांच खाते ऐसे हैं, जिनमें धनराशि अन्य खातों से ट्रांसफर की गई।

हैकरों ने बैंक के सर्वर में की घुसपैठ

दर्ज एफआइआर के अनुसार, हैकरों ने बैंक के सर्वर में घुसपैठ कर आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट) सिस्टम को हैक कर लिया और धनराशि ट्रांसफर कर ली। बैंक के कुल 16,71,33,221.11 रुपये इन बैंक खातों में ट्रांसफर हुए थे। मामला सामने आने पर इनमें से 69,49,960 रुपये बैंक खातों में फ्रीज कराने के बाद निकाल लिए थे।

भारत सरकार की एजेंसी से ली जा रही मदद

एसीपी ने बताया कि विशेष जांच टीम में एक निरीक्षक, दो उपनिरीक्षक और दो तेज तर्रार कांस्टेबल नियुक्त किए हैं। इसके अलावा तकनीकी जांच बैंक और भारत सरकार की एजेंसी कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम (CERT) इन से भी मदद ली जा रही है। उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में साइबर अपराधियों के अलावा बैंक के वर्तमान और पूर्व कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं।

सीसीटीवी फुटेस से पहली कड़ी जोड़ी जा रही

फिलहाल बैंक की सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहली कड़ी तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में जहां से यह धनराशि निकाली गई है, वहां के बैंकों के फुटेज भी मंगवाए जा रहे हैं। संभावना है कि जल्द आरोपित गिरफ्त में होंगे। वहीं पुलिस को यह भी संदेह है कि इस मामले में हरियाणा और राजस्थान के साइबर ठग भी शामिल हो सकते हैं।

क्या था मामला

बैंक के आईटी मैनेजर सुमित कुमार श्रीवास्तव ने इस संबंध में एफआइआर दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि उनके बैंक में विगत 17 जून को आरबीआई सेटलमेंट आरटीजीएस खाते के नियमित समाधान के दौरान बैलेंस शीट में तीन करोड़, 60 लाख, 94 हजार, 20 रुपये का अंतर मिला। इसके बाद आरटीजीएस टीम ने एसएफएमएस (स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम) सर्वर के साथ सीबीएस (कोर बैंकिंग सिस्टम) में लेन-देन की जांच की।

जांच में पाया कि सीबीएस और एसएफएमएस में कुछ खामिया हैं, जिसके बाद टीम ने इसके ठीक कराया। लेकिन, अगले दिन 18 जून को भी आरबीआई बैलेंसशीट मेल नहीं खा रहा थी और दो करोड़, 19 लाख, 23 हजार 50 रुपये का अंतर था, जबकि एसएफएमएस में निपटान रिपोर्ट बैंकों के सीबीएस के साथ मेल खा रही थी।

20 जून को यह पाया गया कि आरबीआई प्रणाली में 16 करोड़ से अधिक की धनराशि सीबीएस के साथ-साथ एसएफएमएस में नहीं दिख रही थी। इस दौरान पता चला कि बैंक से 84 बार लेन-देन धोखाधड़ी के जरिये हुए हैं।

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