Move to Jagran APP

नोएडा प्राधिकरण भूलेख अधिकारियों ने कागजों में 80 किसानों को दिया 10 प्रतिशत विकसित प्लॉट, ऐसे खुली पोल

नोएडा प्राधिकरण की ओर से किसी भी किसान को 10 प्रतिशत का विकसित प्लॉट नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत गलत शपथ पत्र से इसकी पोल खुली है। इस पर 11 किसानों ने भूलेख विभाग के शपथ पत्र को चुनौती दी है। जुलाई में कोर्ट खुलते ही इस पर सुनवाई होनी है। एडा प्राधिकरण सीईओ डॉ. लोकेश एम ने मामले की जांच के आदेश दिया है।

By Kundan Tiwari Edited By: Abhishek Tiwari Published: Thu, 27 Jun 2024 07:45 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2024 07:45 AM (IST)
प्राधिकरण ने किसानों को विकसित प्लॉट नहीं दिया है।

कुंदन तिवारी, जागरण नोएडा। इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश बावजूद आज तक नोएडा प्राधिकरण ने किसी भी किसान को 10 प्रतिशत का विकसित प्लॉट नहीं दिया है, लेकिन कागजी दस्तावेजों में दो गांव सदरपुर और झट्टा के 80 किसानों को दस प्रतिशत विकसित प्लॉट प्राधिकरण द्वारा दिए जाने का दावा किया गया है।

मामला संज्ञान में आने पर दिया जांच का निर्देश

इसके संबंध में सुप्रीम कोर्ट में प्राधिकरण के भूलेख विभाग की तरफ से शपथ पत्र भी जमा किया गया है। इस शपथ पत्र को फर्जी बताते हुए सदरपुर गांव से 11 किसानों ने चुनौती दी है। कहा है कि जिन किसानों के नाम शपथ पत्र में शामिल किए गए है, उनमें से एक को भी प्लॉट का आवंटन नहीं हुआ है। मामला नोएडा प्राधिकरण सीईओ डॉ. लोकेश एम के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने इस मामले की विभागीय जांच के निर्देश दिए है।

सुप्रीम कोर्ट में इतना बड़ा मामला होने के बावजूद प्राधिकरण विधि अधिकारियों ने इसे दबाने का प्रयास किया, लेकिन मुख्य विधि सलाहकार को यह बात बताना भी मुनासिफ नहीं समझा। जबकि प्रकरण में प्राधिकरण सीईओ डॉ. लोकेश एम और उत्तर प्रदेश मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र को पार्टी बनाया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बनाया आधार

इस प्रकरण पर शहदरा गांव के किसान भीम सिंह व उनका बेटा अभिषेक सिंह बताते हैं कि किसानों को 10 प्रतिशत विकसित प्लॉट नहीं देने पर वर्ष 2022 में भाई प्रताप सिंह के नाम पर सुप्रीम कोर्ट में प्राधिकरण के खिलाफ अवमानना का मामला लेकर गए। वर्ष 2015 में सावित्री देवी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाया।

इस पर तत्कालीन न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी ने प्राधिकरण सीईओ रितु माहेश्वरी को सात मई 2023 को कोर्ट बुलाकर तीन बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी। कितने किसानों को अब तक दस प्रतिशत का विकसित प्लॉट दिया।

दूसरा किस आधार पर मुआवजा वितरण कर रहे है किसी को जमीन तो किसी को राशि दे रहे है। आपके पास जमीन है या नहीं। सात जुलाई 2023 को प्राधिकरण ने एक शपथ पत्र दिया। इसमें सदरपुर गांव से 74 व झट्टा गांव से 6 लोगों को दस प्रतिशत का विकसित प्लॉट वर्ष 2016 में ही आवंटित करने का दावा किया।

किसानों को नहीं मिला प्लॉट

जानकारी से जब सदरपुर के लोगों को अवगत कराया गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी किसान को आज तक दस प्रतिशत का विकसित प्लॉट नहीं दिया गया। जबकि शपथ पत्र में भूलेख विभाग के तत्कालीन ओएसडी (डी) प्रसून द्विवेदी, उपजिलाधिकारी (वी) वंदना त्रिपाठी, लेखपाल मनोज कुमार सिंघल, लेखपाल महेश कुमार, लेखपाल मुकुल कुमार, लेखपाल विनय कुमार, लेखपाल प्रवेश कुमार दीक्षित ने हस्ताक्षर है।

प्राधिकरण के इस फर्जी शपथ पत्र पर सदरपुर के किसान महेंद्र, हरपाल (मृत्यु), राम निवास, रूबी, चरण सिंह, रणधीर, नेमवती, सुरेश, महेश, विजय ने 24 जनवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी।

74 किसान भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

चुनौती देने वाले किसान चरण सिंह ने बताया कि वर्ष 2011 में गजराज मामले में हाई कोर्ट इलाहाबाद से 10 प्रतिशत विकसित प्लॉट और 64.7 प्रतिशत का अतिरिक्त मुआवजा का आदेश हुआ। फैसले के खिलाफ प्राधिकरण सुप्रीम कोर्ट चला गया, पीछे से गांव के 74 किसान भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट इलाहाबाद के फैसले को सही ठहराया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्राधिकरण को सदरपुर गांव के 74 किसानों को 10 प्रतिशत विकसित प्लॉट की रिपोर्ट देनी पड़ी, जिसमें वर्ष 2016 में लिखित पत्र के जरिये अवगत कराया गया कि दस प्रतिशत प्लॉट देने के लिए 74 किसानों की जमीन सेक्टर-145 में आरक्षित है, लेकिन आवंटन आज तक नहीं।

जुलाई में कोर्ट खुलते ही होगी सुनवाई 

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में प्राधिकरण की ओर से प्रताप सिंह प्रकरण में सौंपे शपथ पत्र को चुनौती दी गई है। इस प्रकरण की तीन तिथि सुप्रीम कोर्ट में पड़ने के बाद जब कुछ नहीं हुआ तो पता चला कि प्राधिकरण के वकील ने हमारी वकील को मिला लिया है, इसलिए वकील बदल दिया गया। जुलाई में कोर्ट खुलते ही सुनवाई होनी है।

उन्होंने यह बताया कि प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में जो शपथ पत्र दिया है, उसमें जमीन का आंकड़ा भी गलत है। मेरी जमीन 2484.55 वर्ग मीटर दिखाई गई है, लेकिन मेरी जमीन 1644 वर्ग मीटर है। आनन फानन में पूरी तरह से फर्जी शपथ पत्र देकर कोर्ट को गुमराह किया गया है।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.