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Nithari Kand: एक ही नंबर पर 11 बार बातचीत, पंधेर व कोली कनेक्शन का खुलासा; निठारी कांड का ऐसे हुआ पर्दाफाश

पुलिस को भी नहीं पता था कि पायल की कॉल डिटेल 19 हत्याओं से राज का पर्दा उठाएगी और निठारी कांड पूरे देश में चर्चित होगी। तभी कॉल डिटेल में 27 नवंबर 2006 की सुबह 1107 बजे से लेकर दोपहर 113 बजे के बीच 01202453372 नंबर से 11 बार हुई बातचीत पर पुलिस की नजर टिकी। पुलिस ने चालाकी से पंधेर को जाल में फंसाया।

By Praveen SinghEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Mon, 16 Oct 2023 08:53 PM (IST)
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पायल के आखिरी फोन कॉल से हुआ निठारी कांड का पर्दाफाश

जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। 21 दिसंबर 2006 की रात साढ़े नौ बजे पुलिस को पता चला कि निठारी की कोठी से पायल गायब हुई है। पुलिस को भी नहीं पता था कि पायल की कॉल डिटेल 19 हत्याओं से राज का पर्दा उठाएगी और निठारी कांड पूरे देश में चर्चित होगी।

एक कॉल से निठारी कांड का पर्दाफाश

पायल की कॉल डिटेल खंगाली गई तब ही निठारी कांड का पर्दाफाश हुआ था। इलेक्ट्रानिक सर्विलांस की मदद से लापता पायल के गायब मोबाइल फोन का आईएमईआई नंबर (355352003845870) चलने की जानकारी हुई। जांच में पता चला कि पायल का फोन नोएडा के बरौला का रहने वाला राजपाल चला रहा है।

दूसरे के नाम से खरीदा गया था सिम

बरौला के पते पर पुलिस पहुंची। राजपाल से बात की। उसने बताया कि मोबाइल फोन में प्रयोग हुआ सिमकार्ड उसके नाम पर खरीदा गया है, लेकिन उसका प्रयोग संजीव गुर्जर कर रहा है। पुलिस कुछ देर बाद संजीव के पास पहुंची। थोड़ी देर में ही उसके पास से मोबाइल फोन बरामद हो गया।

पुलिस ने उससे पूछताछ की। पुलिस को लगा कि पायल का सुराग लगेगा। संजीव ने पुलिस को बताया कि उसने एक रिक्शे वाले से फोन खरीदा था तो पुलिस के पसीने छूट गए। रिक्शा वाला उस रास्ते से ही अपने घर जाता था। इसलिए उसके बारे में पुलिस को जानकारी मिल गई।

आखिरकार, पुलिस रिक्शा चालक सतलरे के पास पहुंच गई। उसने पूछताछ में बताया कि पिछले महीने एक युवक उसके रिक्शे पर बैठकर सेक्टर-26 से निठारी सेक्टर-31 तक आया था। उसका मोबाइल रिक्शे में छूट गया। उस फोन को उसने कुछ दिन रखने के बाद बेच दिया था।

एक नंबर पर 11 बार की बातचीत

पायल के मोबाइल फोन में नवंबर में 9871215328 नंबर का प्रयोग किया गया। इसे सेक्टर-31 निठारी निवासी सुरेंद्र कोली के नाम पर खरीदा गया है। घनी आबादी से घिरे निठारी में इस नाम के युवक का पता लगाना आसान नहीं था। हुआ भी यही, पुलिस पता नहीं लगा पाई।

तभी कॉल डिटेल में 27 नवंबर 2006 की सुबह 11:07 बजे से लेकर दोपहर 1:13 बजे के बीच 01202453372 नंबर से 11 बार हुई बातचीत पर पुलिस की नजर टिकी। जांच अधिकारी विनोद पांडेय ने उस नंबर पर कॉल किया। फोन मोनिंदर पंधेर के चालक ने उठाया।

यही से कनेक्शन पंधेर व कोली से जुड़ा। पंधेर से पुलिस ने पूछा कि सुरेंद्र कोली कहां है तो उसने पुलिस को बताया गया कि वह उत्तराखंड अपने गांव गया है। पुलिस ने पंधेर को पायल के मोबाइल और उसमें चलाए गए सिम के बारे में बताया। पुलिस ने चालाकी से पंधेर को जाल में फंसाया और कहा कि कोली को पकड़वा दो, तुमको छोड़ देंगे।

पंधेर ने ही पुलिस को कोली तक पहुंचाया

पंधेर ने ही पुलिस को सुरेंद्र कोली का पूरा पता बताया। पंधेर के कहने पर ही उसका चालक पुलिस के साथ कोली के गांव तक गया। उत्तराखंड के अल्मोड़ा पहुंच कर नोएडा पुलिस ने 25 दिसंबर को कोली को पकड़ा। नोएडा लाकर उसका सामना पंधेर से कराया गया। दोनों एक दूसरे को देखते रहे।

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कोली ने शुरूआती जांच में कुछ नहीं बताया। 27 दिसंबर तक पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं लगा। पुलिस ने फिर ऐसा पैंतरा अपनाया, जिसको सुनकर कोली टूट गया। पुलिस ने कहा कि पंधेर ने सब बता दिया है कि पायल को क्यों मारा। यह सुनकर कोली को लगा कि पंधेर की सच्चाई पुलिस को पता चल गई है तो उसने भी सब बता दिया। हालांकि, पुलिस ने हवा में तीर चलाया था जो कि सही जगह लगा।

शव को किए तीन हिस्से

कोली ने पायल के शव के तीन हिस्से किए थे। उसके बताए अनुसार 28 दिसंबर की रात पुलिस पंधेर की कोठी के पीछे पहुंची तो पायल की सैंडल वहां मिल गई। विश्वास हो गया कि कोली ने सच बताया है। हालांकि, उसके बाद पुलिस ने ज्यादा जांच नहीं की और केस सीबीआई को चलाया गया। यदि पुलिस उसी रात गहन सर्च अभियान चलाती तो मामले का उसी दिन पर्दाफाश हो जाता।

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