दिल्ली-NCR के लोगों के लिए अच्छी खबर, नोएडा में बनेगा राष्ट्रीय स्तर का चिड़ियाघर; मिलेंगी कई सुविधाएं
Zoo In Jewar अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही दिल्ली-एनसीआर के लोगों को नोएडा में चिड़ियाघर घूमने का आनंद मिलेगा। जेवर में वन विभाग द्वारा 200 एकड़ जमीन पर चिड़ियाघरघर बनाने की रूपरेखा बनाई जा रही है। चिड़ियाघर बनाने को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही थी।
By Abhishek TiwariEdited By: Updated: Tue, 20 Sep 2022 10:19 AM (IST)
ग्रेटर नोएडा [मनीष तिवारी]l प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट के क्षेत्र में शामिल गौतमबुद्ध नगर के जेवर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (Jewar International Airport) के साथ ही लोगों को राष्ट्रीय स्तर के चिड़ियाघर की सौगात भी मिलेगी। इसका निर्माण जेवर में वन विभाग की खाली पड़ी लगभग 200 एकड़ जमीन पर किया जाएगा।
जल्द मिल सकती है हरी झंडी
वन विभाग ने इसकी रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है। जल्द ही शासन स्तर पर होने वाली बैठक में योजना को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। जेवर में विकास की तमाम योजनाएं परवान चढ़ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट के साथ ही फिल्म सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क, ट्वाय सिटी, अपैरल पार्क व अन्य अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपनी इकाई स्थापित कर रही हैं।
इन सुविधाओं के साथ ही लोगों के मनोरंजन के लिए चिड़ियाघर बनाने पर भी मंथन शुरू हो गया है। सर्वे के दौरान पता चला है कि क्षेत्र में वन विभाग की 200 एकड़ जमीन है। इस जमीन पर जंगली पौधे लगे हैं। जमीन पर हरियाली बढ़ा राष्ट्रीय स्तर का चिड़ियाघर बनाने की योजना बन रही है। विभाग को जमीन देने पर आपत्ति नहीं है।
जल्द ही विशेषज्ञ जानवरों के अनुकूल मौसम का अध्ययन करेंगे। यह भी देखेंगे कि मौसम के अनुकूल कौन-कौन से जानवर रह सकते हैं। रिपोर्ट के आधार पर आगे की रणनीति बनेगी।
क्षेत्र में रहते हैं जंगली जानवर
जेवर में सैकड़ों एकड़ में दूर तक खुला क्षेत्र है। साथ ही जंगली क्षेत्र भी है। अच्छा वातावरण होने के कारण यहां पर हिरण, नील गाय, गीदड़, जंगली बिल्ली, खरगोश सहित अन्य जानवर भी रहते हैं। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि यह क्षेत्र में जंगली जानवरों के लिए अनुकूल होगा।
Driving Licence News: नोएडा में तकनीकी खामी दूर होते ही लाखों लोगों को मिलेगा फायदाएक दशक पूर्व बनी थी नाइट सफारी की योजना लगभग एक दशक पूर्व जेवर में नाइट सफारी बनाने की योजना बनी थी। 250 एकड़ जमीन पर लगभग एक हजार करोड़ रुपये की लागत से नाइट सफारी बनाने की तैयारी थी। नाइट सफारी में भारतीय के साथ ही विदेशी जानवरों को भी रखा जाना था। विशेष वाहन से घूमकर लोग जानवरों को देख सकते थे, लेकिन पूर्व की सरकारों के द्वारा दिलचस्पी न लेने के कारण योजना परवान नहीं चढ़ सकी थी।
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