वह लोग आज भी सिहर जाते हैं, जिनके बच्चों के कंकाल कोठी के पीछे मिले थे। निठारीवासियों को वह मंजर याद आता है, जब पूरे देश ने पंधेर और कोली की करतूतों पर थूका था। नोएडा के नाम पर निठारी एक ऐसा धब्बा बन गया, जिसे शायद ही कभी धोया जा सके।
एक बार सवाल खड़े हुए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपित सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर की फांसी की सजा को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने सुरेंद्र को 12 मामलों और पंधेर को दो मामलों में बरी कर दिया है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है कि 17 वर्ष बाद 19 मासूमों की हत्या करने वाला आखिर कौन है। पीड़ित परिवार हाई कोर्ट में सीबीआई की कमजोर पैरवी को जिम्मेदार मान रहा है।
नोएडा सेक्टर-31 डी-5 स्थित मोहिंदर सिंह पंधेर की कोठी में उगी झाड़ियां।
क्या था निठारी कांड?
नोएडा के सेक्टर-31 स्थित कोठी नंबर डी-5 का सच सामने आने की शुरुआत एक युवती की गुमशुदगी के साथ हुई। वर्ष 2006 में पायल नाम की एक लड़की निठारी की पानी की टंकी के पास से लापता हो गई थी। ये वही जगह थी, जहां दो साल के भीतर कई बच्चे गायब हुए, लेकिन पुलिस के कान पर जूं नहीं रेंगी।
पायल के पिता नंदलाल ने बड़े व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंधेर पर अपहरण का आरोप लगाया, लेकिन पुलिस ने शिकायत नहीं लिखी। कोर्ट के दखल के बाद नंदलाल की शिकायत पर 15 दिसंबर 2006 को मोनिंदर और सुरेंद्र से पूछताछ की गई।तत्कालीन निठारी चौकी प्रभारी सिमरनजीत कौर व सीओ दिनेश यादव ने कोर्ट में जो रिपोर्ट पेश की, उसमें पंधेर और कोली को क्लीन चिट दी गई थी। मामले में मोड़ तब आया, जब लापता पायल का मोबाइल ऑन हो गया। इसके जरिये पुलिस सुरेंद्र कोली तक पहुंची।
कोली ने पायल के साथ-साथ उन बच्चों की कहानी भी बताई, जिनकी हत्या की गई थी। सुरेंद्र और मोनिंदर से रात भर की पूछताछ के बाद अगली सुबह कोठी के पीछे खोदाई की गई और फिर बच्चों के नर कंकाल सामने आए। 11 जनवरी 2007 को सीबीआई ने पूरा केस अपने हाथ में ले लिया। जिसके बाद सीबीआई ने जांच की।
खाना बनाने में थी महारत
सुरेंद्र कोली मूलरूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा का रहने वाला है। उसका परिवार भेड़-बकरियां चराकर गुजारा करता था। वर्ष 2000 में एक ब्रिगेडियर अल्मोड़ा घूमने गए थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात सुरेंद्र कोली से हुई थी। सुरेंद्र कोली को स्वादिष्ट खाना बनाने आता था। उसकी इसी खूबी ने बिग्रेडियर को खुश कर दिया। इसके बाद कोली बिग्रेडियर के साथ दिल्ली आ गया और उनके यहां खाना बनाने लगा।
पंधेर से कोली की मुलाकात
ब्रिगेडियर के घर रहने के दौरान वर्ष 2003 में सुरेंद्र कोली की पहचान मोनिंदर सिंह पंधेर से हुई थी। इसके बाद पंधेर सुरेंद्र को अपने साथ नोएडा लेकर आ गया। जब सुरेंद्र कोली नोएडा आया तो उसके बाद उसने अपने परिवार को भी बुला लिया, लेकिन जब उसके मालिक मोनिंदर सिंह पंधेर का परिवार पंजाब चला गया तो कोली ने भी अपनी पत्नी को घर भेज दिया था। उसके बाद नोएडा की कोठी में पंढेर और कोली ही रह रहे थे।
कोली तक कैसे पहुंची पुलिस
7 मई 2006 को निठारी में रहने वाली एक युवती को पंधेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था। इसके बाद युवती घर नहीं लौटी। युवती के पिता ने कोतवाली सेक्टर-20 में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस हरकत में आई। 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंधेर की कोठी के पीछे 19 बच्चे-बच्चियों और महिलाओं के कंकाल मिले। इस मामले में पुलिस ने पंधेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था।
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इनकी हुई थी कोठी में हत्या
रचना, रिंपा हलधर, बीना, पायल, ज्योति, हर्ष, निशा, पुष्पा विश्वास, सतेंद्र उर्फ मैक्स, दीपाली, नंदा देवी, पिंकी सरकार, दीपिका उर्फ पायल, शेख रजा खान, सोनी, अंजलि, आरती और दो अज्ञात।
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