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Noida: जमीन घोटाले के बड़े खेल में छोटे पर गिरी गाज, करोड़ों के लैंड स्कैम की जांच करने वाला अधिकारी निलंबित

चिटहेरा गांव में करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले के मामले की जांच करने वाले जांच अधिकारी गिरीज राज को पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने निलंबित कर दिया है। निलंबन की कार्रवाई जांच में बरती जा रही लापरवाही के मामले में हुई है। जल्द ही नए जांच अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है। चिटहेरा गांव में भू माफिया यशपाल तोमर के द्वारा करोड़ों रुपये की जमीन का फर्जीवाड़ा किया गया था।

By Praveen SinghEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Sat, 02 Sep 2023 11:20 PM (IST)
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जल्द ही नए जांच अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है।

ग्रेटर नोएडा, जागरण संवाददाता। चिटहेरा गांव में करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले के मामले की जांच करने वाले जांच अधिकारी गिरीज राज को पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने निलंबित कर दिया है। निलंबन की कार्रवाई जांच में बरती जा रही लापरवाही के मामले में हुई है। जल्द ही नए जांच अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है।

चिटहेरा गांव में भू माफिया यशपाल तोमर के द्वारा करोड़ों रुपये की जमीन का फर्जीवाड़ा किया गया था। लोगों को डरा धमका कर पट्टे की जमीन जबरन ले ली गई थी। साथ ही तहसील के कर्मचारियों से मिलकर सरकारी जमीनों को भी अपने नाम करा लिया था। फर्जीवाड़े में कुछ आइएएए, आइपीएस अधिकारी व उनके रिश्तेदार भी शामिल थे। मामले की शिकायत शासन स्तर पर हुई थी। शासन से पूरे मामले की जांच का आदेश दिया गया था।

जांच के बाद जिला प्रशासन ने जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। जिसके आधार पर दादरी तहसील में लगभग एक वर्ष नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। इसमें भू माफिया भूमाफिया यशपाल तोमर, त्रिदेव प्राइवेट लिमिटेड के नरेंद्र कुमार, कर्मवीर, बैलू, कृष्णपाल, एम भाष्करन, केएम संत, गिरीश वर्मा व सरस्वती देवी का नाम शामिल था। इनमें से एक आरोपित यूपी कैडर के सेवानिवृत्त आइएएस अफसर बताए जा रहे हैं।

वहीं, उत्तराखंड कैडर के दो आइएएस व एक आइपीएस अफसर के रिश्तेदार भी प्रकरण में शामिल हैं। बढ़े फर्जीवाड़े को देखते हुए गौतमबुद्ध नगर के पूर्व पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने जिला स्तर पर भी कमेटी का गठन कर जांच शुरू कराई थी। जांच अधिकारी गिरीज राज को बनाया था। उन्होंने नौ लोगों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।

बताया जा रहा है कि दबाव के बाद इस वर्ष जनवरी में न्यायालय से चार्जशीट वापस मंगाई गई और आइएएस व आइपीएस के रिश्तेदारों के नाम चार्जशीट से निकाल दिए गए। मामले की शिकायत दोबारा शासन स्तर पर की गई। अपने आप को बचाने के लिए अधिकारियों ने जांच अधिकारी को निलंबित कर दिया।

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