जेवर माइनर के पानी से होगा नोएडा एयरपोर्ट का निर्माण, वाटर मैनेजमेंट को लेकर बनाया गया प्लान
सीईओ डा. अरुणवीर सिंह ने बताया कि नोएडा एयरपोर्ट पर पानी की दीर्घकालिक उपलब्धता को देखते हुए प्लान तैयार किया जा रहा है। एयरपोर्ट पर जैसे-जैसे यात्रियों की संख्या यातायात बढ़ेगा। पानी की जरूरत भी बढ़ेगी इसलिए सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
By Arvind MishraEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 07 Sep 2022 11:53 AM (IST)
ग्रेटर नोएडा, जागरण संवाददाता। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण कार्य के लिए जेवर माइनर से पानी की आपूर्ति होगी। यमुना नदी के किनारे रेनीवेल बनाकर 15 एमएलडी पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा तीन टैंक भी बनाए जाएंगे। एयरपोर्ट के वाटर मैनेजमेंट प्लान को लेकर मंगलवार को यमुना प्राधिकरण कार्यालय में बैठक हुई।
साल 2024 तक पूरा होगा एयरपोर्ट का निर्माण
प्राधिकरण सीईओ डा. अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में सिंचाई विभाग, विकासकर्ता कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. के अधिकारी शामिल हुए। नोएडा एयरपोर्ट का निर्माण कार्य चल रहा है। मार्च-अप्रैल 2024 तक एयरपोर्ट का निर्माण पूरा कर ट्रायल शुरू हो जाएगा।
सितंबर अंत में एयरपोर्ट से यात्री सेवाओं की शुरुआत हो जाएगी। एयरपोर्ट के निर्माण कार्य से लेकर संचालन शुरू होने पर सफाई, पेयजल आदि के लिए काफी मात्रा में पानी की जरूरत होगी। सिंचाई विभाग ने पूर्व में एयरपोर्ट के लिए हर माह पंद्रह दिन जलापूर्ति करने की सहमति दी थी, लेकिन विकासकर्ता कंपनी महीने भर पानी की आपूर्ति चाहती है।
पांच विकल्प पर किया गया विचार
एयरपोर्ट का वाटर मैनेजमेंट प्लान निश्चित करने के लिए यमुना प्राधिकरण एवं नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. (नियाल) सीईओ डा. अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। समिति की मंगलवार को बैठक में पांच विकल्प पर विचार किए गया। पहले विकल्प के रूप में हापुड़ के देहरा से नोएडा एयरपोर्ट तक पाइप लाइन के जरिये पानी पहुंचाने की योजना पर विचार हुआ।
इसमें तय हुआ कि पहले देहरा से एयरपोर्ट तक पाइप लाइन बिछाने की व्यावहारिकता, जमीन अधिग्रहण, निर्माण खर्च व कार्य में लगने वाले समय आदि का आकलन किया जाए। दूसरे विकल्प में ग्रेटर नोएडा के सीवेज एसटीपी से निर्माण कार्य के लिए पानी की आपूर्ति पर विचार हुआ। इसके लिए 45 किमी पाइप लाइन की जरूरत होगी। इसमें भी जमीन अधिग्रहण, लाइन बिछाने में आने वाला खर्च व अड़चन, निर्माण में लगने वाले समय पर विचार किया गया।
सिंचाई विभाग ने जेवर में लगाया रेगुलेटर
बैठक में तीन अन्य विकल्प को प्राथमिकता देने का फैसला हुआ। जेवर माइनर से निर्माण कार्य के लिए पानी देने पर फैसला हुआ। सिंचाई विभाग ने जेवर में रेगुलेटर लगाया है। एयरपोर्ट के नजदीक होने के कारण पानी का आपूर्ति के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। एयरपोर्ट साइट पर पानी भंडारण के लिए तीन टैंक बनाने पर भी विचार हुआ। इसके लिए तीन हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी।
यमुना के किनारे रैनीवेल बनाने का भी फैसला हुआ। इसके जरिये एयरपोर्ट को 15 एमएलडी तक पानी उपलब्ध हो सकेगा। इससे पेयजल व अन्य जरूरत पूरी हो सकेंगी।
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