Nithari Kand; क्या है मुन्ना पांडेय प्रकरण जो बना कोली और पंढेर को बरी करने का आधार
बिहार के भागलपुर में कथित तौर पर बच्ची के रेप के बाद हत्या करने के मामले में मुन्ना पांडेय बनाम स्टेट ऑफ बिहार की तरह ही निठारी कांड में भी साक्ष्य के अभाव में आरोपितों को राहत मिली है। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय में इस बात को प्रमुखता से कहा गया है। इसमें सीबीआई की तरफ से अभियोजन पक्ष बचाव पक्ष के तर्क के सामने टिक नहीं पाया।
वैभव तिवारी, नोएडा। बिहार के भागलपुर में कथित तौर पर बच्ची के रेप के बाद हत्या करने के मामले में मुन्ना पांडेय बनाम स्टेट ऑफ बिहार की तरह ही निठारी कांड में भी साक्ष्य के अभाव में आरोपितों को राहत मिली है।
मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय में इस बात को प्रमुखता से कहा गया है। इसमें सीबीआई की तरफ से अभियोजन पक्ष, बचाव पक्ष के तर्क के सामने टिक नहीं पाया है।
साक्ष्य जुटाने में बरती गई लापरवाही व अभियोजन पक्ष के बयान बदलने सहित अन्य मामले पर हाईकोर्ट ने कहा है कि इस पर कोई मंतव्य व्यक्त नहीं करते हैं। इसको उचित अवसर के लिए छोड़ दिया गया है।
क्या है 'उचित अवसर' का मतलब?
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश केके लाहोटी ने बताया कि कोर्ट के उचित अवसर का आशय है कि समय पर कोर्ट की तरफ से शासन व जांच एजेंसी को निर्देश दिए जा सकते हैं। इसमें संबंधित अभियोजन पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया जा सकता है।
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कोर्ट ने क्यों कही फेयर ट्रायल की बात?
मुन्ना पांडेय बनाम स्टेट ऑफ बिहार के मामले का उदाहरण देते हुए हाईकोर्ट ने निर्णय में कहा कि नागरिकों के खिलाफ फेयर ट्रायल चलना चाहिए। फेयर ट्रायल का आशय बताते हुए केके लाहोटी ने बताया कि इसमें आरोपित व्यक्ति को साक्ष्य रखने का अवसर मिलना चाहिए, क्योंकि यह नागरिक की स्वतंत्रता का सवाल होता है।
उन्होंने कोर्ट के निर्णय के आधार पर कहा कि सीबीआई की जांच में स्वतंत्र साक्ष्य कोर्ट को नहीं मिले। इसलिए कोर्ट की तरफ से मामले में आरोपित रहे लोगों को राहत दी गई है।
न्यायाधीश को साधारण तौर पर काम नहीं करना चाहिए, उसे न्याय के लिए काम करना चाहिए। वहीं, मामले में पीड़ित रामकिशन ने भी वकीलों की तरफ से सही तरीके से बात नहीं रखने की बात कही है।
क्या है मुन्ना पांडेय प्रकरण
मुन्ना पांडेय के खिलाफ बच्ची से दुष्कर्म के कथित मामले में भागलपुर पुलिस ने 2015 में प्राथमिकी दर्ज की थी। फरवरी, 2017 में भागलपुर की अदालत ने अभियुक्त मुन्ना पांडेय को फांसी की सजा सुनाई थी।