Success Story: अखबार बांट और ट्यूशन पढ़ा सुमित ने तय किया सीए बनने का सफर, 12वीं में आए थे मात्र 53 प्रतिशत अंक
सुमित ने बताया कि वह बढ़ाई में बहुत होशियार नहीं रहे हैं लेकिन लगातार सीखने और सुधार करने में विश्वास रखते हैं। उनके 10वीं में 7.2 सीजीपीए और 12वीं में मात्र 53 प्रतिशत अंक थे। यह तब जब बच्चों के 100 प्रतिशत भी अंक आ रहे थे लेकिन वह परेशान नहीं हुए। अपने लक्ष्य पर टिके रहे। उनको सीए बनना था और 24 वर्ष की उम्र में बन गए।
अजय चौहान, नोएडा। जहां चाह है, वहां रहा है। अगर आप ने कुछ करने की ठान ली तो फिर आपको मंजिल हासिल करने से कोई रोक नहीं सकता। चाहे परिस्थितियां कुछ भी हो। तमाम बाधाओं के बीच तीसरे प्रयास में सीए फाइनल की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सेक्टर-110 भंगेल निवासी सुमित कुमार ने इसको साबित करके दिखाया है। सुमित की यह सफलता प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए एक मिसाल है।
जिंदगी के झंझावतों से जुझे सुमित
बेहद साधारण परिवार से निकल जीवन में एक मुकाम बनाने वाले सुमित का यह सफर आसान नहीं रहा। अपने को साबित करने के लिए उनको पढ़ाई से इतर जिंदगी की झंझावतों से भी लगातार जूझना पड़ा।
घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए सुमित ने कम उम्र में ही आत्मनिर्भरता की राह चुन ली थी और 2013 से 2016 तक उन्होंने अखबार बांटने का काम किया। इसी बीच 2017 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवेश लेकर छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया।
घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाया
घर-घर जाकर बच्चों को बढ़ाते हुए बीकाम के साथ सीए की तैयारी शुरू की। शुरू में सफलता नहीं मिली। स्नातक के साथ परास्नातक भी हो गया, लेकिन सुमित ने हार नहीं माने अपने स्वभाव के अनुसार मैदान में डटे रहें। सीए इंटरमीडिएट में सफलता मिली तो फाइनल के लिए फिर इंतजार करना पड़ा।
अब इस बार जाकर उनको सफलता मिली है। मूल रूप से बिहार के बेगूसराय के रहने वाले सुमित के पिता प्रमोद कुमार एक निजी कंपनी में काम करते हैं। सुमित ने बताया कि आर्थिक स्थिति अच्छी न होते हुए भी उनके पिता ने कभी उनके लिए कोई कमी नहीं रखी। खासकर पढ़ाई को लेकर हमेशा प्रेरित किया, लेकिन वह नहीं चाहते थे कि उनके चलते पिता पर पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़े और घर की जरूरतों में कटौती हो। इसलिए स्कूली दिनों से ही कमाई भी शुरू कर दी थी।
12वीं में 53 प्रतिशत आए पर नहीं मानी हार
सुमित ने बताया कि वह बढ़ाई में बहुत होशियार नहीं रहे हैं, लेकिन लगातार सीखने और सुधार करने में विश्वास रखते हैं। उनके 10वीं में 7.2 सीजीपीए और 12वीं में मात्र 53 प्रतिशत अंक थे।यह तब जब बच्चों के 100 प्रतिशत भी अंक आ रहे थे, लेकिन वह परेशान नहीं हुए। अपने लक्ष्य पर टिके रहे। उनको सीए बनना था और 24 वर्ष की उम्र में बन गए। उनकी तैयारी कर रहे छात्रों को भी यही सलाह है कि अपना आंकलन अपनी क्षमता के आधार पर करें न कि दूसरों को देखकर।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।