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पीलीभीत : तकनीकी नवाचार से बाघ संरक्षण को मिल रहा नया आयाम, टाइगर रिजर्व की अनूठी पहल

देश में बाघ संरक्षण की दिशा में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व में तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। इस पहल के तहत मोबाइल एप के माध्यम से बाघों की सुरक्षा में लगे गार्ड और रेंजरों को आपस में जोड़ दिया गया है। इसके माध्यम से 72 से ज्यादा बाघों के कुनबे की हर एक हरकत का पता लगाने के साथ सुरक्षा भी की जा रही है।

By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Tue, 12 Dec 2023 06:46 PM (IST)
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Pilibhit Tiger Reserve : पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ।
बहजत खान, माधोटांडा (पीलीभीत)। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ के संरक्षण और मानव के साथ उसके बढ़ते टकराव को कम करने के लिए अनूठी पहल की गई है। रिजर्व में बाघ मित्र मोबाइल एप का प्रयोग आरंभ किया गया है।

संचार तकनीक के इस प्रयोग से बाघों के आवागमन की सूचना तत्काल वन विभाग के कर्मियों और अधिकारियों को मिलती है।

इस एप से फारेस्ट गार्ड से लेकर रेंजर तक जुड़े हैं। वनक्षेत्र के आसपास के गांवों में बाघमित्र बनाए गए युवाओं को भी इस एप से जोड़ा गया है।

आबादी क्षेत्र में पहुंचते ही मिलेगा अलर्ट

पीलीभीत टाइगर रिजर्व 72 से अधिक बाघों का कुनबा सुरक्षित रखने में जुटा है। यहां इस वर्ष अब तक बाघों के गांवों में पहुंचने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। जिनमें सात लोगों की मौत हो चुकी है और दो बाघ भी मारे जा चुके हैं। इसे ही रोकने के लिए प्रयास किया जा रहा है।

नई तकनीक के प्रयोहग से अब बाघ के आबादी क्षेत्र में पहुंचते ही उच्च अधिकारियों तक तत्काल अलर्ट पहुंच जाता है।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बैठा बाघ का जोड़ा।

संबंधित रेंज की टीमों को तय समय पर पहुंचकर सुरक्षा घेरा बना बाघ को जंगल में छोड़ना होता है। वन अधिकारियों का कहना है कि बाघ संरक्षण में मोबाइल एप का देश में यह पहला प्रयोग है।

विश्व प्रकृति निधि (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने इसे तैयार कराया है। अक्टूबर में टाइगर रिजर्व आए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवाचार का इसका शुभारंभ किया था।

पीलीभीत में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया, बाद में अन्य टाइगर रिजर्व अपनाएंगे। वन विभाग की टीमों की जवाबदेही तय करने के लिए बाघ मित्र एप तैयार कराया गया है।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ मित्र एप देखते डिप्टी रेंजर शहीद अहमद व अन्य।

25 बाघमित्रों को मिला प्रशिक्षण

विचरण करते बाघ अक्सर जंगल से निकलकर आसपास गांवों में पहुंच जाते हैं। वन विभाग या टाइगर रिजर्व प्रशासन हर समय इन पर नजर नहीं रख सकता।

ऐसे में जंगल से सटे गांवों में चार वर्ष पहले बाघमित्र योजना शुरू की गई। ग्रामीणों को स्वयंसेवक के तौर पर जोड़कर उन्होंने प्रशिक्षण दिया ताकि बाघ की आहट-उपस्थिति को परख-समझकर तुरंत वन अधिकारियों को सूचना दे सकें।

जिले में 110 बाघ मित्र कार्य कर रहे हैं। 25 बाघ मित्रों को प्रशिक्षण देकर एप का उपयोग शुरू करा दिया है। अन्य का प्रशिक्षण भी तीन माह में पूरा हो जाएगा।

तय समय करनी होगी निगरानी

किसी स्थान पर बाघ की मौजूदगी या पंजों के निशान दिखते ही बाघ मित्र एप पर फोटो अपलोड करते है जिसके साथ लोकेशन भी रेंजर के पास पहुंच जाती है।

एप यह भी दर्शाता है कि उस स्थान से निकटस्थ फारेस्ट गार्ड या वनकर्मी आदि की तैनाती कितने किमी दूर है, वह कितने समय में पहुंच सकते हैं।

संबंधित कर्मचारी को तय समय में पहुंचकर बाघ की निगरानी शुरू करनी होगी। यदि ऐसा नहीं होता तो दूसरा अलर्ट प्रभागीय वन अधिकारी के पास पहुंचता है। तब वह तत्काल रेंजर से देरी पर जवाब मांगते हैं।

अधिकारी बताते हैं कि सभी बाघ मित्रों को प्रशिक्षित करने के बाद एप का संपूर्ण उपयोग शुरू होगा। इसके बाद यदि किसी वनकर्मी ने समय से पहुंचने में लापरवाही की तो एप से कार्रवाई का विकल्प भी रहेगा।

पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ मित्र एप का प्रथम उपयोग हो रहा है। इससे बाघ संरक्षण पर अधिक तेजी से काम किया जा सकेगा। मानव-बाघ संघर्ष रोकने में भी सफलता मिलेगी। - नवीन खंडेलवाल, प्रभागीय वन अधिकारी, पीलीभीत टाइगर रिजर्व

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