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Noida: श्रद्धा मर्डर के बीच सामने आई नोएडा के शख्स की दास्तान, पत्नी की मौत के झूठे आरोप में 9 साल बाद बरी

नौ साल पहले पत्नी को आत्मदाह के लिए उकसाने के आरोपित रोहित को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सोमवार को रोहित को अपनी पत्नी के आत्मदाह के आरोप से बरी कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने माना कि उनकी पत्नी की मौत आग लगने के कारण हुई थी।

By Jagran NewsEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Thu, 24 Nov 2022 04:21 PM (IST)
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पत्नी को आत्मदाह के लिए उकसाने के आरोप में बरी हुआ पती। (सांकेतिक तस्वीर)

नोएडा, ऑनलाइन डेस्क। श्रद्धा मर्डर केस में जहां एक तरफ दिल्ली पुलिस की जांच चल रही है वहीं, राष्ट्रीय राजधानी से सटे नोएडा में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां पत्नी के आत्मदाह के झूठे आरोपों के चलते पति को 9 साल तक अपराधबोध का दर्द झेलना पड़ा है, और अब कोर्ट ने उसे बरी किया है। 

नौ साल पहले पत्नी को आत्मदाह के लिए उकसाने के आरोपित रोहित पाठक को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सोमवार को जिला एवं सत्र न्यायालय ने रोहित को अपनी पत्नी अमृता पाठक के आत्मदाह के आरोप से बरी कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए माना कि उनकी पत्नी की मौत आग लगने की घटना के कारण हुई है। इसके अलावा रोहित पर दहेज प्रताड़ना के भी आरोप लगे थे, जिन्हें भी कोर्ट ने खारिज कर दिए है। 

क्या था पूरा मामला

2013 में पाठक दंपति के घर में आग लग गई जिसमें पत्नी अमृता बुरी तरह से जल गई थी। इसके बाद अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इसके बाद अमृता के भाइयों ने नोएडा के सेक्टर 58 पुलिस स्टेशन में रोहित के खिलाफ मामला दर्ज कराया जिसमें उन पर अमृता को आत्मदाह के लिए उकसाने के साथ-साथ दहेज में 3 लाख रुपये और कुछ गहने की मांग के आरोप लगाए। इसे लेकर पुलिस ने IPCC की धारा 306 के तहत शिकायत दर्ज की थी और रोहित को 6 अक्टूबर 2013 को गिरफ्तार कर लिया था। बता दें कि रोहित फिलहाल जमानत पर बाहर था। 

कोर्ट में रोहित की दलील

कोर्ट में रोहित के वकील के मुताबिक जब रोहित को आग लगने की जानकारी मिली थी तब वह नोएडा में अपने कार्यालय में थे। जैसे ही वह अपने घर पहुंचे तो उन्होंने अपनी पत्नी अमृता को सेक्टर 66 स्थित जगदंबा अस्पताल ले गए। इसके बाद डाक्टरों ने उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर कर दिया था, जहां 22 अक्टूबर को 85% जलने की वजह से उनकी मौत हो गई।

रोहित के भाइयों ने की 14 लाख की मांग

मामले को लेकर न्यायाधीश, अवनीश सक्सेना ने कहा कि सबूत बताते हैं कि यह एक आकस्मिक मृत्यु थी और मृतक द्वारा आत्मदाह नहीं किया गया था। इस केस की सुनवाई के दौरान रोहित ने बताया कि अमृता के भाइयों ने शिकायत दर्ज करने से पहले मामले को निपटाने के लिए उनसे 14 लाख रुपयों की मांग की थी।

रोहित को था न्यायपालिका पर भरोसा

इस सुनवाई के दौरान सफदरजंग अस्पताल में अमृता का इलाज करने वाली डॉ. शालू ने कहा था कि अमृता ने उन्हें बताया था कि "खाना बनाते समय एक दुर्घटना के कारण, शायद गैस रिसाव के कारण वह जल गई थी।मामले में बरी होने के बाद रोहित ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा था, और उन्हें विश्वास था कि देर-सवेर न्याय जरूर मिलेगा और न्याय की ही जीत हुई है।

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