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YEIDA Plot Scheme: छोटे उद्योगों के लिए ग्रेटर नोएडा में ऐसे मिलेगा भूखंड, खरीददारों ने यीडा से कर दी ये डिमांड

Yamuna Authority Plot Scheme ग्रेटर नोएडा में छोटे आकार के औद्योगिक भूखंडों के लिए लॉटरी प्रणाली से आवंटन की नीति फिर से लागू हो सकती है। बड़े भूखंडों का आवंटन साक्षात्कार के माध्यम से होगा। औद्योगिक संगठन सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग के लिए लाटरी से आवंटन नीति को दोबारा लागू करने की मांग कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर।

By Arvind Mishra Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 21 Nov 2024 05:16 PM (IST)
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छोटे औद्योगिक भूखंड के लिए लाटरी से आवंटन की नीति हो सकती है लागू। फाइल फोटो
अरविंद मिश्रा, ग्रेटर नोएडा। औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में छोटे आकार के औद्योगिक भूखंडों के लिए लॉटरी से आवंटन की नीति फिर लागू हो सकती है। बड़े आकार के भूखंडों का आवंटन साक्षात्कार हो होगा।

शासन से औद्योगिक भूखंड आवंटन के लिए शासनादेश जारी होने की वजह भी यही बताई जा रही है। वित्त वर्ष की लगभग तीन तिमाही पूरी होने को हैं। आवंटन नीति तय न होने के कारण औद्योगिक भूखंड योजना का इंतजार लंबा खिंच रहा है।

नीलामी के आधार पर होगा औद्योगिक भूखंडों का आवंटन

औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की नीति को लेकर प्राधिकरण व शासन के बीच संशय बना हुआ है। पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठक में तय हुआ था कि आठ हजार वर्गमीटर तक के औद्योगिक भूखंडों का आवंटन नीलामी के आधार पर होगा।

आठ हजार वर्गमीटर से बड़े भूखंडों का आवंटन के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके बावजूद शासन की ओर से औद्योगिक भूखंड आवंटन को लेकर शासनादेश जारी नहीं हुआ है। उधर औद्योगिक संगठन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग के लिए लाटरी से आवंटन नीति को दोबारा लागू करने की मांग करते आ रहे हैं।

भूखंडों का आवंटन लॉटरी से करने की उठाई मांग

शासन स्तर पर तय हुए नीलामी और साक्षात्कार के फार्मूले को भी उद्यमियों ने सिरे से नकार दिया। इंडस्ट्रियल एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन के महासचिव संजीव शर्मा की अगुवाई में प्रतिनिधि मंडल ने यमुना प्राधिकरण सीईओ डा. अरुणवीर सिंह का ज्ञापन देकर छोटे आकार के भूखंडों का आवंटन लॉटरी से करने की मांग की थी।

संजीव शर्मा का कहना है कि सूक्ष्म व लघु उद्योग रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण हैं। छोटे उद्योग लगाने वाले उद्यमियों के पास सीमित पूंजी होती है। अगर पूंजी का अधिकतर हिस्सा जमीन क्रय करने में खर्च हो जाएगा तो इकाई के निर्माण, मशीन, कच्चे माल के लिए पूंजी कहां से आएगी। उद्यमी कारोबार शुरू करने से पहले ही कर्ज के बोझ तले दब कर रह जाएंगे।

छोटे आकार के औद्योगिक भूखंडों के आवंटन में नीलामी का लगातार विरोध होने को देखते हुए शासन स्तर से प्राधिकरण को बोर्ड स्तर से नीति बनाकर फैसला लेने के संकेत दे दिए गए हैं।

हालांकि प्राधिकरण अधिकारी अभी इस मामले में बोलने से बच रहे हैं, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि आगामी बोर्ड बैठक में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की नीति तय कर भूखंड योजना निकाली जा सकती है।

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