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नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फ्लैट खरीदारों को रजिस्ट्री के लिए करना होगा इंतजार, CREDAI के बयान से बढ़ी चिंता

Noida Property News क्रेडाई एनसीआर ने मंगलवार को एक अहम बैठक कर नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि अगर दिक्कत बढ़ी तो उनके लिए एनसीएलटी में जाना एक मात्र विकल्प होगा।

By Kundan TiwariEdited By: JP YadavUpdated: Wed, 30 Nov 2022 09:45 AM (IST)
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किसानों की समस्या से देरी हुई फ्लैटों के नि्र्माण में।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नोएडा के साथ-साथ ग्रेटर नोएडा में  भी सबसे बड़ा मुद्दा होम बायर्स की रजिस्ट्री का है। प्राधिकरण यह तब शुरू कराएगा जब बिल्डर बकाया रकम जमा करेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बकाया रकम जमा रकने के लिए बिल्डरों को नोटिस जारी किया है। इसको देखकर मंगलवार को क्रेडाई एनसीआर के तत्वाधान में 100 से रियल एस्टेट डेवलपर्स ने बैठक की, जिसमें उन्होंने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से बायर्स के हितों का ध्यान रखने की अपील की।

बिल्डरों ने कहा कि इस आदेश से करीब 1.5 लाख घरों की रजिस्ट्री में देरी हो सकती है। रेरा के प्रविधानों के अनुसार खरीदारों ने पहले ही बड़ी संख्या में ऐसी संपत्तियों पर कब्जा कर लिया है। इस मौके पर क्रेडाई ने प्राधिकरण को बिल्डर परियोजनाओं के देरी होने की वजह से अवगत कराया।

किसानों की समस्या से भी हुई देरी

उन्होंने बताया कि ओखला पक्षी अभयारण्य पर एनजीटी ने अपने आदेश में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी। किसानों के मुआवजे के मुद्दे के निपटारे में असाधारण रूप से लंबा समय लगा। मूल बुनियादी ढांचे का विकास और भूखंडों तक बिजली की पहुंच, जैसा प्राधिकरणों द्वारा वादा किया गया था, निर्धारित समय के भीतर अमल में नहीं लाया गया।

योजनाओं में संशोधन से हुई देरी

नतीजतन डेवलपर्स को जमीन का पजेशन लेना टालना पड़ा। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की योजनाओं के संशोधन ने भी निर्माण को बाधित किया। नोटिस में विकासकर्ताओं के दृष्टिकोण को ध्यान में नहीं रखा गया। क्रेडाई एनसीआर अध्यक्ष मनोज गौर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और प्राधिकरणों की प्रतिक्रिया का अध्ययन करने के बाद डेवलपर्स ने महसूस किया कि 15-23 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज अंतिम राशि को काफी हद तक बढ़ा देगा।

बिल्डरों का ओटीएस स्कीम निकालने का आग्रह

हमारा विचार है कि अंतिम कीमत बाजार दर से कहीं अधिक होगी। ऐसे में हमें एनसीएलटी का सहारा लेना पड़ सकता है। इसके अलावा कब्जा और पूर्णत : प्रमाण पत्र बकाया राशि की निकासी से जुड़ा हुआ है, खरीदार अपने घरों को पंजीकृत नहीं कर पाएंगे। बिल्डरों ने ओटीएस स्कीम निकालने का आग्रह भी किया। इसके अलावा डेवलपर्स ने यह भी फैसला किया कि अगर इस मुद्दे का समाधान नहीं होता है, तो वे नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, यूपी के वित्त मंत्री और राज्य के मुख्य सचिव को जल्द ही ज्ञापन देंगे।

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