हजारों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बने अजय नागर, घर को ही बनाया पर्यावरण संरक्षण की प्रयोगशाला
पर्यावरण प्रेमी अजय नागर ने बताया कि कोरोना काल से पेड़ पौधों की आवश्यकता लोगों की समझ व्यापक स्तर पर सक्रियता आई है। ग्यारह हज़ार पौधे रोपण का संकल्प साकार करने के लिए ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए गड्ढे खुदाई का काम चल रहा है।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 18 Jul 2021 12:27 PM (IST)
ग्रेटर नोएडा/बिलासपुर [घनश्याम पाल]। घर परिसर से शुरू हुआ पर्यावरण संरक्षण समय के साथ व्यापक हो गया। अब तो यह अजय के लिए एक अभियान एक चुनौती है। बचपन में पहले पिता की देखा देखी और उसके बाद यह बात समझ में आते ही गांव को हराभरा करने का सिलसिला शुरू हुआ। इसके लिए चुनौती पेड़ों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण बदलने व पर्यावरण के प्रति सचेत करने की थी।
तालड़ा गांव के बुजुर्गों के संरक्षण में युवाओं की टोली बना पर्यावरण संरक्षण के लिए गांव को ही प्रयोगशाला बनाई। पौधे पेड़ स्वरुप होते हौसला मिला। इस हौसले ने उन्हें कभी हारने थकने नहीं दिया। पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी लगन देखकर कुछ सामाजिक संगठन व विभिन्न गांवों से युवाओं की बड़ी टीम कंधे से कंधा मिलाकर अजय नागर का काम अब धीरे धीरे आसान व व्यापक हो गया। अब तो उनका पर्यावरण संरक्षण का यह अभियान क्षेत्र के गांवों में पहुंच गया है।
काम आई पिता की सीख बचपन में पिता की एक सीख ने जीवन जीने का एक लक्ष्य तय कर दिया। खाली समय में पिता घर की छोटी सी बगीची में चुन चुन कर पौधे लगाते थे। पिता की बगीची के प्रति दिलचस्पी अजय नागर बचपन में नहीं समझ सके, लेकिन बड़े होने के साथ पिता की वृक्षों के प्रति आस्था समझ में आने लगी। उम्र के साथ पिता की सोच उनका संकल्प बन गया। 2010 में पोस्ट ग्रैजुएट पास कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रियता से काम करना शुरू कर आज भी पर्यावरण संरक्षित हो अपने लक्ष्य पर अडिग है।
अजय नागर की बागवानी बेशक पर्यावरण संरक्षण समिति के नेतृत्व में अजय नागर क्षेत्र के गांवों सार्वजनिक स्थल श्मशान घाट स्कूल अस्पताल आदि परिसर में आक्सीजन मात्रा ज्यादा देने वाले वट, पीपल, नीम आदि पौधे लगाना पसंद करते हैं। लेकिन उनकी अपनी बागवानी तालड़ा गांव में आम, अमरुद, अनार, आडू, बैर, करौंदा, गूलर, कटहल, चीकू, मौसमी, लीची, सहतूत, एप्पल बैर आदि फलदार औषधि आदि के सैकड़ों पेड़ पौधे विराजमान है।
पर्यावरण प्रेमी अजय नागर ने बताया कि कोरोना काल से पेड़ पौधों की आवश्यकता लोगों की समझ व्यापक स्तर पर सक्रियता आई है। ग्यारह हज़ार पौधे रोपण का संकल्प साकार करने के लिए ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए गड्ढे खुदाई का कार्य चल रहा है। इस माह भी पौधारोपण किया जा रहा है।
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