नैनीताल बैंक को 16 करोड़ का चूना: नोएडा पुलिस के हाथ लगे कई सुराग, इस गैंग का हो सकता है हाथ
एक वर्ष पहले कांगड़ा सहकारी बैंक के खाते से भी 7.79 करोड़ रुपये निकाले गए थे। बैंक का सर्व हैक हुआ था। वर्ष 2023 में दिल्ली में कांगड़ा सहकारी बैंक की तर्ज पर यह घटना की गई है। हैकरों ने नैनीताल बैंक का सर्वर हैक कर 16.10 करोड़ रुपये आरटीजीएस के माध्यम से निकाले हैं। यह रुपया देश के अलग-अलग खातों में भेजा गया है।
लोकेश चौहान, नोएडा। सेक्टर-62 स्थित नैनीताल बैंक को 16.10 करोड़ का चूना लगाने वालों के संबंध में पुलिस को अहम जानकारी हाथ लगी है। साइबर अपराध थाना पुलिस के अनुसार, वर्ष 2023 में दिल्ली के कांगड़ा सहकारी बैंक को 7.79 करोड़ का चूना लगाने की तर्ज पर नैनीताल बैंक का सर्वर हैक कर 16.10 करोड़ रुपये आरटीजीएस के माध्यम से निकाले हैं। माना जा रहा है कि इस तरह से नाइजीरियन गैंग ही सर्वर हैक करके बैंक को चूना लगा सकता है।
जांच में यह भी पता चला है कि देश के अलग-अलग शहरों में खोले गए 22 बैंकों के करीब 50 खातों में 89 बार में धनराशि ट्रांसफर की गई। इनमें से पांच बार में धनराशि का ट्रांजेक्शन फेल हो गया था।
इन राज्यों में खोले गए खाते
यह खाते पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु आदि प्रदेश के शहरों में खोले गए थे। बता दें कि बैंक के आइटी मैनेजर सुमित कुमार श्रीवास्तव ने कुछ दिन पहले साइबर क्राइम थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी कि बैंक के सर्वर को हैक करके 16.10 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं।
पहले भी हो चुकी है इस तरह की घटना
घटना उसी तरह की गई है, जिस तरह पिछले वर्ष दिल्ली में कांगड़ा सहकारी बैंक का सर्वर हैक कर 7.79 करोड़ रुपये निकाले गए थे। उस मामले में नाइजीरियन गैंग का हाथ सामने आया था। साइबर सेल के एसीपी विवेक रंजन राय ने बताया कि बैंकों के सर्वर हैक करने के मामले में नाइजीरियन गैंग सक्रिय है।
जिस तरीके से नैनीताल बैंक का सर्वर हैक कर रुपये निकाले हैं, उस तरीके से नाइजीरियन गैंग पूर्व में कई बैंकों के साथ घटनाएं कर चुके हैं। इससे आशंका बढ़ रही है कि इस मामले में भी नाइजीरियन गैंग शामिल है। गैंग के सदस्यों ने कहां से बैंक का सर्वर हैक किया है इसके बारे में पता लगाया जा रहा है। जल्द ही घटना का पर्दाफाश किया जाएगा।
क्या था मामला
बैंक के आईटी मैनेजर सुमित कुमार श्रीवास्तव ने इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि उनके बैंक में विगत 17 जून को आरबीआइ सेटलमेंट आरटीजीएस खाते के नियमित समाधान के दौरान बैलेंस शीट में तीन करोड़, 60 लाख, 94 हजार, 20 रुपये का अंतर मिला। इसके बाद आरटीजीएस टीम ने एसएफएमएस (स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम) सर्वर के साथ सीबीएस (कोर बैंकिंग सिस्टम) में लेन-देन की जांच की।
जांच में पाया कि सीबीएस और एसएफएमएस में कुछ खामियां हैं, जिसके बाद टीम ने इसके ठीक कराया। लेकिन, अगले दिन 18 जून को भी आरबीआइ बैलेंस शीट मेल नहीं खा रहा थी और दो करोड़, 19 लाख, 23 हजार 50 रुपये का अंतर था, जबकि एसएफएमएस में निपटान रिपोर्ट बैंकों के सीबीएस के साथ मेल खा रही थी।
20 जून को यह पाया गया कि आरबीआइ प्रणाली में 16 करोड़ से अधिक की धनराशि सीबीएस के साथ-साथ एसएफएमएस में नहीं दिख रही थी। इस दौरान पता चला कि बैंक से 84 बार लेन-देन धोखाधड़ी के जरिये हुए हैं।