Noida Twin Tower: बस चंद रोज बाद नहीं दिखेंगे ट्विन टावर, इमारत ढहाने के लिए कई बार बढ़ी तारीख
Noida Twin Tower Demolition आने वाले कुछ दिनों में नोएडा स्थित सुपरटेक का ट्विन टावर नहीं दिखेगा। इमारत में विस्फोटक लगाने काम तेजी किया जा रहा है। इसे लेकर यातायात पुलिस ने ट्रैफिक मैनेजमेंट योजना को अंतिम रूप दे दिया है।
नोएडा, जागरण डिजिटल डेस्क। नोएडा के सेक्टर-93 ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों टावर (एपेक्स-सियान) के ध्वस्तीकरण का काउंटडाउन शुरू हो गया है। अब ट्विन टावर के जमींदोज होने में मात्र 10 दिन शेष हैं। 28 अगस्त को इमारत को ध्वस्त किया जाना है। इसे लेकर दोनों टावर में विस्फोटक लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है।
बता दें कि सुपरटेक प्रबंधन की ओर से इन टावरों का निर्माण नियमों में अनदेखी कर कराया गया था। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को ट्विन टावरों को अवैध करार दिया था। इसके बाद यह मामला आगे बढ़ता गया।
- कब क्या हुआ? यहां जानिए सबकुछ
- सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को टावरों को अवैध घोषित करते हुए तीन महीने में गिराने का आदेश दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
- 22 मई 2022 को दोनों टावर को ढहाया जाना था, लेकिन तैयारियां पूरी नहीं होने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।
- एजेंसी ने 20 फरवरी 2022 से ट्विन टावर साइट को अपने कब्जे में लिया।
- एजेंसी ने 10 अप्रैल 2022 को टावर में टेस्ट ब्लास्ट किया।
- 21 अगस्त 2022 को टावर ढहाने की तारीख तय की गई, लेकिन विस्फोट के लिए एनओसी मिलने में देरी होने से ऐसा नहीं हो पाया।
- अब 28 अगस्त 2022 को दोनों टावर को ढहाया जाना तय हुआ है। इसके लिए इमारत में बारूद लगाने का काम किया जा रहा है।
- बिल्डिंग में विस्फोटक लगाने का काम 24 अगस्त तक पूरा कर लिया जाएगा।
- विस्फोटक लगाने के लिए दोनों टावर में करीब एक हजार होल किए गए हैं।
- टावर गिराने के बाद मलबा निकालने में 90 दिन का समय लग जाएगा।
यातायात प्रबंधन का काम पूरा
टावर गिराने को लेकर यातायात पुलिस ने ट्रैफिक मैनेजमेंट योजना को अंतिम रूप दिया गया है। जिसमें नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के साथ विस्फोटक के दिन के लिए रूट डायवर्जन भी शामिल है। नोएडा के सेक्टर-37 के पास महामाया फ्लाईओवर और सर्विस लेन सहित परी चौक के बीच एक्सप्रेस-वे को पूरी तरह से बंद करने पर विचार कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार से बने टावर की जानकारी होती तो नहीं खरीदते फ्लैट
सोसायटी के दोनों टावर के अवैध निर्माण की जानकारी नहीं थी। यह पता था कि दोनों टावर सोसायटी से बाहर के हैं, अगर यह पता होता कि दोनों टावरों का निर्माण भ्रष्टाचार से हुआ है तो कभी भी यह फ्लैट नहीं खरीदते। दोनों टावर से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित एस्टर-दो टावर में फ्लैट को 2017 में री-सेल में खरीदा था।
किया गया 100 करोड़ का बीमा
दुर्घटना की स्थिति में 50 मीटर क्षेत्र का 100 करोड़ का बीमा किया गया है, जो नाकाफी है। इसमें पारदर्शिता नहीं है। बीमा के रकम से सिर्फ एस्टर-दो टावर स्थित फ्लैट की भरपाई नहीं की जा सकेगी। फ्लैट खरीदने के लिए 55 लाख का लोन लिया है। प्रति महीने 55 हजार रुपये की ईएमआइ दे रहे हैं। इतना बड़ा निर्माण ध्वस्त होने से हानि होने का अंदेशा है। भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि सब कुशल रहे।
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