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देश में हरित क्रांति के जनक थे स्वामीनाथन

डा. एसएस स्वामीनाथन के जन्मदिन पर आनलाइन कार्यशाला में विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि देश में हरित क्रांति लाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्हें भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 08 Aug 2021 11:08 PM (IST)
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देश में हरित क्रांति के जनक थे स्वामीनाथन

पीलीभीत,जेएनएन : डा. एसएस स्वामीनाथन के जन्मदिन पर आनलाइन कार्यशाला में विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि देश में हरित क्रांति लाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्हें भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है।

समाधान विकास समिति विपनेट क्लब के तत्वावधान में आनलाइन कार्यशाला में दीर्घायु की कामना की गई। कार्यक्रम में प्रतिभागियों से अधिक से अधिक जानकारी एकत्र कर साझा करने को कहा गया। आरती चंद्र, दीपांशु जोशी, प्रियांशु वर्मा, तनुश्री तथा अपराजिता मिश्रा ने बताया कि वह भारत के अनुवांशिक विज्ञानी हैं। उन्होंने 1966 पर मेक्सिको के बीजों को पंजाब के घरेलू बीजों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले संकर बीच विकसित किए। उन्हें सरकार की ओर से 1967 में पद्मश्री, 1972 में पद्म भूषण व 1989 में प्रद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। हरित क्रांति कार्यक्रम के तहत ज्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज किसानों के खेतों में लगाए गए थे। हरित क्रांति के फलस्वरूप भारत को दुनिया में खाद्यान्न की सर्वाधिक कमी वाले देश के कलंक से बहुत कम समय में उबार लिया गया। भारत के कृषि पुनर्जागरण ने स्वामीनाथन को कृषि क्रांति आंदोलन के वैज्ञानिक नेता के रूप में ख्याति दिलाई। समन्वयक लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि भारत में जब खाद्यान्न की कमी थी। विदेशों से बहुत निम्न कोटि का गेहूं आयात किया जाता था। स्वाभिमानी तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उसे लेने से मना कर दिया। देशवासियों से सप्ताह में एक दिन सोमवार को उपवास का आह्वान किया। जाति, धर्म ,लिग व वर्ण के भेदभाव को भुलाकर खाद्यान्न संकट के समय लोग एकजुट हुए। ऐसे समय में डाक्टर स्वामीनाथन द्वारा संकर बीजों के प्रयोग से खाद्यान्न के क्षेत्र में भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाया अपितु भारत निर्यात भी करने लगा।

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