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Mulayam Singh Yadav: वेस्ट यूपी से था गहरा नाता, चुनाव हारने के बाद भी नरेंद्र भाटी को 2 बार बनाया मंत्री

Mulayam Singh Yadav News सपा संरक्षक स्व. मुलायम सिंह यादव का वेस्ट यूपी के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह भाटी से गहरा नाता था। 1996 में रक्षा मंत्री पद पर रहते हुए मुलायम नरेंद्र भाटी के छोटे भाई कैलाश भाटी के रिसेप्शन समारोह में बोड़की गांव आए थेl

By Jagran NewsEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Tue, 11 Oct 2022 10:10 AM (IST)
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रक्षा मंत्री पद पर रहते हुए नरेंद्र भाटी के छोटे भाई के रिसेप्शन में आए थे मुलायम
नोएडा [धर्मेंद्र चंदेल]। सपा संरक्षक, धरतीपुत्र व नेताजी के नाम से मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का ग्रेटर नोएडा के बोड़ाकी गांव निवासी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह भाटी से गहरा नाता था। हालांकि, नरेंद्र सपा छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं, पर नेताजी अब भी उनके दिल में राज करते हैं।

मुलायम सिंह के पार्थिव शरीर पर की पुष्प वर्षा

भाजपाई होने के बावजूद उन्होंने कभी अपने जीवन में मुलायम सिंह यादव के लिए कड़े शब्द नहीं कहे। इसके पीछे नेताजी का नरेंद्र के सिर पर हाथ रखना प्रमुख वजह रही। यही कारण है कि धरतीपुत्र के निधन का समाचार सुनकर वे रो पड़े।

सभी कार्यक्रम छोड़ वह उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित करने यमुना एक्सप्रेस-वे के जीरो प्वाइंट पर पहुंचे। मुलायम सिंह यादव के पार्थिव शरीर को वाहन द्वारा गुरुग्राम से सैफई ले जाया गया।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता में होती दोनों की गिनती

दादरी से तीन बार विधायक रहे स्वर्गीय महेंद्र सिंह भाटी व उनके बेहद करीबी मित्र सिकंद्राबाद से तीन बार विधायक रहे नरेंद्र सिंह भाटी का राजनीति में 1980 के बाद उदय हुआ था। दोनों की गिनती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता के रूप में होती थी।

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1989 में जब उत्तर प्रदेश में जनता दल की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री बनाने के लिए मुलायम सिंह यादव व अजीत सिंह के बीच विधायकों की वोटिंग हुई। हालांकि, इसमें नेताजी के पक्ष में अधिक वोट पड़े और वह मुख्यमंत्री बने, पर महेंद्र सिंह भाटी ने अजीत सिंह के पक्ष में अपना वोट दिया था। इसके बावजूद मुलायम ने मुख्यमंत्री बनने के बाद दोनों को सरकार में खास तवज्जो दी।

नरेंद्र के चुनाव प्रचार के लिए हर बार जनसभा करने आए थे मुलायम

कुछ ही दिनों बाद महेंद्र सिंह भाटी की हत्या हो गई और नरेंद्र सिंह भाटी इस क्षेत्र के इकलौते कद्दावर नेता रह गए। उनके सिर पर मुलायम सिंह का हाथ आ गया। इसके बाद जितने भी विधानसभा चुनाव हुए नरेंद्र के चुनाव प्रचार के लिए हर बार मुलायम जनसभा करने आए। लगातार तीन बार जीतने के बाद नरेंद्र भाटी अगले तीन चुनाव हारे, पर मुलायम ने उन्हें दो बार कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया।

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एक बार जनसभा के दौरान मुलायम ने कहा भी था कि आप लोग जितनी बार भी नरेंद्र भाटी को चुनाव हराओगे, मैं उतनी ही बार इन्हें प्रदेश सरकार में मंत्री बनाऊंगा। दो बार नरेंद्र भाटी को खुर्जा व गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से सपा का टिकट भी दिया गया।

12 घंटे में टिकट बदलकर फिर से नरेंद्र भाटी को दिया था टिकट

बताया जाता है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र को प्रत्याशी घोषित करने के बाद अमर सिंह के कहने पर उनका टिकट काटकर गढ़ से विधायक रहे मदन चौहान को दे दिया गया, पर मुलायम, नरेंद्र भाटी को इतना मानते थे कि 12 घंटे में ही टिकट बदलकर फिर से नरेंद्र भाटी को दे दिया गया।

2012 में नरेंद्र के पिता का निधन होने पर मुलायम शोक संवेदना प्रकट करने बोड़ाकी गांव भी आए थे। 1996 में रक्षा मंत्री पद पर रहते हुए भी मुलायम, नरेंद्र भाटी के छोटे भाई कैलाश भाटी के रिसेप्शन समारोह में बोड़ाकी आए थे। उन्होंने दादरी में सपा से एक बार प्रत्याशी रहे अशोक चौहान के लिए भी वोट मांगे थे। दादरी के मिहिर भोज कालेज में उन्होंने तीन जनसभाएं की थी।

नरेंद्र भाटी के भाजपा में शामिल होते ही सपा का वजूद हुआ कम

नरेंद्र भाटी लंबे समय तक गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर में सपा का झंडा अकेले ही बुलंद किए रहे। 2014 में सुरेंद्र नागर के सपा में शामिल होने से वह अखिलेश यादव के करीबी हो गए। नरेंद्र भाटी की स्थिति पार्टी में कमजोर पड़ गई। गत विधानसभा चुनाव में नरेंद्र भाटी भाजपा में चले गए। इससे गौतमबुद्ध नगर ही नहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सपा को भारी नुकसान हुआ। भाजपा को नरेंद्र भाटी का बड़ा फायदा मिले। गुर्जरों के बड़ी संख्या में वोट भाजपा को मिले।

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