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Supertech Twin Tower: सुपरटेक टावर के ध्वस्त होने के बाद बढ़ेंगी स्वास्थ्य चुनौतियां, केरल की तरह लोग झेलेंगे परेशानी

Supertech Twin Tower Demolition सुपरटेक के ट्विन टावर यानी एपेक्स और सियान टावर के ध्वस्त होते ही धूल का गुबार उठेगा। इससे वायु प्रदूषण (Air Pollution) पांच गुना तक बढ़ सकता है। इसके कारण अगले 90 दिनों तक लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

By GeetarjunEdited By: Updated: Mon, 22 Aug 2022 11:28 PM (IST)
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सुपरटेक टावर के ध्वस्त होने के बाद बढ़ेगी स्वास्थ्य चुनौती।

नोएडा [वैभव तिवारी]। Supertech Twin Tower Demolition सुपरटेक के ट्विन टावर यानी एपेक्स और सियान टावर (Apex and Cyan Towers) के ध्वस्त होते ही धूल का गुबार उठेगा। इससे वायु प्रदूषण (Air Pollution) पांच गुना तक बढ़ सकता है। इसके कारण अगले 90 दिनों तक लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

केरल के कोच्चि और मराडु में जनवरी 2020 में चार टावर होली फेथ एच 20, अल्फा सिरीन, जैन कोरल कोव व गोल्डन कायलओरम के ध्वस्तीकरण के बाद आसपास के लोगों को महीनों तक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हुई थीं। इसमें सिरदर्द, अस्थमा, अटैक, जुकाम, कफ और एलर्जी के कारण लोग कई सप्ताह तक परेशान रहे थे।

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पांच गुना प्रदूषण बढ़ने से लोगों का हुआ था स्वास्थ्य खराबे

चारों टावर गिरने से 75 हजार टन का मलबा निकला था। इसे हटाने के लिए 70 दिनों से अधिक का समय लगा था। टावर ध्वस्तीकरण के बाद वातावरण में वायु प्रदूषण पांच गुना तक बढ़ गया था। इसके कारण आसपास के लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा था।

लोगों को उठानी पड़ी थी दिक्कत

इस दौरान प्रशासन को स्वास्थ्य शिविर लगाना पड़ा था। टावर ध्वस्तीकरण के बाद आसपास के घर, पेड़, दीवार, पार्क सहित खाली जगह पर धूल जम गई थी। हल्की हवा चलने पर भी लोगों के घरों में धूल घुस जाती थी।

एमराल्ड कोर्ट सोसायटी के रहने वाले संदीप कुमार बताते हैं कि टावर ध्वस्तीकरण प्रक्रिया के दौरान शोर व धूल से लोग परेशान होंगे, लेकिन टावर ध्वस्त होते ही यह परेशानी एक दम से बढ़ जाएगी। इससे आसपास के लोग सबसे अधिक प्रभावित रहेंगे।

एपेक्स व सियान से निकलेगा ढाई लाख टन मलबा

ध्वस्तीकरण के बाद एपेक्स व सियान टावर से ढाई लाख टन मलबा निकलने का अनुमान है। ध्वस्तीकरण से धूल का गुबार करीब डेढ़ सौ मीटर की ऊंचाई में उठने की संभावना है। इसको नियंत्रित करने के लिए आटोमैटिक वाटर स्प्रिंकलर के साथ वाटर टेंडर मौजूद रहेगा। जबकि धूल का गुबार कितनी दूरी तक जाएगा, यह हवा की रफ्तार पर निर्भर करेगा।

एमराल्ड कोर्ट सोसायटी व एटीएस विलेज सोसायटी इससे सबसे अधिक प्रभावित रहेंगी। इसके कारण सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित लोगों को विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है। ऐसे में कई लोग सावधानी बरतते हुए एक सप्ताह से अधिक समय तक एमराल्ड कोर्ट सोसायटी में वापस नहीं लौटेंगे।

तीन महीने में मलबे को हटाना है चुनौती

दोनों टावर के ध्वस्त होने के बाद मलबे को तीन महीने में हटाया जाएगा। इस दौरान धूल व मलबे से लोगों को परेशानी होती रहेगी। वहीं मलबे का निस्तारण सीएंडडी वेस्ट प्लांट में किया जाएगा। जिसमें 12 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च होगा।

बरतें एहतियात मानें, डाक्टर की सलाह

धूल के कणों से लोगों को क्रानिक ब्रोंकाइटिस, एलर्जिक सायनुसाइटिस व एलर्जिक राइनाइटिस जैसे रोग हो सकते हैं। इनमें काफी दर्द होता है और घातक भी हो सकते हैं। दमा रोगी के लिए धूल काफी नुकसानदेह होती है। धूल के कणों से अनेक प्रकार के कार्बनिक तत्व व धातुएं आदि होने के कारण यह ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। यह श्वास नली में संक्रमण फैला सकता हैं। नाक, मुंह व आंख में कंक्रीट धूल घुसने न पाए, इसके लिए एहतियात बरतें व डबल मास्क लगाएं। - प्रदीप कुमार शैलत, जनरल फिजिशियन, जिला अस्पताल

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