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Nithari Kand: फैसला सुनते ही खूनी कोठी पहुंचे हर्ष के पिता, फेंके ईंट-पत्थर और फफक कर रोए; बोले- अब योगी दिलाएं इंसाफ

निठारी कांड में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिस तरह सुरेंद्र कोली को 12 केस और मनिंदर सिंह पंधेर को दो केस में बरी कर दिया इसके बाद सभी पीड़ित परिवारों में न्याय की आस कम हो गई है। हर्ष नाम के बच्चे के पिता सोमवार के फैसले से इतने आहत हुए कि पंढेर की कोठी के सामने पहुंचकर उस पर ईंट-पत्थर फेंके।

By Jagran NewsEdited By: Pooja TripathiUpdated: Tue, 17 Oct 2023 12:48 PM (IST)
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निठारी कांड का फैसला आने के बाद हर्ष के पिता ने पंढेर की कोठी पर फेंका पत्थर। जागरण

वैभव तिवारी, नोएडा। अपने बेटे हर्ष को खोने वाले पीड़ित राम किशन ने निर्णय आने के बाद सेक्टर- 31, डी-पांच पहुंचकर पत्थर फेंक कर नाराजगी व्यक्त की है।

रामकृष्ण का साढ़े तीन साल का बेटा हर्ष 2006 में घर के बाहर से गायब हुआ था। फैसला आने पर वह मौके पर रोने लगे। इसके साथ जांच एजेंसी पर भी सवाल खड़ा किया है।

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मैक्स के पिता का भी बुरा हाल

इसी दौरान अपने बेटे मैक्स को खोने वाले अशोक कहते हैं कि हम गरीब हैं। अभी तक न्याय नहीं हुआ है। वहीं, पप्पू ने भी जांच एजेंसी पर सवाल खड़ा किया है। उनकी बेटी की भी हत्या कर दी गई थी।

ज्योति को न्याय का 18 साल बाद भी इंतजार

'बिटिया ज्योति के गए हुए 18 वसंत बीत गए हैं, उसका क्रिया कर्म भी नहीं कर पाया हूं। एक आस थी न्याय की, लेकिन बिटिया के दोषियों को अभी तक कोई सजा नहीं मिली है। निठारी कांड में न्यायालय के निर्णय के बाद मन कचोट रहा है। आखिर कौन दोषी है?' यह कहना है उन्नाव बांगर मऊ के रहने वाले झब्बू लाल का।

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उन्होंने कहा कि 29 दिसंबर 2006 को मनिंदर सिंह पंधेर और नौकर सुरेंद्र कोली के गिरफ्तार होने के करीब डेढ़ वर्ष पहले बेटी लापता हुई थी, जो पंधेर के कोठी के पास पीको कराने गई थी।

करीब आधे घंटे तक बेटी के लौट के नहीं आने पर मौके पर जाकर देखा तो बेटी का पता नहीं चला। सुरेंद्र कोली कोठी के सामने खड़ा था। उसने बताया कि उसकी बेटी नहीं आई है। पर उसके बाद से आज तक बेटी की तलाश ही हो रही है।

बच्चों को खिलौने और बड़ों को काम के लिए कोठी में बुलाते थे

झब्बू लाल दावा करते हैं कि पुलिस की हिरासत में मनिंदर सिंह पंधेर और नौकर सुरेंद्र कोली ने माफ करने की बात कही थी। उनका दावा है कि बच्चों को खिलौने व फूल दिखाकर जबकि बड़ों को काम करने के लिए बुलावा देकर शिकार किया जाता था।

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दावा करते हैं कि एक केस में उनके वकील के माध्यम से 50 लाख रुपये देने की पेशकश की गई। और यहां से बाहर जाने को कहा गया, लेकिन मीडिया के सामने पैसे देने की शर्त पर संस्था के लोग पीछे हट गए। ज्योति की मां सुनीता रोते हुए कहती हैं कि तीन बेटा व तीन बेटी थे।

डॉक्टर बनना चाहती थी मेरी बेटी

एक बेटी को हैवान ने निगल लिया। बेटी अक्सर कहती थी कि मां मैं डॉक्टर बनूंगी प्रेस का काम नहीं करूंगी। बच्चों के बैठकर खाना खाते समय आज ज्योति की याद आती है, लेकिन ज्योति का कहीं पर पता नहीं चला है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दोषियों को फांसी देने की मांग की है।

दंपत्ति पिछले 20 वर्ष से मनिंदर सिंह पंधेर की कोठी के पास कपड़ा प्रेस करने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि बेटी की चप्पल व कपड़ा कोठी के पीछे ही मिला था।