Air Quality Index: जानिए कैसे देशी उपायों से पूर्व सैन्य अधिकारी ने सुधार दी हवा की सेहत
2015 से वर्मी कम्पोस्ट व इंटेंसिव ट्री कल्टीवेशन करने की शुरुआत हुई थी। इस वर्ष जून से वायु प्रदुषण का आंकलन करना शुरू किया गया। सेवा निवृत कर्नल राम रतन बताते है कि पर्यावरण के लिए कुछ करने का प्रयास 2003 से कर रहा हूं।
वैभव तिवारी , नोएडा : दिल्ली- एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एंटी स्माग टावर लगाने व टैंकरों से पानी के छिड़काव करने में करोड़ों रुपये का खर्च आ रहा है, लेकिन चंद रुपयों में देशी उपायों से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का काम सेक्टर- 28 अरूण विहार सोसायटी के सेवानिवृत्त डा. लेफ्टिनेंट कर्नल राम रतन सिंह नारा ने कर दिखाया है। सेक्टर स्थित ढाई एकड़ के सेवन सेंसस पार्क में पानी को बारीक फुहार में बदलकर छिड़काव करने से पीएम 2.5 व पीएम 10 को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। इससे भीषण प्रदूषण में भी पार्क में पहुंचकर लोग खुल कर स्वस्थ हवा में सांस ले रहे। नोएडा की एक्यूआइ के मुकाबले पार्क का एक्यूआइ काफी कम रह रहा।
घर के खराब हो चुके सामान का उपयोग करते हुए देशी जुगाड़ से पार्क में फव्वारे बनाए गए है। बाथ टब व कूलर के मोटर चारों तरफ लगाए गए। ये फव्वारे तीन मीटर की परिधि में पीएम 10 व 2.5 को नियंत्रित कर रहे। पार्क में स्थित बड़े फव्वारे से बीस मीटर की परिधि में प्रदूषण नियंत्रण किया जा रहा। नोएडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी ने सेवानिवृत्त डा. लेफ्टिनेंट कर्नल राम रतन सिंह नारा के कार्य को देखते हुए जिले में इसी तरह से कार्य करने का प्रस्ताव दिया। इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने निरीक्षण कर तीन जगह पर कार्य करने की सहमति दी। पहले चरण में गुरविंदर विहार सोसायटी, सिल्वर सिटी व कुमार मंगलम स्कूल में प्रदूषण को कम करने की शुरूआत हो हुई है।
बगीचा हरा भरा रखने के लिए बना रहे वर्मी कम्पोस्ट
पार्क के साथ सेक्टर के पेड़ों को हरा भरा रखने व कचरे के निस्तारण के लिए वर्मीकम्पोस्ट बनाया जा रहा। पेड़ो से झड़ने वाले पत्तों, टहनियों, गोबर व घर निकलने वाले कचरे का उपयोग किया जा रहा। इसके लिए आस पास के सेक्टर व सोसायटियों को भी प्रशिक्षण दिया गया है। यह प्रक्रिया अपनाने से तीन सौ घरों का कचरा बाहर नहीं जा रहा, साथ ही वर्मी कम्पोस्ट में केमिकल का भी उपयोग नहीं हो रहा। इंटेंसिव ट्री कल्टीवेशन पार्क व सेक्टर के छह हजार छोटे बड़े पेड़ो पर किया गया है, यह प्रक्रिया जमीन को पोषण देने, पेड़ के विकास व अधिक आक्सीजन देने में सहायक होती है।
सात वर्ष पहले हुई शुरुआत अब हो रही कारगर साबित
2015 से वर्मी कम्पोस्ट व इंटेंसिव ट्री कल्टीवेशन करने की शुरुआत हुई थी। इस वर्ष जून से वायु प्रदुषण का आंकलन करना शुरू किया गया। सेवा निवृत कर्नल राम रतन बताते है कि पर्यावरण के लिए कुछ करने का प्रयास 2003 से कर रहा हूं। इसी काम को करते हुए यह विचार आया है। वह बताते है कि पार्क में आवाजाही करने वाले व आसपास के घरों में रहने वाले लोगों को इससे लाभ मिलता है। सेक्टर के बुजुर्ग, महिलाएं व बच्चे पार्क में आकर स्वच्छ हवा में सांस लेते हैं।
300 घरों के वार्ड में दस हजार के खर्च में भी शुरू हुआ प्रदूषण नियंत्रण का कार्य
पार्क में प्रदूषण नियंत्रण करने के बाद अरूण विहार सोसायटी के वार्ड दो में स्थित 300 घरों को शुद्ध हवा देने का काम धनतेरस से शुरू हो गया है। इसमें टैंकर में पानी भरकर, फव्वारा देने वाली बैटरी से संचालित मशीन में एटमाइस्ड मिस्ड स्प्रेयर गन लगाकर सोसायटी में छिड़काव किया जा रहा है। राम रतन सिंह नारा बताते है कि पानी का छिड़काव करने से कुछ सेकेंड तक पानी हवा में रहता है, लेकिन फव्वारे से अधिक प्रेशर से बारीक फुहार में बदलकर छिड़काव करने से पानी कुछ मिनट तक हवा में रहता है। इससे हवा में मौजूद हानिकारक तत्व नीचे आ जाता है। इसमें मिस्ड गन, फव्वारे की मशीन व पानी के टैंक में कुल दस हजार रुपये खर्च हुए है। सोसायटी में पहले से मौजूद ई- रिक्शा से इसका संचालन सुबह व शाम के समय किया जा रहा।