Lok Sabha Elections : सपा-कांग्रेस की डील डन, अखिलेश पश्चिमी यूपी की इन 2 सीट से गुर्जर पर लगा सकते हैं दांव
पश्चिमी उप्र को जाट और गुर्जर बहुल माना जाता है। सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट की स्थिति भी स्पष्ट हो गई है। रालोद से गठबंधन खत्म होने के बाद सपा मुखिया का पूरा फोकस अब गुर्जरों पर लग गया है। गुर्जरों को खुश करने के लिए वह पश्चिमी उप्र की दो सीटें उन्हें दे सकते हैं।
जागण संवाददाता, नोएडा। उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट (Lok Sabha Elections) की स्थिति भी स्पष्ट हो गई है। यह सीट सपा के खाते में गई हैं। यहां से सपा गुर्जर प्रत्याशी पर दाव लगा सकती है। सूत्रों की मानें तो भाजपा द्वारा पश्चिमी उप्र में जाटों को तवज्जों देने के बाद सपा ने गुर्जरों पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।
गुर्जर पर सपा का फोकस
सपा का पहले रालोद के साथ गठबंधन था, इसलिए पार्टी को जाटों के वोट मिलने की उम्मीद थी। रालोद का गठबंधन अब भाजपा के साथ हो गया है। इस कारण सपा का अब पूरा फोकस गुर्जरों पर हो गया है। पश्चिमी उप्र को जाट और गुर्जर बहुल माना जाता है। गत लोकसभा और विधान सभा चुनाव में गुर्जर भाजपा को गया था। सपा उन्हें अपने पाले में लाने के लिए गौतमबुद्ध नगर के अलावा पश्चिमी उप्र की एक और सीट पर गुर्जरों को दे सकती है।
वहां से सरधना के विधायक अतुल प्रधान को मैदान में उतारा जा सकता है। पार्टी हाईकमान ने गौतमबुद्ध नगर की जिला इकाई को लखनऊ बुलाया है। संगठन से मंत्रणा के बाद गौतमबुद्ध नगर सीट से सपा प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर सकती है। बता दें कि 2009 में नए परिसीमन से पहले यह सीट खुर्जा के नाम से थी। सपा कभी इस सीट पर विजय हासिल नहीं कर सकी है।
तीसरे-चौथे नंबर पर रहा सपा का प्रत्याशी
हालांकि, 1989 और 1991 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के प्रत्याशी यहां से विजयी रहें थे। इससे पहले 1977 व 1980 में भी खुर्जा सीट से जनता पार्टी और लाेकदल (SP-RLD) के प्रत्याशी विजयी हुए थे। बाकी कांग्रेस और भाजपा में ही मुकाबला रहा है। सपा प्रत्याशी हमेशा तीसरे और चौथे नंबर की लड़ाई में ही रहे। नए परिसीमन के बाद गौतमबुद्ध नगर के नाम से सीट बनी। दो बार नरेंद्र भाटी सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े।
वह प्रथम दो की लड़ाई में तो नहीं रहें, लेकिन दोनों बार उन्होंने मुकाबले को दिलचस्प जरूर बनाया। इस बार सपा भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने पश्चिमी उप्र में जाटों को खासी तवज्जों दी है। गुुर्जरों में इसकी कसक हमेशा बनी रहती है। उनका कहना है कि पश्चिमी उप्र में जाट और गुर्जर बराबर है, लेकिन भाजपा हमेशा जाटों को तवज्जों देती है।
जयंत चौधरी के साथ किया था गठजोड़
गुर्जरों की हर बार उपेक्षा हुई है। यहीं कारण रहा है कि खतौली विधान सभा के उप चुनाव में जाट-गुर्जर-मुस्लिम-त्यागी गठजोड़ हो गया और भाजपा को सीट गंवानी पड़ी। जाट किसान आंदोलन के कारण भाजपा से नाराज था। गुर्जर भाजपा से उपेक्षित महसूस होने के कारण जाटों के साथ मिल गठबंधन को चले गए थे। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस गठजोड़ को लोकसभा चुनाव में भी बरकरार रखने के लिए रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजा।
रालोद के साथ गठबंधन किया, लेकिन भाजपा ने दोनों के गठजोड़ में दरार डालते हुए जयंत चौधरी (BJP-RLD) को अपनी तरफ खींच लिया। इससे सपा मुखिया का पूरा फोकस अब गुर्जरों पर लग गया है। गुर्जरों को खुश करने के लिए वह पश्चिमी उप्र की दो सीटें उन्हें दे सकते हैं। गौतमबुद्ध नगर लोकसभ सीट पहले कांग्रेस अपने लिए मांग रही थी। गुर्जर बहुल सीट होने के कारण सपा ने इसे अपने खाते में लिया, ताकि यहां से गुर्जर प्रत्याशी मैदान में उतारा जा सकें।
भाजपा भी चल सकती है बड़ा दांव
पहले यहां सपा-रालोद गठबंधन से खतौली के विधायक मदन भैया को मैदान में उतारने की तैयारी थी, लेकिन गठबंधन टूट जाने से सपा अब किसी अन्य पर दाव लगाएगी। सूत्र बातते हैं कि सपा की सूची में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जयवती नागर के पति गजराज नागर व पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी के अलावा कुछ ऐसे नाम भी है, जो अभी दूसरे दलों में हैं।
उन्हें सपा में शामिल कराकर चुनाव लड़ाया जा सकता है। इनमें पूर्व विधायक समीर भाटी व भाजपा से असंतुष्ट चल रहे दो नेताओं के नाम बताए जा रहे हैं। सपा मुखिया अपने अपने मकसद में कितने कामयाब हाेंगे, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन भाजपा भी गुर्जरों को अपने पाले में बरकरार रखने के लिए बड़ी दाव चल सकती है।
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