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Lok Sabha Elections: चुनाव से पहले ही सपा-कांग्रेस गठबंधन में गुटबाजी, अखिलेश के दरबार पहुंचा मामला

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस-सपा गठबंधन में गुटबाजी की बात सामने उभरकर आई है। दिल्ली से सटी गौतमबुद्ध नगर सीट से अब गठबंधन का प्रत्याशी बदलने की मांग हो रही है। वे किसी युवा को टिकट देने की मांग कर रहे हैं। मामला अखिलेश यादव के दरबार तक भी पहुंच चुका है। वहीं सपा जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी का कहना है कि पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है।

By Dharmendra Kumar Edited By: Shyamji Tiwari Updated: Wed, 20 Mar 2024 06:00 AM (IST)
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चुनाव से पहले ही सपा-कांग्रेस गठबंधन में गुटबाजी
जागरण संवाददाता, नोएडा। गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट (Gautam Buddha Nagar Seat) के लिए सपा-कांग्रेस गठबंधन (SP-Congress Alliance) प्रत्याशी के नाम की घोषणा होते ही गुटबाजी भी उभरकर सामने आई है। गठबंधन का एक धड़ा पार्टी प्रत्याशी बदलने की मांग को लेकर अड़ा है। इसमें शामिल नेताओं ने मंगलवार को लखनऊ में पार्टी मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की।

किसी युवा को टिकट देने की पैरवी

इससे पहले दिल्ली में भी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव के दरबार में टिकट बदलने का मुद्दा उठाया गया था। टिकट बदलने की मांग करने वाले किसी युवा को टिकट देने की पैरवी कर रहें हैं। दावा किया जा रहा है कि एक-दो दिन में पार्टी अहम फैसला ले सकती है। हालांकि, सपा का जिला संगठन गुटबाजी और टिकट बदलने की चर्चाओं को नकारते हुए दावा कर रहा है कि डॉक्टर महेंद्र नागर ही चुनाव लड़ेंगे।

पहले की बात करें तो गौतमबुद्ध नगर में सपा की राजनीति शुरुआती दौर से ही पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी के इर्द-गिर्द ही घुमती रही। कई नेता सपा में आए और पार्टी छोड़ कर चले गए, लेकिन नरेंद्र भाटी ने कभी पार्टी नहीं छोड़ी। 2009 और 2014 में पार्टी ने उन्हें ही लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया। उन्होंने मजबूती से चुनाव लड़ा। 2014 के चुनाव में वह दूसरे नंबर पर रहें।

जकुमार भाटी के इर्द-गिर्द घूमती राजनीति

2019 में सपा और बसपा गठबंधन से सतवीर नागर चुनाव लड़े और साढ़े पाच लाख से अधिक वोट हासिल किए। इनमें भी नरेंद्र भाटी की अहम भूमिका रही, लेकिन इसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद से सपा का कुनबा बिखर गया। पार्टी कमजोर होती चली गई। अब पार्टी की राजनीति राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी के इर्द-गिर्द घूमती है।

संगठन के पदाधिकारियों से लेकर प्रत्याशी चयन में भी उन्हीं की अहम भूमिका रहती है। दूसरे दलों के कई नेताओं को राजकुमार भाटी ने सपा में शामिल कराकर पार्टी को फिर से मजबूती दी है। यहीं कारण है कि पार्टी पहले उन्हें ही चुनाव लड़ाना चाह रही थी, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने में रूचि नहीं दिखाई। वरिष्ठ नेता गजराज नागर भी पीछे हट गए।

सभी को बात रखने का अधिकार- पार्टी प्रवक्ता

दावेदारों में कांग्रेस छोड़ सपा में शामिल हुए डॉक्टर महेंद्र नागर, युवा नेता राहुल अवाना और जिला पंचायत सदस्य रामशरण नागर ही बचे। पार्टी ने महेंद्र नागर पर दाव लगाकर उन्हें प्रत्याशी घोषित किया। इससे खासकर युवा धड़ा विरोध में उतर आया। उन्हाेंने पहले रामगोपाल यादव के दरबार में अपनी बात रख युवाओं को मौका देने का मुद्दा उठाया पर बात नहीं बनी।

अब अखिलेश यादव के दरबार में मामला पहुंचा है। यह धड़ा राहुल अवाना के लिए अड़ा हुआ है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी का कहना है कि सपा में लोकतंत्र है। सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। पार्टी डॉक्टर महेंद्र नागर को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। उन्हें मजबूती से चुनाव लड़ाया जाएगा। सपा जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी का कहना है कि पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है। जो लोग लखनऊ गए थे, उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से महेंद्र नागर को चुनाव लड़वाने का संदेश मिल चुका है। वह सब अब महेंद्र नागर के साथ खड़े हैं।

बसपा किसान नेता पर लगा सकती है दांव

बसपा गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से एक किसान नेता पर दांव लगा सकती है। किसान नेता अपने संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और जिले में उनका संगठन सक्रिय रहता है। किसानों के मुद्दों पर वह यहां धरने-प्रदर्शनों में शामिल रहते हैं। मूलरूप से दिल्ली के महरौली क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले हैं। विधान सभा चुनाव में भी बसपा ने दादरी विधान सभा सीट से किसान नेता मनवीर भाटी को मैदान में उतारा था।

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