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Noida News: नोएडा की सफाई पर हर रोज खर्च हो रहे ढाई करोड़ रुपये, फिर भी नहीं छूट रहा गंदगी का दामन

दस लाख की आबादी वाले शहरों में पांचवी रैंक हासिल करने वाले नोएडा की सफाई व्यवस्था बुरी तरह से चरमराई हुई है। सफाई व्यवस्था के नाम पर प्राधिकरण सालाना 949 करोड़ रुपये खर्च करता है। चार निजी कंपनियों पर सफाई की जिम्मेदारी है। इतनी भारी भरकम धनराशि कहां खर्च की जा रही है इसका जवाब अधिकारियों के पास नहीं है।

By Dharmendra KumarEdited By: Shyamji TiwariUpdated: Fri, 20 Oct 2023 11:07 PM (IST)
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नोएडा की सफाई पर हर रोज खर्च हो रहे ढाई करोड़ रुपये
धर्मेंद्र चंदेल, नोएडा। दस लाख की आबादी वाले शहरों में पांचवी रैंक हासिल करने वाले नोएडा की सफाई व्यवस्था बुरी तरह से चरमराई हुई है। सेक्टरों के हर काेनों में गंदगी और कूड़े के ढ़ेर लगे हुए हैं। फुटपाथ और सेंट्रल वर्ज के किनारे मिट्टी के ढेर लगे हैं। इससे वायु प्रदूषण भी हो रहा है। आवासीय सेक्टरों के आसपास जंगली घास उग आई है।

सिंगापुर से नोएडा की होती तुलना

प्रदेश के सबसे आधुनिक शहर कहे जाने वाले नोएडा की तुलना सिंगापुर से होती है, लेकिन सड़क किनारे जमा गंदगी को देखकर कहीं से भी नहीं लगता है कि यह सफाई के मामले में देश में 11वीं रैंक वाला शहर है। जिन अधिकारियों के कंधों पर सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी है, वह अपने कार्यालयों में बैठे हैं। औद्योगिक सेक्टरों के और भी बुरे हाल हैं। गांवों में स्थिति और भी बदतर है। कोई गली मोहल्ला ऐसा नहीं है, जहां कीचड़ न हो।

मानसून में ग्रामीणों को रास्तों में जमा पानी से होकर निकलना पड़ता था। प्राधिकरण ने गांवों में रास्तों में तो सीसी रोड बना दिए हैं, लेकिन पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण नहीं किया है। इससे पानी रास्तों में जमा रहता हैं। इससे सीसी रोड भी टूट रही हैं। ग्रामीणों की स्थिति तो ऐसी हो गई है कि वह न शहर के हिस्सा बन सकें और न ही गांव रहें। गालियों में पालीथिन के अंबार लगे हैं।

सालाना सफाई पर 949 करोड़ का खर्चा

सफाई व्यवस्था के नाम पर प्राधिकरण सालाना 949 करोड़ रुपये खर्च करता है। चार निजी कंपनियों पर सफाई की जिम्मेदारी है। घर-घर से कूड़ा उठाने का ठेका एजी इंवायरों एवं सड़कों पर मशीन से सफाई करने की जिम्मेदारी एमएसडब्लूए, लायन व न्यू मार्डन की है। 24 मीटर और उससे अधिक चौड़ी सड़कों की मशीन से सफाई की जाती है, लेकिन निगरानी तंत्र प्रभावी और मजबूत न होने की वजह से सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी की जा रही है।

इतनी भारी भरकम धनराशि कहां खर्च की जा रही है, इसका जवाब अधिकारियों के पास नहीं है। कहने को शहर में 5600 सफाई कर्मी है, लेकिन धरातल पर ठेकेदारों ने इनके आधे कर्मचारी भी काम पर नहीं लगा रखे हैं। बाकी का पैसा प्राधिकरण के प्रबंधकों और विभागीय अधिकारियों के साथ कंपनियों की जेब में जा रहा है। रजिस्ट्रर पर सभी सफाई कर्मियों की डयूटी दर्शायी जाती है, लेकिन हकीकत में चार सफाई कर्मियों का काम एक से लिया जा रहा है। इससे गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

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घर-घर जाकर कूड़ा उठाने का प्रविधान

शहर में घर-घर जाकर सूखा और गीला कूड़ा उठाने का प्रविधान है। इसके लिए एजी इंवायरों कंपनी के पास ठेका है। कंपनी के सफाईकर्मी प्रत्येक घर से सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग थैलों में उठाते हैं। ठाेस कूड़े को सेक्टर से उठाकर सेक्टर 80 व 119 स्थित मैटोरियल रिसाइकिल फैसलिटी (एमआरएफ) सेंटर में भेजा जाता है। जबकि गीले कूड़े को सेक्टर 145 स्थित डंपिंग ग्राउंड में डाला जाता है।

प्रतिदिन निकालता है 1100 मीट्रिक टन कूड़ा

नोएडा से प्रतिदिन करीब 11 सौ मीट्रिक टन कूड़ा निकालता है। इसमें करीब 700 मीट्रिक टन गीला व 400 मीट्रिक टन ठोस कूड़ा होता है। दोनों को अलग-अलग सेंट्ररों पर भेजा जाता है।

सेक्टरों में सफाई व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए विभागीय अधिकारियों को तीन दिन का समय दिया गया है। उनके लिए यह अंतिम चेतावनी है। तीन दिन में सफाई व्यवस्था दुरूस्त नहीं हुई तो संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध निलंबन की कार्रवाई की जाएगी। - लोकेश एम, सीईओ नोएडा प्राधिकरण

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