सुपरटेक के फंड में करोड़ों की गड़बड़ी की आशंका, EOW से जांच की मांग
सुपरटेक की वर्ष 2010 में शुरू हुईं कई परियोजनाएं अभी तक अधूरी पड़ी हैं। एनसीआर में सुपरटेक लिमिटेड के हजारों घर खरीदार पिछले दस साल से अपने घरों के इंतजार में दर दर भटक रहे हैं। यह सभी खरीदार राष्ट्रीय उपभोक्ता मंच रेरा एनसीएलएटी सुप्रीम कोर्ट आर्थिक अपराध शाखा और पटियाला हाउस कोर्ट में पिछले पांच साल से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। सुपरटेक की अलग-अलग परियोजनाओं में कुल नौ हजार करोड़ रुपये के फंड में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए खरीदारों ने ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) से जांच की मांग की है। सुपरटेक की कई परियोजनाओं के खरीदार ईओडब्ल्यू के विशेष आयुक्त से मिले और वित्तीय घोटाले की संभावनाओं के बारे में बताया।
सुपरटेक की कई परियोजनाएं अधूरी
सभी खरीदार अपने फ्लैट की करीब 95 प्रतिशत रकम सुपरटेक को दे चुके हैं। वर्ष 2010 में शुरू हुईं सुपरटेक की कई परियोजनाएं अभी तक अधूरी हैं।
सुपरटेक लिमिटेड के नौ प्रोजेक्ट जिसमें नोएडा के नार्थ आई, ईकोसिटी, रोमानो और केपटाउन , ग्रेटर नोएडा के इकोविलेज 1, 2, 3, स्पोर्ट्स विलेज, यमुना एक्सप्रेसवे के अपकंट्री और गुरुग्राम के हिलटाउन के हजारों खरीदारों के प्रतिनिधि आर्थिक अपराध शाखा के विशेष आयुक्त शरद अग्रवाल से पुलिस मुख्यालय में मिले और सुपरटेक की संबंधित कंपनियों के बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं के बारे में बताया।
परियोजनाओं में नौ हजार करोड़ रुपये की राशि बेमेल
खरीदार आयोग रस्तोगी ने बताया कि आइआरपी द्वारा प्रस्तावित समाधान प्रस्ताव में सुपरटेक लिमिटेड के सभी परियोजनाओं में नौ हजार करोड़ रुपये की राशि बेमेल है। इस राशि का कहां उपयोग किया गया और कैसे खर्च हुई आइआरपी की ओर से अपनी रिपोर्ट में इस बात को कही दर्शाया नहीं गया है।विशेष आयुक्त ने खरीदारों को बताया कि सुपरटेक के खिलाफ 13 एफआइआर हैं। उनमें से आठ मामले संबंधित अदालतों में विचाराधीन हैं। अन्य में विवेचना चल रही है। उन्होंने कहा की खरीदार के प्रतिनिधि अगले सप्ताह तक सभी एफआईआर और सभी अदालती मामलों की संदर्भ संख्या प्राप्त कर सकते हैं।
खरीदार अब ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा), ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), एनसीएलएटी, सुप्रीम कोर्ट मामलों में हजारों घर खरीदारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए रूपरेखा तैयार करेंगे।
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