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YEIDA: कठघरे में यमुना प्राधिकरण की ये योजना, धीरे-धीरे खुलने लगे बड़े राज; फंस सकते हैं अधिकारी

YEIDA News यमुना प्राधिकरण की आवासीय भूखंड योजना विवादों में घिर गई है। आवेदकों ने पात्रता तय होने के बाद भी सामान्य श्रेणी में शामिल किए जाने को कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में वाद दायर होने से प्राधिकरण के अधिकारी सकते में हैं। बताया गया कि नौ आवेदनकर्ता सक्रिय हुए और उन्होंने इस मामले में आवाज उठाई है।

By Kundan Tiwari Edited By: Kapil Kumar Updated: Wed, 16 Oct 2024 11:24 PM (IST)
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कठघरे में यीडा की आवासीय योजना, अदालत पहुंचे आवेदनकर्ता। फाइल फोटो

कुंदन तिवारी। जागरण नोएडा। YEIDA धीरे-धीरे ही सही, लेकिन अब यमुना प्राधिकरण में भूखंड आंवटन (Yeida Plot Scheme) को लेकर अधिकारियों और बिचौलियों के बीच गहरी सांठगांठ की कलई खुलने लगी है। आवंटियों ने अधिकारियों से कुछ कहने की बजाए कार्यप्रणाली को अदालत में चुनौती देना शुरू कर दिया है।

ताजा मामला यमुना प्राधिकरण में आवासीय भूखंड आवंटन ड्रा से जुड़ा प्रकाश में आया है, जिसमें आरक्षित कोटे में आवेदन करने वाले पात्र आवंटियों को ड्रा से ठीक पहले जबरन सामान्य श्रेणी में शामिल दिया गया, जानकारी मिलते ही तत्काल नौ आवेदनकर्ता सक्रिय हुए और अधिकारियों की इस हरकत को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दे डाली, जिससे तत्काल वाद दाखिल होने से अधिकारी फंस गए।

361 भूखंड की जगह 352 भूखंड को किया गया शामिल

यमुना प्राधिकरण ने ड्रा निर्धारित तिथि 10 अक्टूबर को आयोजित कराया, लेकिन विभिन्न श्रेणी 361 भूखंड की जगह 352 भूखंड को शामिल किया गया। नौ भूखंड का ड्रा रोकना पड़ा। इससे ड्रा की पूरी प्रक्रिया ही कटघरे में खड़ी हो गई। अब प्राधिकरण अधिकारी इन नौ आवेदनकर्ताओं पर आरोप लगा रहे है कि इन्होंने ब्रोशर शर्त का उल्लंघन किया है।

हाईकोर्ट जाने वाले आवेदनकर्ताओं ने बताया कि यमुना प्राधिकरण ने आवासीय भूखंड की योजना पांच जुलाई सेक्टर-16, 18, 20, 22 डी के लिए आवासीय योजना निकाली गई थी। पांच अगस्त को योजना बंद कर दी गई। याेजना में औद्योगिक, संस्थागत व वाणिज्यिक श्रेणी में फंक्शन करान लेने वाले आवेदकों को पांच प्रतिशत भूखंड आवंटित किया गया था।

25 सितंबर तक जवाब दाखिल करना था

इसमें विभिन्न वर्ग मीटर में 18 भूखंड शामिल रहे। 17 सितंबर को पात्रता तय करनी शुरू हुई। 18 सितंबर को लिस्ट लगा दी गई। 25 सितंबर तक जवाब दाखिल करना था। 30 को सितंबर को पात्रता का निस्तारण कर दिया गया, लेकिन तीन अक्टूबर को रात साढ़े 10 बजे ऑनलाइन लिस्ट डाली गई, जिसमें वाणिज्यिक श्रेणी के सभी लोगों को सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गया।

बताया गया कि यह सबकुछ बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से किया, क्योंकि चार अक्टूबर के बाद हाईकोर्ट में दशहरा पर्व का अवकाश शुरू होना था, कोर्ट 15 अक्टूबर को कोर्ट खुलती है, तब तक देर हो जाती। इसलिए तीन अक्टूबर देर रात से आवासीय भूखंड ड्रा को लेकर वकीलों से संपर्क साधा गया, हाईकोर्ट के लिए वाद दाखिल करने का प्रयास शुरू हुआ। चार अक्टूबर को हाईकोर्ट में याचिका डाल प्राधिकरण काउसिंल का रिसीव करा दी गई।

यही नहीं, गौतमबुद्धनगर में भी यमुना प्राधिकरण में वाद का कागजी दस्तावेज रिसीव करा दिया गया, जिसके बाद प्राधिकरण ने नौ भुखंड रोकर बाकी का ड्रा करा दिया।

उधर, आवेदनकर्ताओं ने बताया कि आवासीय भूखंड योजना में शर्त थी कि यदि यमुना से कोई वाणिज्यिक, संस्थागत, औद्योगिक भूखंड आवंटित है, तो वह पांच प्रतिशत आरक्षित श्रेणी में आवेदन कर सकता है। यमुना प्राधिकरण ने बिल्डअप क्योस्क की योजना वर्ष 2021 में निकाली थी।

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बता दें कि 9.04 वर्ग मीटर का क्योस्क आठ लाख का था, जिसे बोली लगाकर नीलामी में 21 लाख रुपये में आवंटित कराया गया, जिसकी चेक लिस्ट 14 मार्च 2024 को जारी की गई। पांच मई को अलॉटमेंट लेटर मिला। 25 जुलाई को कब्जा लिया और जुलाई में फंक्शन का सर्टिफिकेट मिल गया।

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भूखंड (वर्ग मीटर)-भूखंड संख्या-कृषक श्रेणी(17.5 प्रतिशत)-फंक्शनल औद्योगिक, वणिज्यिक, संस्थागत (5 प्रतिशत)-सामान्य श्रेणी (77.5 प्रतिशत)

120 -84-15-04-65

162-77-13-04.60

200-03-01-00-02

300-131-23-07-101

500-40-07-02-31

1000-18-03-01-14

4000-08-01-00-07

आरक्षित कोर्ट से जिन्हें सामान्य श्रेणी में शामिल किया गया है। उन्होंने जीएसटी की जानकारी से अवगत नहीं कराया है, न ही माप तौल विभाग का प्रमाण पत्र जमा कराया है। हालांकि नौ भूखंड रोककर ड्रा सपन्न कराया गया है। - डा अरूणवीर सिंह, सीईओ, यमुना प्राधिकरण

वाणिज्यिक श्रेणी में 300 वर्ग मीटर का आवासीय भूखंड के लिए आवेदन किया था। पात्रता तय होने के बाद जबरन तीन अक्टूबर को सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गया, कारण अधिकारियों ने नहीं बताया। जबकि शाप एक्ट के तहत सभी दस्तावेज आवेदन के साथ जमा है। - मंयक गुप्ता, आवंटी, यमुना प्राधिकरण

तीनों प्राधिकरणों में लगातार भूखंड नीती कटघरें में खड़ी हो रही है। औद्योगिक संगठनों की इस प्रकरण में मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई जा रही है, लेकिन सुनवाई नहीं होने से अधिकारियों के हौसले बुलंद है। -सुधीर श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष, नोएडा एंटरप्रिनियोर्स एसोसिएशन

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