10 लाख के आईटीआर ने बताई आय प्रमाण पत्र की सच्चाई, क्यों अभिभावक बनवा रहे हैं 1 लाख से कम का इनकम सर्टिफिकेट?
10 लाख का आइटीआर भरने वाले अभिभावक का एक लाख से कम का आय प्रमाण पत्र जिला प्रशासन की ओर से जारी कर दिया गया। स्कूल संचालक मंगलवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी से मिलने पहुंचे और उन्होंने फर्जी आय प्रमाण बनने की शिकायतें की।
By Jagran NewsEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Tue, 02 May 2023 09:48 PM (IST)
नोएडा, जागरण संवाददाता। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत नामी स्कूलों में पढ़ाने के लिए सक्षम अभिभावक झूठ का सहारा लेकर गरीब अभिभावक के बच्चे का हक मार रहे है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी को अभिभावकों की आय के प्रमाण पत्र सौंप कर शिकायत दर्ज कराई गई है कि 10 लाख रुपये प्रति माह का आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने वाले अभिभावक आरटीई के तहत दाखिला करा रहे है।10 लाख का आइटीआर भरने वाले अभिभावक का एक लाख से कम का आय प्रमाण पत्र जिला प्रशासन की ओर से जारी कर दिया गया। फर्जी आय प्रमाण बनने पर जिला प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे है। स्कूल संचालक मंगलवार को बेसिक शिक्षा अधिकारी से मिलने पहुंचे और उन्होंने फर्जी आय प्रमाण बनने की शिकायतें की।
स्कूल संचालकों ने बताया कि फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाने वाले ऐसे कर्मियों पर कार्रवाई को लेकर जिलाधिकारी से मिलेंगे। लाखों का आइटीआर भरने वाले अभिभावक फर्जी आय प्रमाण पत्र लेकर स्कूल संचालकों पर दाखिले का दबाव डाल रहे हैं।स्कूल संचालकों के समूह ने आरटीई में दाखिले के लिए चयनित छात्रों के अभिभावकों के आइटीआर के साथ अन्य तथ्य पेश किए। जीआर ग्लोबल स्कूल के प्रबंधक विक्रांत नागर ने बताया कि पिछले वर्ष आरटीई के तहत अभिभावक की जांच के लिए एडीएम को शिकायत की थी। आरोप है कि अभिभावक की हैसियत सामर्थ्य से कहीं अधिक थी। इसके बावजूद अभी तक प्रशासन की जांच पूरी नहीं हो पाई है।
केस एक
वैदपुरा का एक युवक शहर की एक कंपनी में कार्यरत हैं। वर्ष 2022 में 10 लाख 23 हजार 37 रुपये का आइटीआर भरा है। स्कूल संचालकों की शिकायत पर बीएसए ने जब अभिभावक से इस बाबत पूछताछ की तो अभिभावक माफी मांगने लगे। अभिभावकों ने लिखित माफी मांगते हुए आरटीई के तहत दाखिले से नाम वापस लेने की गुजारिश की है।
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