Nithari Case: निठारी कांड के 'दरिंदों' की रिहाई की असली वजह! जानिए पर्दाफाश करने वाले शख्स ने ही कैसे बदल दी केस की दिशा
नंदलाल ने ही सबसे पहले बेटी के लापता होने पर गुमशुदगी दर्ज कराई थी। सुनवाई के कुछ समय बाद ही नंदलाल बयान से मुकर गया। उस पर वर्ष 2007 में बयान से मुकरने पर केस दर्ज किया गया था। कोर्ट ने बयान से मुकरने के मामले में उसको सजा सुनाई थी। यदि शुरुआत में ही नंदलाल बयान से नहीं मुकरता तो आरोपितों को संदेह का लाभ न मिलता।
प्रवीण विक्रम सिंह, नोएडा। निठारी कांड मामले में भले मोनिंदर पंढेर व सुरेंद्र कोली को अब दोषमुक्त किया गया हो, लेकिन इसकी बिसात पिछले वर्ष ही बिछनी शुरू हो गई थी, जब केस का पर्दाफाश करने वाले नंदलाल को साढ़े तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। नंदलाल पर वर्ष 2007 में बयान से मुकरने पर केस दर्ज किया गया था।
नंदलाल ने दर्ज कराई थी पहली रिपोर्ट
नंदलाल ने ही सबसे पहले बेटी के लापता होने पर गुमशुदगी दर्ज कराई थी। कोर्ट के आदेश पर मामले में पहली रिपोर्ट सेक्टर 20 कोतवाली में दर्ज की गई थी। घटना के बाद कोर्ट में जब केस की सुनवाई शुरू हुई तो नंदलाल ने बयान भी दिया था कि उसने पंढेर को एक पुलिस अधिकारी को पांच सौ रुपए की गड्डी देते हुए देखा था।
हालांकि, सुनवाई के कुछ समय बाद ही नंदलाल बयान से मुकर गया। कोर्ट ने बयान से मुकरने के मामले में उसको सजा सुनाई थी। यदि शुरुआत में ही नंदलाल बयान से नहीं मुकरता तो आरोपितों को संदेह का लाभ न मिलता। उत्तराखंड से नौकरी की तलाश में नोएडा आए नंदलाल की बेटी सात मई 2006 को अपने घर से यह कहकर निठारी आई थी कि उसे कोठी मालिक मोनिंदर पंढेर ने नौकरी देने के लिए बुलाया है।
लंबे अंतराल तक वह घर वापस नहीं आई तो नंदलाल बेटी को ढूंढते हुए पंढेर के पास पहुंचा। पंढेर ने उससे कह दिया था कि उसकी बेटी कोठी पर नहीं आई। परेशान होकर नंदलाल सेक्टर 20 कोतवाली गया। वहां उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो उसने कोर्ट का सहारा लिया। कोर्ट के आदेश पर बेटी के गायब होने की रिपोर्ट सेक्टर 20 कोतवाली में दर्ज हुई।
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रिक्शा चालक ने दिखाई थी राह
केस से जुड़े रहे पुलिसकर्मी बताते है कि नंदलाल जब अपनी बेटी को ढूंढ रहा था, तब उसको रिक्शा चालक सतलर मिला। रिक्शा चालक ने ही बताया था कि उसने बेटी को पंढेर की कोठी पर छोड़ा था। वह यह कहकर गई थी अभी थोड़ी देर में आती हूं। उसके बाद से वह वापस नहीं आई।
नहीं लगने दिए थे सीसीटीवी कैमरे
जानकार बताते हैं कि उस दौरान जब लगातार बच्चे गायब हो रहे थे तो पुलिस ने पंढेर की कोठी के आस-पास सीसीटीवी कैमरे लगवाने के प्रयास किए थे, लेकिन पंढेर ने कैमरे नहीं लगने दिए थे। उस दौरान यदि कैमरे लग जाते तो कहानी कुछ और ही होती।
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