Noida Sports City: कैबिनेट के सामने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी परियोजना, 40 हजार फ्लैट खरीदारों की किस्मत का होगा फैसला
Noida Property Buyers नोएडा की स्पोर्ट्स सिटी परियोजना अब कैबिनेट के सामने पेश की जाएगी। इस पर अंतिम फैसला कैबिनेट ही लेगी। इससे पहले लोक लेखा समिति की बैठक में नोएडा प्राधिकरण ने कई तथ्यों पर अपना जवाब दिया था। इस प्रोजेक्ट से जुड़े 40 हजार से ज्यादा फ्लैट खरीदारों की किस्मत का फैसला होगा। लेख के माध्यम से जानें पूरी खबर।
जागरण संवाददाता, नोएडा। नोएा स्पोर्ट्स सिटी परियोजना को अब कैबिनेट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। कैबिनेट इस पर अपना अंतिम फैसला लेगी। इससे पहले लखनऊ में लोक लेखा समिति की हुई बैठक में नोएडा प्राधिकरण (noida authority) ने कई तथ्यों पर अपना जवाब दिया था। बोर्ड में चेयरमैन मनोज कुमार सिंह से अनुमोदन के बाद अब कैबिनेट के सामने प्रस्तुत किया जाना है।
अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सतीश पाल ने बताया कि लोक लेखा समिति सीएजी आपत्तियों का निस्तारण करने के लिए सुनवाई कर रही है। इस मामले में अब तक सभी सुनवाई और आपत्तियों का जवाब प्राधिकरण दे चुका है। कैबिनेट ही इस पर अहम निर्णय लेगी, जिससे 40 हजार से ज्यादा फ्लैट खरीदारों के भाग्य का फैसला होगा।
यह रही पूरी कार्य योजना
प्राधिकरण की 121वीं बैठक में कॉमनवेल्थ गेम्स की तर्ज पर नोएडा में खेलकूद सुविधाओं का विकास करने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए विभिन्न सेक्टरों में 390 हेक्टेयर भूमि नोएडा महायोजन-2021 के प्रारूप में प्रस्तावित की गई। वर्ष 2047 में 145 वीं बोर्ड बैठक में 311.60 हेक्टेयर भूमि पर खेलकूद सुविधाओं का विकास करने के लिए स्पोर्ट्स सिटी योजना प्रस्तावित की गई।वर्ष 2008 में 149 वीं बोर्ड बैठक में 346 हेक्टेयर भूमि पर स्पोर्ट्स सिटी का भू-उपयोग निर्धारित किया गया। प्रदेश सरकार से अनुमोदन भी प्राप्त किया गया। प्राधिकरण ने 2010-11 में सेक्टर-78, 79, 101, वर्ष 2014-15 व 2015-16 में सेक्टर-150, सेक्टर-152 में स्पोर्ट्स सिटी योजनाओं के लिए सार्वजनिक सूचना निकाली, बिल्डरों को जमीन का आवंटन हुआ।
खेल हुआ उजागर
जब यहां पर तैयार ग्रुप हाउसिंग में रहने वालों की रजिस्ट्री प्राधिकरण ने रोक दी, तब बिल्डर और अधिकारियों के बीच खेल का पता चला शासन को चला। उससे पहले स्पोर्ट्स सिटी में बड़ा घोटाला होने को लेकर लेखा एवं महालेखा परीक्षक कैग ने 12 आपत्तियां भी लगाई थी, कैग की कड़ी आपत्ति के बाद शासन स्तर पर जब अधिकारियों पर शिकंजा कसा गया।तब जाकर 12 वर्ष बाद प्राधिकरण अधिकारियों ने खेल गतिविधियों को स्पोर्ट्स सिटी में पूरा कराने की सुध ली। तब जाकर पता चला कि सब बिल्डरों ने आवासीय, वाणिज्यक समेत अन्य गतिविधियों के लिए तमाम परियोजनाओं को पूर्ण कर लिया, लेकिन जिस मकसद के लिए जमीन का आवंटन हुआ था।वह मकसद 12 वर्ष बाद भी अधूरा है। प्राधिकरण का विभिन्न मदों में चार मुख्य बिल्डरों पर पांच हजार करोड़ करोड़ रुपये का बकाया भी है। मुख्य बिल्डर अब परियोजना से पूरी तरह से गायब है।
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खेल लागत- गोल्फ कोर्स (नौ होल्स) 40 करोड़
- मल्टीपर्पज प्ले फील्ड 10 करोड़
- टेनिस सेंटर 35 करोड़
- स्वीमिंग सेंटर 50 करोड़
- प्रो-शाप्स/फूड बेवरेज 30 करोड़
- आईटी सेंटर / एडमिनिस्ट्रेशन / मीडिया सेंटर 65 करोड़
- इंडोर मल्टीपर्पज स्टोर्स (जिम्नास्टिक, बेडमिंटन, टेबिल टेनिस
- स्कायश, बास्केट बॉल, वॉलीवॉल रॉक क्लाइंबिंग) 30 करोड़
- क्रिकेट अकादमी, इंटरनल रोड एंड पार्क 25 करोड़
- हॉस्पिटल. सीनियर लिविंग/मेडिसन सेंटर 60 करोड़