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गजब हाल: ग्रेप से पहले उखाड़ा प्रदेश का पहला एंटी स्मॉग टावर, मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने किया था लोकार्पण

Noida News नोएडा में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए लगाया गया पहला एंटी-स्मॉग टावर ग्रेप लागू होने से पहले ही हटा दिया गया है। इस कदम से पर्यावरणविदों ने सवाल उठाए हैं। टावर को ठीक करने के लिए हैदराबाद भेजा गया है और चार से पांच महीने में इसे फिर से लगाया जाएगा। आगे विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Tue, 12 Nov 2024 10:49 AM (IST)
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ग्रेप लागू होने के पहले ही शहर में लगा प्रदेश का पहला एंटी स्मॉग टावर हटा दिया गया। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, नोएडा। वायु प्रदूषण को लेकर नोएडा प्राधिकरण कितना गंभीर है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ग्रेप लागू होने के पहले ही शहर में लगा प्रदेश का पहला एंटी स्मॉग टावर हटा दिया गया। टावर का तत्कालीन भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने 17 नवंबर 2021 लोकार्पण किया था।

शहर में अन्य जगहों पर भी इस तरह के टावर लगवाए जाने की बात कही गई थी। मौके पर लगाया गया शिलापट भी हटा दिया गया है। पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ ने सवाल उठाकर प्राधिकरण अधिकारियों की वायु प्रदूषण नियंत्रण करने की मंशा पर सवाल खड़ा किया है।

हालांकि, नोएडा प्राधिकरण जन स्वास्थ्य विभाग के महाप्रबंधक एसपी सिंह का कहना है कि टावर खराब हो गया था। ठीक करने के लिए हैदराबाद भेजा गया है, जो चार से पांच माह में दोबारा लग जाएगा। यह टावर सीईओ की अनुमति के बाद ही हटाया गया है। लेकिन शिलापट हटाने की बात पर चुप्पी साध गए।

टावर से सामने आए डेटा पर होगा रिसर्च

उधर, बीएचईएल (भेल) डीजीएम संतोष कुमार ने बताया कि टावर हटाकर ले जाए जाने की जानकारी प्राधिकरण को आधिकारिक तौर पर दी जा चुकी है। यह रिसर्च एंड डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट था, जिसका परीक्षण करने के लिए रिसर्च टीम के पास हैदराबाद भेजा गया है, लेकिन अभी यह बता पाना संभव नहीं है कि इस टावर को दोबारा लगाया जाएगा या नहीं। अब इस टावर से सामने आए डेटा पर रिसर्च होगा। नया टावर बनवाने को लेकर विचार-विमर्श होगा।

कभी आंकड़ा नहीं हुआ सार्वजनिक

पर्यावरण विद विक्रांत तोंगड़ ने कहा कि इस टावर से एक किलोमीटर की परिधि में हवा की गुणवत्ता सुधारने का दावा किया जा रहा था। सेक्टर-16, 16 ए, 16 बी, 17 ए, 18, डीएनडी और नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे की हवा में प्रदूषण घटा। टावर चालू होने के बाद बीच में भी कई बार बंद हुआ और चालू होता रहा है। कितने दायरे में कितनी हवा साफ की गई, ये आंकड़े भी सार्वजनिक नहीं किए।

ऐसे लगा था टावर

सेक्टर-16 ए में 400 वर्गमीटर पर लगाया गया था टावर

ऊंचाई 20 मीटर

आवरण का व्यास 4.5 मीटर

आधार का व्यास 7 मीटर

भार 37 मीट्रिक टन

ध्वनि स्तर लेस देन 65 डीबी

भूकंप डिजाइन अनुपालन जोन 4

फिल्ट्रेशन कण का आकार 2.5 तक

यह था काम

प्लेटेड फिल्टर पीएम 2.5 तक के आकार के पार्टिकुलेट मैटर के लिए

एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर वातावरण की हानिकारक गैस को साफ करने के लिए

इसके संचालन में हर साल करीब 17 लाख रुपये का खर्च आता था

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टावर इसलिए लगाया गया था टावर को बीएचईएल (भेल) ने प्राधिकरण के साथ मिलकर 17 नवंबर 2021 में रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के तहत करीब 4 करोड़ में लगवाया था। इसकी क्षमता एक किमी रेडियस की थी। यानी इस दायरे में वायु की गुणवत्ता सुधारने को पीएम-10 और 2.5 दोनों धूल के कणों को साफ करना था। जब टावर शुरू हुआ था, उस समय अधिकारियों ने कहा था कि इसे प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। अब जो बदलाव होने हैं, उसमें मुख्य रूप से फिल्टर पर काम होगा। इसके साथ ही हवा नीचे से खींचकर ऊपर की तरफ छोड़ी जाए या ऊपर से खींचकर नीचे निकाली जाए। इस पर भी निर्णय होगा।

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