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Nithari Kand: बरी होने पर भी मोनिंदर पंढेर ही आ पाएंगे बाहर, कोली को अभी रहना होगा सलाखों के पीछे; जानिए वजह

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (16 अक्टूबर) को निठारी कांड में दोषी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है। इन्हें सबूतों के अभाव में बरी किया गया है। मोनिंदर की वकील मनीषा भंडारी ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर पंढेर जेल से बाहर आ जाएंगे लेकिन कोली के अभी भी जेल में रहने की संभावना है।

By AgencyEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 16 Oct 2023 07:35 PM (IST)
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मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली (फाइल फोटो)।

पीटीआई, नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (16 अक्टूबर) को निठारी कांड में दोषी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है। इन्हें सबूतों के अभाव में बरी किया गया है। मोनिंदर की वकील मनीषा भंडारी ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर पंढेर जेल से बाहर आ जाएंगे, लेकिन कोली के अभी भी जेल में रहने की संभावना है। एक मामले में उन्हें अब भी उम्रकैद की सजा का सामना करना पड़ रहा है।

दोनों दोषियों को बरी करने के बाद से एक बार फिर 2006 के निठारी कांड की याद ताजा हो गई है, जिसमें लड़कियों और बच्चों को निशाना बनाकर दफना दिया गया था और उनके कंकाल के अवशेष मिले थे।

न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएचए रिजवी की पीठ ने दोनों की अपील को अनुमति दी। उन्होंने गाजियाबाद की एक सीबीआई अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को चुनौती दी थी।

नई दिल्ली में सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि टीम हाईकोर्ट के फैसले की प्रति (कॉपी) का इंतजार कर रही है। इसके बाद अगले कदम पर फैसला करेगी।

कितने मामले में सुनाई गई सजा

गाजियाबाद जेल में बंद कोली को इलाहाबाद कोर्ट ने 12 मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी। नोएडा जेल में बंद उनके पूर्व नियोक्ता पंढेर को दो मामलों में मौत की सजा का सामना करना पड़ा। दोनों पर दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाया गया और उन हत्याओं में मौत की सजा सुनाई गई।

2007 में पंढेर और कोली के खिलाफ कुल 19 मामले दर्ज किए गए थे। सबूतों की कमी के कारण सीबीआई ने 19 में से तीन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। बाकी 16 मामलों में से कोली को पहले तीन मामलों में बरी कर दिया गया था और एक मामले में उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था।

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यूपी सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित

कोली की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में अभी भी लंबित है। बाकी 12 मामलों में उन्हें सोमवार को बरी कर दिया गया।

पंढेर की वकील ने कहा कि शुरुआत में उन पर छह मामलों में आरोप लगाए गए थे। एक मामला सीबीआई द्वारा दर्ज किया गया और पांच मामलों पीड़ितों के परिवारों के कहने पर दर्ज हुए थे। उन्हें पहले तीन मामलों में सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया था। बाकी तीन मामलों में, एक 2009 में और दो में सोमवार को पंढेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है।

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