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Noida-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ब्याज के साथ बिल्डरों से वसूलेगा 55 हजार करोड़, सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत

धन की कमी से जूझ रहे नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को देश की सर्वोच्च अदालत से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों पर दोनों प्राधिकरणों के बकाया 55 हजार करोड़ रुपये वसूलने का रास्ता साफ कर दिया।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Tue, 08 Nov 2022 10:56 AM (IST)
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Noida-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ब्याज के साथ बिल्डरों से वसूलेगा 55 हजार करोड़
नोएडा, जागरण संवाददाता। धन की कमी से जूझ रहे नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को देश की सर्वोच्च अदालत से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों पर दोनों प्राधिकरणों के बकाया 55 हजार करोड़ रुपये वसूलने का रास्ता साफ कर दिया। कोर्ट ने करीब एक वर्ष पहले मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को फैसला सुनाया गया।

इसके साथ रिव्यू पिटिशन में प्राधिकरणों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत बिंदुओं को सही ठहराया गया। इससे उन 225 बिल्डरों के सामने कोई विकल्प नहीं बचा है, जो नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की भारी भरकम रकम को दबा बैठे थे।

2020 में प्राधिकरण को बकाया वसूलने को कहा

बता दें कि 25 अगस्त 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के मार्जिनल कास्ट आफ फंड बेस्ड लैंडिंग रेट (एमसीएलआर) के हिसाब से नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को बिल्डरों से बकाया वसूल करने का आदेश जारी किया था। इसके बाद नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने कोर्ट में 26 अक्टूबर को रिव्यू पिटिशन डाली थी।

एक साल पहले फैसला सुरक्षित रखा

प्राधिकरणों की ओर से इस याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (पूर्व सालिसिटर जनरल), मुकुल रोहतगी (पूर्व अटार्नी जनरल), वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र कुमार ने पैरवी की। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद एक साल पहले 13 नवंबर 2021 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस फैसले को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जारी कर बिल्डरों को तगड़ा झटका दिया है।

ब्याज के साथ वसूलेगा प्राधिकरण

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण की रिव्यू याचिका के सभी बिंदुओं को सही ठहरा अपने ही आदेश को पलट दिया है। इससे नोएडा में 90 डिफाल्टर बिल्डरों पर 40 हजार करोड़ और ग्रेटर नोएडा में 135 डिफाल्टर बिल्डरों से 15 हजार करोड़ रुपये की वसूली होगी। हालांकि नोएडा प्राधिकरण की ओर से बिल्डरों से बकाया वसूली में एसबीआइ की एमसीएलआर की दर को नौ जून 2020 से वसूल किया जाएगा। इससे पहले लीज डीड शर्त में शामिल 11.5 प्रतिशत ब्याज, एक प्रतिशत प्रशासनिक ब्याज दर और तीन प्रतिशत पेनाल्टी ब्याज दर के हिसाब से बकाया वसूलने का नियम है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब दोनों प्राधिकरणों को 19 हजार 301 करोड़ रुपये का लाभ होगा। यदि सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन यूनिटेक व अन्य परियोजनाओं की देयताओं को अलग-अलग कर दें तो भी नोएडा प्राधिकरण को 5,860 करोड़ रुपये और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को 3838 करोड़ रुपये व दोनों प्राधिकरण का मिलाकर 9698 करोड़ वित्तीय हित सुरक्षित हो गए हैं।

यह था मामला

वर्ष 2006 में नोएडा भू आवंटन नीति के तहत ग्रुप हाउसिंग में कुल लैंड की लागत का 10 प्रतिशत जमा कर भूखंड का आवंटन कर दिया जाता था। बाकी बकाया रकम किस्तों में जमा करनी होती थी। यह राशि छह-छह माह की किस्त पर आठ वर्ष में बिल्डरों को जमा करनी थी, जोकि जमा नहीं की गई। इससे बिल्डरों पर नोएडा प्राधिकरण में 26 हजार करोड़ बकाया हो गया, जबकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का 15 हजार करोड़ रुपये बकाया हो गया।

ग्रुप हाउसिंग का आदेश बिल्डरों ने वाणिज्यक-संस्थागत पर भी लागू किया

नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद जमकर मनमानी की। ग्रुप हाउसिंग के लिए दिया गया एमसीएलआर का आदेश स्वत: ही संस्थागत व वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए लागू कर दिया। इससे नोएडा में 15 हजार करोड़ रुपये का प्राधिकरण का भुगतान रोक दिया। इस आदेश के बाद बिल्डरों ने नोएडा प्राधिकरण के ग्रुप हाउसिंग विभाग का 26 हजार करोड़ का भुगतान रोक दिया था।

वाणिज्यिक, संस्थागत विभाग का करीब 15 हजार करोड़ रुपये की संपत्तियों का भुगतान रोक दिया था। इससे नोएडा प्राधिकरण में ग्रुप हाउसिंग का 26 हजार करोड़ रुपये के बकाया के साथ-साथ 15 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बकाया बिल्डरों का हो गया।

50 हजार फ्लैट खरीदारों की नहीं हो सकी रजिस्ट्री

नोएडा व ग्रेटर नोएडा में करीब 50 हजार ऐसे फ्लैट खरीदार हैं, जिनको अभी तक मालिकाना हक नहीं मिल सका है। सौ प्रतिशत बिल्डरों को भुगतान करने के बावजूद अभी तक रजिस्ट्री नहीं कराई गई है। इसमें नोएडा में 30 हजार खरीदार और ग्रेटर नोएडा में 17 हजार से अधिक फ्लैट खरीदार शामिल हैं। इनका मालिकाना हक तभी संभव है, जब बिल्डर बकाया रकम प्राधिकरण में जमा करे। ऐसे में खरीदारों की समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है।

याचिका में यह तथ्य किए गए शामिल

-राष्ट्रीकृत बैंकों की ब्याज प्रणाली

-प्राधिकरण की वित्तीय क्षति

-प्राधिकरण के वित्त न होने से पेंडिंग विकास कार्य

शहर                      बिल्डर                प्रोजेक्ट             डिफाल्टर                    बकाया

नोएडा                     65                      116                   90                     40 हजार करोड़

ग्रेटर नोएडा            100                      275                 135                    15 हजार करोड़

यह टॉप बकायेदार बिल्डर

यूनिटेक

आम्रपाली

सुपरटेक

लॉजिक्स

थ्री सी

ओमेक्स

मुख्य कार्यपालक अधिकारी (नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण) रितु माहेश्वरी ने बताया कि बकाया वसूलने के लिए तीन बिंदुओं पर काम किया जाएगा। इसमें बिल्डरों को आवंटित भूखंड की लीज डीड रद होगी। आरसी जारी होगी, संपत्ति जब्त होगी।

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