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Litti Chokha Stall: स्ट्रीट फूड के शौकीनों का अड्डा बना सेक्टर-57 का लिट्टी-चोखा प्वाइंट

बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश की पहचान लिट्टी-चोखा ने शहर के स्ट्रीट फूड में अपनी खास पहचान बना ली है। कुछ माह पहले बना सेक्टर-57 का वेंडिंग जोन इसकी बानगी है। अब तक अलग-अलग जगह सजने वाले लिट्टी-चोखा के स्टाल अब एक जगह आ गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Babli KumariUpdated: Sat, 05 Nov 2022 04:04 PM (IST)
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स्ट्रीट फूड के शौकीनों का अड्डा बना सेक्टर-57 का लिट्टी-चोखा प्वाइंट

जागरण संवाददाता, नोएडा। बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश की पहचान लिट्टी-चोखा ने शहर के स्ट्रीट फूड में अपनी खास पहचान बना ली है। कुछ माह पहले बना सेक्टर-57 का वेंडिंग जोन इसकी बानगी है। अब तक अलग-अलग जगह सजने वाले लिट्टी-चोखा के स्टाल अब एक जगह आ गए हैं। तब से यह स्ट्रीट फूड के शौकीनों का अड्डा बन गया है। सुबह से लेकर शाम तक लोगों की लाइन लगी रहती है। लिट्टी-चोखी और सत्तू पीने वालों का तांता लगा रहता है। पूरे शहरभर से लोग यहां पहुंचते हैं।

30 से लेकर 60 रुपये तक अलग-अलग प्रकार की लिट्टी

चार रुपये से 60 रुपये तक पहुंचे लिट्टी के दाम बिहार के मुज्जफरपुर के वशिष्ठ शाह का स्टाल लगता है। वह नोएडा को लिट्टी चोखा का स्वाद चखाने वाले शुरुआती लोगों में शामिल हैं। वर्षों से सेक्टर-57 रोड पर पीपल वाले कट के पास दुकान थी। अब वह वेंडिंग जोन में आ गए हैं। वह बताते हैं कि जब शुरू किए थे, तब चार रुपये की एक लिट्टी थी। आज 30 से लेकर 60 रुपये तक अलग-अलग प्रकार की लिट्टी है। इसमें सादा से लेकर मक्खन, बाजार के घी और घर के घी की लिट्टी शामिल हैं। आज उनका काम इतना बढ़ गया है कि बेटा और पोता भी दुकान पर ही रहते हैं। बेटा विनोद बीते 10 वर्षों से और पोता सुमित तीन वर्षों से स्टाल पर हाथ बंटा रहे हैं। तीनों लोगों के काम करने पर वशिष्ठ शाह कहते हैं कि काम चल रहा है तभी तो कर रहे हैं।

वर्ष-दर-वर्ष बढ़ रहा काम 1995 में नोएडा आए सुनील शाह बीते 20 वर्षों से लिट्टी-चोखा का स्टाल लगा रहे हैं। वह उन्होंने पहले इधर-उधर नौकरी की। फिर लिट्टी-चोखा खिलाना शुरू किया। वर्ष-दर-वर्ष काम बढ़ता चला गया और फिर दूसरा कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ी। उनके तीन बच्चे हैं। पहले अंगीठी में कोयला चलाते थे, अब बाजार में भट्टी में बनाते हैं।

आफलाइन के साथ आनलाइन भी मांगशाह परिवार भले ही बिना छत के सड़क किनारे स्टाल सजाते हो, लेकिन स्वाद ऐसा है कि शहर भर से लोग आनलाइन आर्डर करते हैं। सभी एप पर उनकी सेवा उपलब्ध है। सेक्टर-57 रोड के दोनों ओर करीब 20 स्टाल लगते हैं। आय हर किसी की अलग-अलग है। औसत 15 सौ रुपये तक दैनिक कमाई हो जाती है।

सत्तू के शौकीनों की भी लंबी फेहरिस्तलिट्टी-चोखा के साथ सत्तू का स्वाद भी लोगों को खूब लुभा रहा है। खासकर झारखंड के कोडरमा के कृष्णा के हाथ का नमकीन सत्तू। 2006 से सत्तू पिला रहे कृष्णा के पास हर समय लंबा इंतजार करना पड़ता है। बीते 15 वर्षों में उनके गिलास के दाम भी पांच से 20 रुपये पहुंच गए हैं।

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