Greater Noida: पांच करोड़ से बनी सड़क पर एक माह में पड़ गए गड्ढे, झांकने लगा भ्रष्टाचार
पी-थ्री से परी चौक तक करीब 30 हजार वाहन हर दिन गुजरते हैं। इनमें भारी वाहनों की संख्या भी अधिक है। कासना डीएमआइसी साइट चार में हजारों की संख्या में उद्योग और वाणिज्यक संस्थान हैं। यहां से हर दिन भारी वाहन सामान लेकर जाते हैं। सड़क पर गड्ढा बनते ही वाहनों के गुजरते ही ये और बड़े हो जाते हैं।
By Arpit TripathiEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 23 Aug 2023 08:18 AM (IST)
ग्रेटर नोएडा [अर्पित त्रिपाठी]। जी20 को लेकर शहर को चमकाने की सिलसिला पांच महीने पहले शुरू हुआ था। तब प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी थी। इसमें सड़कों की रीसर्फेसिंग भी शामिल है।
शहर की प्रमुख मार्ग पी-थ्री से परी चौक की दोनों ओर की सड़क को बने अभी एक महीने का समय ही हुआ कि गड्ढों ने अपनी जगह बनानी शुरू कर दी है। परी चौके से कुछ मीटर पहले ही पी थ्री से आने वाले मार्ग पर गड्ढा बन गया है। मंगलवार को हुई वर्षा के बाद इसमें पानी भी भर गया है।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण के अधिकारियों और ठेकेदार के इरादे कितने मजबूत थे कि एक महीने भी सड़क दुरुस्त नहीं रह सकी। दोनों तरह के सड़क निर्माण पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
चार महीने पहले हुआ था टेंडर, नतीजा शून्य
तीन महीने पहले पूर्व सीईओ रितु माहेश्वरी के कार्यकाल में शहर के प्रमुख मार्गों की रीसर्फेसिंग के कार्यों के लिए टेंडर जारी हुआ था। दरअसल सितंबर में जी20 सम्मेलन होना है।
ग्रेटर नोएडा में जी20 देशों के राजनयिक प्रवास करेंगे। मेहमानों के सामने शहर की अच्छी छवि पेश करने के लिए सड़कों के किनारे रंग-बिरंगी लाइटें, कलाकृतियां, मेट्रो के पिलर पर चित्रकारी, जगह जगह जी20 के लोगों, नई एलईडी लाइट आदि साज-सज्जा के कार्य किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सड़कों की रिसर्फेसिंग भी की गई।
जानकारी के मुताबिक प्राधिकरण ने सड़क दुरुस्त करने के लिए चार महीने पहले टेंडर जारी किया था। सड़क बने कुछ ही समय हुआ था कि गड्ढे होने लगे। वर्षा का मौसम अभी एक महीने और जारी रहेगा। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि लंबे समय तक रीसर्फेसिंग नहीं टिक सकेगी।
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दरअसल बिटुमिन (डामर) से बनी स़ड़क पर यदि जलभराव होने लगे तो डामर की पकड़ कमजोर होने लगती है और सड़क टूटने लगती है। पी-थ्री से परी चौक तक करीब 30 हजार वाहन हर दिन गुजरते हैं।इनमें भारी वाहनों की संख्या भी अधिक है। कासना, डीएमआइसी, साइट चार में हजारों की संख्या में उद्योग और वाणिज्यक संस्थान हैं। यहां से हर दिन भारी वाहन सामान लेकर जाते हैं। सड़क पर गड्ढा बनते ही वाहनों के गुजरते ही ये और बड़े हो जाते हैं।टूटी सड़कों की सुध नहीं, अच्छी सड़क की कर दी रीसर्फेसिंग
ग्रेटर नोएडा में तिलपता मार्ग, सूरजपुर मार्ग, टाय सिटी, औद्योगिक सेक्टर इकोटेक तीन, डीएससी रोड समेत कई सड़कें टूटी पड़ी हैं। इससे लोगों को आवागमन में दिक्कत हो रही है। प्राधिकरण इन्हें नहीं बना रहा है। वहींदूसरी जगत फार्म मार्केट में गड्ढा मुक्त सड़क पर करीब दो करोड़ रुपये की लागत से रीसर्फेसिंग का कार्य कर दिया गया। इसका टेंडर भी पूर्व सीईओ रितु माहेश्वरी के कार्यकाल में निकाला गया था। आश्चर्य की बात यह है कि अधिकारियों ने इतना ध्यान में नहीं दिया कि जो सड़क अच्छी खासी बनी हुई है, उस पर बिना वजह दो करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। जो सड़क टूटी हुई है,उन्हें नहीं बनाया जा रहा है।सूरजपुर की सड़क के निर्माण के लिए प्रक्रिया चल रही है, मौसम ठीक होने के बाद निर्माण कार्य शुरू होगा। परी चौक से पी-थ्री तक सड़क की रीसर्फेसिंग का कार्य पिछले दिनों ही हुआ है। गड्ढा होने की जानकारी नही हैं। परियोजना विभाग से जांच करा कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- अमनदीप डुली, एसीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण