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नोएडा पुलिस का बेहद अटपटा जवाब, धारा 144 की RTI में जानकारी देने से बिगड़ सकती है कानून व्यवस्था

रंजन तोमर का कहना है कि नोएडा पुलिस ने इसके लिए आरटीआई की धारा 8 (1) (ए) का सहारा भी लिया है जो सरासर कानून का मजाक बनाने जैसा है। धारा 8 (1) (ए) का उपयोग गलत तरीके से किया गया है। यहां देश की संप्रभुता या अखंडता या विदेशों से संबंध को किसी तरह खतरे में नहीं डालता बल्कि यह जानकारी देश के लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती को दर्शाएगी।

By Lokesh ChauhanEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 05 Jul 2023 04:11 PM (IST)
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नोएडा पुलिस का बेहद अटपटा जवाब, धारा 144 की RTI में जानकारी देने से बिगड़ सकती है कानून व्यवस्था
नोएडा, जागरण संवाददाता। जिले में लगातार धारा 144 सीआरपीसी लगाए जाने की जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगने पर नोएडा पुलिस का बेहद अटपटा जवाब मिला है। समाजसेवी रंजन तोमर ने आरटीआइ के माध्यम से पूछा था कि 1 जनवरी 2020 से लेकर 10 मई 2023 तक जिले में कितनी बार धारा-144 कितने समय व कितने दिन तक लागू रही थी।

पुलिस ने लिया RTI की धारा 8 (1) (ए) का सहारा

इसके जवाब में नोएडा पुलिस के जनसूचना अधिकारी कहते हैं की इस जानकारी का जवाब देने से अपराध की प्रृवृत्ति को बढ़ावा मिल सकता है इसलिए यह जानकारी नहीं दी जा सकती। रंजन तोमर का कहना है कि इसके अलावा नोएडा पुलिस ने इसके लिए आरटीआई की धारा 8 (1) (ए) का सहारा भी लिया है जो सरासर कानून का मजाक बनाने जैसा है।

धारा 8 (1) (ए) का उपयोग गलत तरीके से किया गया है। यहां देश की संप्रभुता या अखंडता या विदेशों से संबंध को किसी तरह खतरे में नहीं डालता, बल्कि यह जानकारी देश के लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती को दर्शाएगी। जिसमें एक आम भारतीय, एक सामाजिक कार्यकर्ता आसानी से जरूरी जानकारी ले सकता है।

उन्होंने कहा कि धारा 144 का उपयोग कब कब किया गया है यह जानकारी सामाजिक कार्यकर्ताओं, किसानों व आम भारतीय के लिए जरूरी है ताकि इसका अत्यधिक उपयोग घट सके और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए नागरिक स्वतंत्र रह सके। जरूरत पड़ने पर धरना प्रदर्शन भी हो सके और अपने अधिकारों की लड़ाई भी आम नागरिक लड़ सके।

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