नोएडा : सार्वजनिक जगहों पर ईवी चार्जिंग को आसान बनाएगा वायरलेस चार्जर, IIT दिल्ली-IIM लखनऊ ने किया तैयार
वायरलेस चार्जिंग सुविधा मिलने से सोसायटी घर और सार्वजनिक पार्किंग या सड़क किनारे बिना इनपुट वायर के लोग अपने वाहन को चार्ज कर पाएंगे। इससे चार्जिंग आसान होने के साथ लंबी दूरी की यात्रा भी आसान होगी। हाइ-वे पर भी वाहन को आसानी से चार्ज किया जा सकेगा। भारत में इस पर अभी काम हो रहा है लेकिन व्यावसायिक स्तर पर शुरू नहीं हो पाया है।
अजय चौहान, नोएडा। समय के जरूरत के अनुसार इलेक्ट्रिकल व्हीकल की मांग तेजी से बढ़ रही है। साथ ही इसके फीचर और तकनीक पर भी लगातार काम हो रहा है।
इसी दिशा में ईवी वाहनों की चार्जिंग को आसान और फास्ट बनाने के लिए डैश डायनामिक स्टार्टअप ने वायरलेस चार्जर विकसित किया है, जो सामान्य चार्ज से 30 प्रतिशत तेज चार्ज करता है।
साथ ही व्यावसायिक मॉडल भी तैयार किया है। वायरलेस चार्जिंग पर काम हो रहा है, लेकिन अभी व्यावसायिक तौर पर भारत में यह शुरू नहीं है।
डैश डायनामिक इसको व्यावसायिक तरीके शुरू कर रही है। एमजी कंपनी की एक फोर और एक टू व्हीलर ईवी के लिए समझौता भी हो चुका है।
बीआईटी से पावर सिस्टम में एमटेक व स्टार्टअप के सह संस्थापक शशांक सवाई ने बताया कि भारत में अभी ईवी चार्जिंग के लिए प्लग इन चार्जर का प्रयोग कर रहे हैं।
इसके लिए बैटरी में करंट देने के लिए इनपुट डिवाइस की आवश्यकता पड़ती है। वायरलेस चार्जर के बाद प्लग लगाने और निकालने झंझट खत्म हो जाएगा।
सोसायटी, घर और सार्वजनिक पार्किंग या सड़क किनारे बिना इनपुट वायर के अपना वाहन चार्ज कर सकते हैं। इससे चार्जिंग आसान होने के साथ लंबी दूरी के दौरान खासकर हाइ-वे पर भी वाहन को आसानी से चार्ज कर सकेंगे।
भारत में इस पर काम हो रहा है, लेकिन व्यावसायिक स्तर पर अभी शुरू नहीं हो पाया है। अब अक्टूबर में इसकी लॉन्चिंग करेंगे।
इसमें अलग-अलग कंपोनेंट के लिए पेटेंट भी फाइल कर चुके हैं। वह दो साल से अपने साथी राबिन सिंह के साथ काम कर रहे थे।
80 हजार रुपये का खर्च
शशांक सवाई ने बताया कि ईवी वायरलेस चार्जिंग मूलत: बी-बी मॉडल पर ही सफल है। इसमें हम कंपनी के साथ तकनीक साझा कर रहे हैं, जिससे सीएनजी की तर्ज पर ईवी में वाहनों में कंपनी से ही वायरलेस चार्जिंग रिसीवर लगा हो, लेकिन वह व्यक्तिगत स्तर पर भी सुविधा दे रहे हैं।
इसमें करीब 80 हजार रुपये का खर्च आएगा। सामान्य चार्जर में भी करीब 70 से 80 हजार रुपये का खर्च आता है।
ऐसे करेगा काम
थापर कालेज से इलेक्ट्रिकल में बीटेक व स्टार्टअप के सह-फाउंडर राबिन सिंह ने बताया कि यह इंडक्शन की तरह काम करता है।
इसमें जमीन में ट्रांसमीटर लगा होता है और वाहन में रिसीवर लगा होता है। ट्रांसमीटर के संपर्क में आते ही रीसीवर चार्जिंग शुरू हो जाती है।
ट्रांसमीटर प्लेट यूनिवर्सल होती है। इस पर किसी भी कंपनी के रिसीवर से वाहन चार्ज हो जाएगा। भारत सरकार ने दो मानक तय कर रखे हैं। एसी 0.01 में 7.5 किलोवााट और डीसी 0.01 में 15 किलोवाट है।
स्टार्टअप आईआईटी दिल्ली के इन्क्यूबेशन सेंटर फाउंडेशन फार इनोवेशन एंड टेक्नोलाजी (एफआईआईटी) से संबद्ध है।
आईआईएम लखनऊ के इंक्यूबेशन सेंटर एंटरप्राइज इन्क्यूबेशन सेंटर (ईआइसी) के एक्सीलरेशन प्रोग्राम में शामिल है। साथ ही स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के तहत आर्थिक सहायता मिली है।
सोसायटी, माल या दूसरे सार्वजनिक स्थल जहां योजनाबद्ध पार्किंग हो और सड़कों के किनारे ट्रांसमीटर बेल्ट लगने से इलेक्ट्रिकल व्हीकल की चार्जिंग आसान हो जाएगी। भविष्य ईवी का ही है। ऐसे में इसके लिए चार्जिंग सुविधा को सुलभ बनाना समय की जरूरत है। - प्रोफेसर पाणिग्रहीनी, इलेक्ट्रिकल विभाग आईआईटी दिल्ली