Ramotsav in Noida: पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देते हैं राम, श्रीरामोत्सव महोत्सव में राममय हुए लोग
जन-मानस के हृदय में बसने वाले राम से युवा पीढ़ी अभिभूत है। राम मंदिर के लिए संघर्ष ने युवा पीढ़ी के मन में राम के प्रति को कौतुहल पैदा किया था आज उन जिज्ञासा के जवाब जन-मानस के सामने प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में सामने आ चुके हैं। त्रेतायुग के राम कलयुग में एक बार फिर करोड़ों की आस्था को मजबूत करते हुए लोगों के मन-मस्तिष्क में छा चुके हैं।
अरविंद मिश्रा, ग्रेटर नोएडा। जन मानस के हृदय में बसने वाले राम से युवा पीढ़ी अभिभूत है। राम मंदिर के लिए संघर्ष ने युवा पीढ़ी के मन में राम के प्रति को कौतुहल पैदा किया था, आज उन जिज्ञासा के जवाब जन मानस के सामने प्रत्यक्ष प्रमाण के रूप में सामने आ चुके हैं। त्रेतायुग के राम कलयुग में एक बार फिर करोड़ों की आस्था के मजबूत करते हुए लोगों के मन मस्तिष्क में छा चुके हैं। हर कोई उनके आकषर्ण में वशीभूत है।
कार्यक्रम में उपस्थित संत मैथिलीशरण, राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी, जीएल बजाज कॉलेज के वाइस चेयरमैन पंकज अग्रवाल व अन्य गणमान्य लोग।
अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी जैसे-जैसे करीब आ रही हैं। देश में उल्लास और उत्साह बढ़ता जा रहा है। पौष मास में देश दूसरी बार दीपावली मनाने जा रहा है।करीब पांच घंटे तक राममय बने रहे लोग
नॉलेज पार्क के जीएल बजाज कॉलेज में दैनिक जागरण के श्रीरामोत्सव कार्यक्रम में करीब पांच घंटे तक लोग मंत्रमुग्ध होकर राममय बने रहे। राम का आकर्षण ऐसा कि चाहे युवा हो, महिला हो या पुरुष हर कोई आराध्य राम के बारे में अधिक से अधिक जानने के लिए आतुर नजर आया।
राम रचित मानस के राम भौतिक युग में कितने प्रासंगिक हैं, समाज में क्षीण होती रिश्तों की डोर को राम के आदर्श चरित्र कैसे मजबूत बनाने की प्रेरणा देता है। विश्व गुरु बनने की राह पर चल रहे भारत के लिए राम का वैश्विक स्वरूप कितना महत्व रखता है। देश की अर्थव्यवस्था में भी राम की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। इससे युवाओं के साथ जनमानस को संदेश देने का मकसद पूरा होता नजर आया।
'भारत का मकसद विश्व गुरू बनना है'
अपने व्याख्यान में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि भारत का मकसद सिर्फ दुनिया की सुपर पावर बनना नहीं है, बल्कि विश्व गुरू बनना है, जिसमें सभी का हित सुरक्षित है। राम परिवार की एकजुटता का संदेश देते हैं।
अगर भारत में परिवार का विघटन अमरीका की तरह हो जाएगा तो सोलह करोड़ घरों की जरूरत होती। यह पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर बड़ा बोझ होगा। राम दुनिया के कण कण में बसते हैं, राम नहीं हैं सांसों में, प्राणों का घट रीता है। इसलिए आज भी दुनिया के कई दशों में लोगों के दिलों में राम आराध्य हैं।
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