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Election 2024: 10 सालों में 26 उम्मीदवारों को मिले नोटा से भी कम वोट, 12 प्रत्याशी नहीं छू पाए एक हजार वोट का आंकड़ा

लोकसभा चुनाव 2014 में 24 उम्मीदवारों ने सांसद बनने का सपना देखा लेकिन 16 उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले। 10 उम्मीदवार तो ऐसे थे जिन्हें एक हजार से भी कम वोट मिले। 2014 में नोटा को 3836 वोट मिले थे। वहीं 2019 में 8371 वोट नोटा को मिले। जबकि 10 उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले।

By Ankur Tripathi Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 03 Apr 2024 08:33 AM (IST)
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Election 2024: 10 सालों में 26 उम्मीदवारों को मिले नोटा से भी कम वोट

अंकुर त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। जब चुनावी मैदान में खड़े उम्मीदवार पसंद नहीं हों तो आखिर किसे वोट दिया जाए। यह एक गंभीर प्रश्न हर मतदाता के जेहन में रहता था। 2014 में पहली बार लोकसभा के चुनाव में मतदाताओं को उम्मीदवार नहीं पसंद होने पर नोटा (नन आफ द एबव) का विकल्प चुनाव आयोग की ओर से मिला।

पहली बार ईवीएम पर नोटा का विकल्प जब मतदाताओं को मिला तो गौतमबुद्ध नगर सीट पर 16 उम्मीदवारों से अधिक वोट नोटा को मिले। 2014 में 24 उम्मीदवारों ने सांसद बनने का सपना देखा, लेकिन 16 उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले। 10 उम्मीदवार तो ऐसे थे, जिन्हें एक हजार से भी कम वोट मिले। 2014 में नोटा को 3836 वोट मिले थे।

2019 के चुनाव में 14 उम्मीदवारों थे मैदान

वहीं 2019 में 8371 वोट नोटा को मिले। जबकि 10 उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले। 2019 के चुनाव में 14 उम्मीदवारों मैदान में थे, जिसमें दो उम्मीदवारों को एक हजार वोट भी नहीं मिल पाए। हर चुनाव में नोटा दम दिखा रहा है, कई प्रत्याशियों को नोटा से कम वोट मिल रहे हैं।

2014 में नोटा नौवें नंबर पर रहा। जबकि 2019 में चौथे नंबर पर रहा। राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवार ही केवल गौतमबुद्ध नगर सीट पर नोटा से अधिक वोट पाने में सफलता पाए हैं।

उम्मीदवार नहीं पसंद तो दब रहा नोटा

कई मतदाता वोट डालते समय काफी सोच समझ कर मतदान करते हैं। उम्मीद के अनुसार उम्मीदवार नहीं होने पर वह नोटा का बटन चुन रहे हैं। नोटा को अधिक वोट मिलने पर अब पार्टियां भी सोच समझ कर उम्मीदवारों को चुनाव में उतार रहीं हैं। नोटा का विकल्प आने से एक बदलाव यह दर्ज किया गया कि पार्टियां अपराधी उम्मीदवारों से दूरियां बना रहीं हैं।

लोकसभा चुनाव 2014 में आया नोटा

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव में और वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव में नोटा का विकल्प सभी इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में नजर आया।

इससे पहले यदि कोई मतदाता किसी उम्मीदवार को अपना वोट नहीं देना चाहता था तो उसे फार्म भरना होता था। नोटा का विकल्प लागू करने वाला भारत विश्व का 14वां देश था, जबकि रूस ने 2006 में इस विकल्प को हटा दिया था।

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