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ओखला पक्षी विहार में दो साल बाद दी पपीहा ने दस्तक

आशीष धामा नोएडा आपने अक्सर ऐसे पक्षी के बारे में सुना होगा जो साल भर पानी के लिए व्रत र

By JagranEdited By: Updated: Thu, 28 May 2020 06:02 AM (IST)
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ओखला पक्षी विहार में दो साल बाद दी पपीहा ने दस्तक

आशीष धामा, नोएडा आपने अक्सर ऐसे पक्षी के बारे में सुना होगा, जो साल भर पानी के लिए व्रत रखता है और स्वाति नक्षत्र में बारिश के पानी से ही अपनी प्यास बुझाता है। लेकिन कभी अपनी चोंच नदी, तालाब व सरोवर के पानी में नहीं डुबोता। जी हां पपीहा (हॉक कुक्कू) नाम के इस पक्षी ने करीब दो साल बाद ओखला पक्षी विहार में दस्तक दी है।

कोरोना महामारी ने लोगों को क्या कुछ नहीं दिखाया। लॉकडाउन में जहां लोगों ने नोएडा की व्यस्तम सड़कों पर हिरण और नील गाय को दौड़ते देखा, वहीं अब ओखला पक्षी विहार में पपीहा की सुरीली आवाज सुनाई दे रही है। जबकि अधिक प्रदूषण व सड़कों पर ट्रैफिक का शोर होने से पपीहा ने दो साल तक नोएडा का रुख नहीं किया था। पेड़ों पर रहने वाला यह पक्षी कोयल की तरह कभी अपना घोंसला नहीं बनाता बल्कि दूसरे पक्षियों के घोंसले में अंडे देता है। इसका भोजन कीड़े-मकोड़े हैं। माना जाता है कि कोयल की कूक की तरह पी कहां, पी कहां जैसी आवाज करने वाला यह पक्षी अपने प्रियतम को बुलाता है और दूसरी तरफ मानसूनी बारिश आने का संकेत देता है। यह दक्षिण एशिया में बड़ी संख्या में पाया जाता है। कबूतर की तरह होता है पपीहा

देखने में यह कबूतर की तरह होता है। इसकी आंखें व पंजे पीले होते हैं। दूर से देखने पर यह शिकारा पक्षी जैसा लगता है। हरे-भरे घने जंगलों में यह ज्यादा पाया जाता है। चांदनी रात में इसकी मस्ती भरी टेर गूंजती है। पपीहा बारिश के दौरान आसमान की ओर मुंह करके पानी पीकर अपनी प्यास बुझाता है। पक्षी विहार में गिने-चुने विदेशी मेहमान

बर्ड वाचर अश्वनी पटेल के अनुसार, ओखला पक्षी विहार में गिने-गिने विदेशी मेहमान ही ठहरे हुए हैं, जो अगले महीने तक अपने अगले ठिकाने के लिए उड़ान भर लेंगे। यहां फिलहाल 10 जोड़ी यूरोपियन गोल्डन ओरीओल है। जो ठंड में यूरोप एवं पश्चिम एशिया से ओखला पक्षी विहार पहुंचते हैं। स्थानीय व विदेशी समेत यहां 1500 के करीब पक्षी मौजूद हैं। इसके अलावा 20 प्रजातियों की करीब 600 तितलियां और करीब 10 अलग प्रजातियों के डै्रगन फ्लाई मौजूद हैं।

वर्जन

कॉमन कुक्कू को दो साल बाद ओखला पक्षी विहार में देखा हूं, इनकी संख्या कम है। संभावना है आगे इनकी संख्या में बढ़ोतरी होगी। प्रदूषण व सड़कों पर शोर होने के कारण यह पक्षी अपना ठिकाना बदल लेता है।

-प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, प्रभागीय वनाधिकारी

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