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नोएडा में पसीने में नहाए पति को देखकर पत्नी ने काटी कॉल, डिजिटल अरेस्ट से बचाया; आप भी हो जाइए सावधान

Digital Arrest नोएडा में एक पत्नी ने अपनी सूझबूझ से पति को डिजिटल अरेस्ट से बचा लिया। ठगों ने पीड़ित को फोन पर कॉल कर खुद को पुलिस अधिकारी बताया और बैंक खाते से जुड़ी जानकारी हासिल की। पत्नी को शक होने पर उसने फोन कॉल काट दिया और पुलिस को सूचित किया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

By Munish Kumar Sharma Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Tue, 12 Nov 2024 08:45 AM (IST)
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दिल्ली-एनसीआर में तेजी से बढ़ रहा साइबर अपराध। फोटो- जागरण ग्राफिक्स
जागरण संवाददाता, नोएडा। Digital Arrest नोएडा के सेक्टर 60 स्थित यूफलेक्स में नौकरी करने वाले व दिल्ली के राकेश अग्निहोत्री को डिजिटल अरेस्ट के दौरान उनकी पत्नी ने कॉल काटकर बचा लिया। पीड़ित परिवार ने साइबर क्राइम थाना पुलिस से शिकायत की है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

मूलरूप से लखीमपुर खीरी राकेश ने साइबर क्राइम थाना पुलिस को बताया कि रविवार दोपहर 12 बजे अज्ञात नंबर से ठग का फोन आया। ठग ने बताया कि उनके नाम से बैंक खाता खुला हुआ है और इससे क्रेडिट कार्ड जारी हुआ है। कार्ड का 1.23 लाख रुपये का बिल जमा नहीं हुआ है।

इस खाते का उपयेाग मनी लॉन्ड्रिंग में हुआ है। पीड़ित को जांच के लिए स्काईप कॉल से जोड़कर मुंबई पुलिस अधिकारियों से जोड़ा गया। ठगाें ने सीबीआई पुलिस अधिकारी बनकर पता, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड व बैंक संबंधी जानकारी हासिल की। उनके बैंक खातों में जमा धनराशि को वेरिफाई कराने पर जोर दिया।

पति को घबराया हुआ देखकर पत्नी को हुआ शक

ठगों से बातचीत के दौरान राकेश ने खुद को कमरे में बंद करा हुआ था। करीब घंटेभर तक कमरे से बाहर नहीं आने पर पीड़ित की पत्नी को शक हुआ। वह कई बार बाहर से झांककर आने पर अंदर नहीं गईं, लेकिन पति की घबराहटभरी शक्ल देखकर शक हुआ तो अंदर चली गईं और फोन कॉल को जबरन काट दिया।

उसके बाद पति से बात की तो पुलिस को बताने पर जोर दिया। कॉल काटने के बाद आईं ठगों की कॉल को रिसीव नहीं किया। 

ब्लैकमेलिंग है डिजिटल अरेस्ट

उल्लेखनीय है कि तकनीकी युग के इस दौर में प्रत्येक व्यक्ति इंटरनेट पर निर्भर हो गया है, इसलिए इंटरनेट तकनीक की बढ़ती उपयोगिता के कारण साइबर ठगी के मामले भी बढ़ रहे है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट वाट्सएप कॉल पर की जाने वाली ब्लैकमेलिंग है, जिसमें पुलिस की वर्दी पहनकर या सरकारी विभाग का अधिकारी जैसा बैकग्राउंड तैयार कर साइबर ठग लोगों को इमोशनली और मेंटली टार्चर करते हैं।

साइबर ठग लोगों को वाट्सएप के जरिए यकीन दिलाते हैं, कि उनके परिचित के साथ कुछ बुरा हो चुका है या होने वाला है। चूंकि सामने बैठा शख्स पुलिस की वर्दी में होता है तो अधिकांश लोग डर जाते हैं। इसके बाद उनके पैसों की डिमांड जाल में फंसते चले जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठगों का सबसे बड़ा हथियार वाट्सएप है। वाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए ही वह लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। इसलिए सबसे पहले अपने वाट्सएप की सेटिंग्स में कुछ बदलाव करें, जिससे अगर कोई अनजान नंबर से कॉल आए तो आपके पास सिर्फ नोटिफिकेशन पहुंचे।

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