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जमीन घोटाला मामला: तत्कालीन दो तहसीलदार के खिलाफ अभियोजन की शासन ने दी अनुमति

हाथरस में किए गए जमीन खरीद घोटाले की जांच आगे बढ़ रही है। ताजा मामले में शासन ने तत्कालीन दो तहसीलदार के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी है। इस मामले में कुछ आरोपित जेल जा चुके हैं जबकि कुछ ने सरेंडर कर दिया था। यमुना विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता समेत 29 लाेगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था।

By Gaurav Sharma Edited By: Abhishek Tiwari Published: Mon, 01 Jul 2024 10:19 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2024 10:19 AM (IST)
कंपनियों ने हाथरस के मिधावली में किसानों से बेहद कम पैसों में जमीन खरीदी थी।

गौरव भारद्वाज, नोएडा। यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा हाथरस में किए गए जमीन खरीद घोटाले की जांच अब आगे बढ़ने लगी है। करीब पांच वर्ष बाद राजस्व परिषद ने नामजद तत्कालीन दो तहसीलदार रणवीर सिंह और सुरेश के खिलाफ अभियोजन की अनुमति दी है।

मार्च 2019 में ग्रेटर नोएडा के बीटा-दो में हुए मुकदमे की जांच नोएडा जोन के एसीपी प्रथम द्वारा की जा रही है। इस मामले में यमुना विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता समेत 29 लाेगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।

इस मामले में कुछ आरोपित जेल जा चुके हैं, जबकि कुछ ने सरेंडर कर दिया था। शासन के विभिन्न विभागों से अभियोजन स्वीकृति न मिलने के चलते कई आरोपितों के खिलाफ जांच शुरू नहीं हो पाई है।

क्या है मामला?

हाथरस में जमीन खरीद घोटाला मामले में यमुना विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2011-12 में करीब 42 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था। इसके बदले किसानों को सात प्रतिशत विकसित भूखंड देने का प्रविधान था, जिसके लिए प्राधिकरण को पांच हेक्टेयर जमीन की जरूरत थी, लेकिन वर्ष 2014 में अधिकारियों ने कुछ लोगों से मिलीभगत करके हाथरस जिले के मिधावली गांव में जरूरत से अधिक 14.4896 हेक्टेयर जमीन खरीद ली।

यह जमीन पहले फेज के मास्टर प्लान से बाहर थी। उस समय इस जमीन को खरीदने में 16,15,28,032 रुपये खर्च हुए। इस पर 7.77 करोड़ रुपये ब्याज देना पड़ा था। दोनों को जोड़कर 23,92,41,724 रुपये का नुकसान हुआ था।

एक शिकायत पर हुई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सब जानबूझकर और गिरोह बनाकर किया गया। जमीन खरीद के इस गिरोह में शामिल दिल्ली, बुलंदशहर, आगरा, गाजियाबाद आदि जगह से जुड़े लोगों ने पहले किसानों से सस्ती दर पर जमीन खरीदी। इसके तुरंत बाद यीडा ने उसे खरीद लिया, जबकि इन जमीनों पर अब तक प्राधिकरण का कब्जा नहीं है और न ही इस पर कोई प्लान बन सका है।

बीटा दो काेतवाली में निरीक्षक गजेंद्र सिंह की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था। एडीसीपी मनीष कुमार मिश्र का कहना है कि शासन से दो तत्कालीन तहसीलदार के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मिली है, उनके खिलाफ जांच कर कार्रवाई काे आगे बढ़ाया जा रहा है। जल्द ही आरोप पत्र भी दाखिल किया जाएगा।

इन लाेगों के खिलाफ दर्ज हुई थी एफआइआर

यीडा के तत्कालीन सईओ पीसी गुप्ता, तत्कालीन एसीईओ सतीश कुमार, तत्कालीन विशेष कार्याधिकारी वीपी सिंह, तत्कालीन प्रबंधक नियोजक बृजेश कुमार, तत्कालीन प्रबंधक परियोजना अतुल कुमार, तत्कालीन तहसीलदार अजीत परेश, राजेश शुक्ला, रणवीर सिंह, सुरेश चंद, तत्कालीन लेखपाल पंंकज कुमार, तत्कालीन नायब तहसीलदार चमन सिंह, मनोज कुमार, गौरव कुमार, अनिल कुमार, निर्दोष चौधरी, सतेंद्र, स्वदेश गुप्ता, एएनजी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड कंसलटेंट, विवेक कुमार जैन, नीरव तोमर, धीरेंद्र सिंह चौहान, अंजलि शर्मा, कुमारी बबीता, मदनपाल सिंह, अजीत कुमार सिंह, पारसौल एग्रीटेक, महामेधा अर्बन को-आपरेटिव बैंक नोएडा, नोएडा कमर्शियल बैंक लिमिटेड और तत्कालीन वित्त विभाग के लेखाकार तथा सहायक लेखाकार और वित्त प्रबंधक एवं महाप्रबंधक वित्त के नाम शामिल थे।


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