Noida Data Center: अब बढ़ने वाली है जिले में बिजली की खपत, विदेशों में समुंद्र के नीचे होते हैं ये सेंटर
Noida Data Center शहर में तीन और डाटा सेंटर निर्माणाधीन हैं। डाटा सेंटर के संचालन में बड़े स्तर पर बिजली की खपत होती है। चारों डाटा सेंटर 470 मेगावाट बिजली से चलेंगे। यह जिले की कुल बिजली खपत की करीब आधी के बराबर है।
नोएडा, अजय चौहान। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहर में पहले डाटा सेंटर का शुभारंभ किया। इसके साथ ही शहर में तीन और डाटा सेंटर निर्माणाधीन हैं। डाटा सेंटर के संचालन में बड़े स्तर पर बिजली की खपत होती है। चारों डाटा सेंटर 470 मेगावाट बिजली से चलेंगे। यह जिले की कुल बिजली खपत की करीब आधी के बराबर है। जिले की औसत मासिक बिजली खपत 1050 मेगावाट है। इस वर्ष गर्मियों में मांग में अप्रत्याशित वृद्धि होने के चलते 150 मेगावाट की बढ़ोतरी हुई है। पहले 900 मेगावाट तक औसत खपत थी। डाटा सेंटर से इतर बढ़ते औद्योगिक निवेश को देखते हुए स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में जिले में बिजली की मांग तेजी से बढ़ेगी।
किस सेंटर को कितनी मिल रही बिजली
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम ने चारों डाटा सेंटर को बिजली कनेक्शन जारी कर दिए हैं। इसमें हीरानंदानी समूह का 200 मेगावाट, माइक्रोसाफ्ट का 120 मेगावाट, अदाणी का 80 व एनटीटी का 70 मेगावाट का क्षमता का कनेक्शन है। डाटा सेंटर पर बिजली खपत का अनुमान इससे लगा सकते हैं कि सेक्टर-80 में सैमसंग का कनेक्शन भी 50 मेगावाट का ही है।
विद्युत निगम ने शुरू की तैयारी
बिजली की खपत को देखते हुए निर्बाध आपूर्ति देना निगम के लिए बड़ी चुनौती है। इसको देखते हुए विद्युत निगम ने अपनी तैयार शुरू कर दी है। निगम जिले में छह नए उपकेंद्र बना रहा है। इसमें तीन 220 केवी व तीन 132 केवी के हैं। ग्रेटर नोएडा के जलपुरा, नालेज पार्क-5 व नोएडा सेक्टर-45 में 220 केवी के उपकेंद्र निर्माणाधीन है। ग्रेटर नोएडा के इकोटेक-8, इकोटेक-10 व यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-28 में 132 केवी के उपकेंद्र बन रहे हैं। इसके साथ ही बिजली ढांचा सुदृढ़ करने को जिले में स्काडा सिस्टम लागू किया जाएगा। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
उच्च कूलिंग की होती है जरूरत
उच्च कूलिंग की होती है जरूरत डाटा सेंटर पर बड़े-बड़े सिस्टम लगे होते हैं। यह जल्द गर्म होते हैं। ऐसे में उच्च स्तर पर कूलिंग की आवश्यकता होती है। बिजली की अधिक खपत होती है। इसको देखते हुए कुछ कंपनियों ने अपने डाटा सेंटर समुद्र के नीचे बनाए हैं। वहां पर कैप्सूल रखे जाते हैं, केबल से वह कंपनी के सिस्टम से जुड़े होते हैं।
तेजी से बढ़ रही क्षमता
जिले में बढ़ते निवेश को देखते हुए बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर की क्षमता तेजी से बढ़ाई जा रही है। इस समय 220 व 132 केवी के छह उपकेंद्र बन रहे हैं। यह अगले दो साल में शुरू हो जाएंगे।
प्रवीन कुमार, अधिशासी अभियंता ट्रांसमिशन