पीलीभीत : संसाधनों पर दिया ध्यान तो 'नए घर' में तीन गुना बढ़ गए बाघ, पर्यटकों को भी लुभा रहा टाइगर रिजर्व
उत्तर प्रदेश में पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने बाघों की संख्या बढ़ाने के मामले में काफी अच्छी तरह से काम किया है। टाइगर रिजर्व के इन प्रयासों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां वन्य जीवों का पेट भरने के लिए भरपूर शिकार पीने के लिए पानी और शिकारियों से सुरक्षा का इंतजाम है। बाघों की संख्या बढ़ने से पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है।
By Jagran NewsEdited By: Yogesh SahuUpdated: Fri, 28 Jul 2023 07:18 PM (IST)
मनोज मिश्र, पीलीभीत। International Tiger Day 2023 : आसमान की ओर देखना चाहें तो हरियाली की चादर नजर आती और पैरों के नीचे तराई की जमीन, जंगल में आज भी सबकुछ वैसा ही है...!
वर्ष 2014 के बाद बदला तो एक आंकड़ा, जोकि सुखद अहसास देता है। नौ वर्ष पहले इस जंगल में 23 बाघ थे, टाइगर रिजर्व बनने पर इनका कुनबा बढ़कर तीन गुणा तक हो गया है।पिछली गणना में 65 का आंकड़ा इस बार 80 के पार होने का अनुमान जताया जा रहा है। 29 जुलाई को बाघ संरक्षण दिवस के बहाने यह जानना जरूरी है कि बाघों की संख्या में इजाफे के कारण क्या हैं?
बाघ को क्या चाहिए...?
टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल इस पर जवाब देते हैं- पेट भरने के लिए पर्याप्त शिकार, पीने के लिए भरपूर पानी और शिकारियों से सुरक्षा।टाइगर रिजर्व बनने के बाद 73 हजार हेक्टेयर के इस जंगल में सबसे पहले ग्रास लैंड बढ़ाए गए। जंगली के बजाय लेमन ग्रास की बहुतायत थी, जिसका लाभ हुआ कि तृणभोजी वन्यजीवों की संख्या बढ़ती गई।
पिछले वर्ष की गणना में 28,257 चीतल, 2000 हिरन, 1431 बारहसिंघा, 649 सांभर, 110 चौसिंघा, 7070 वनरोज होना साबित कर रहा है कि बाघों के लिए शिकार की कमी नहीं है।
पानी के लिए बारहसिंघा ताल, भीमताल, झंड ताल, साभर ताल समेत 15 प्राकृतिक स्रोत हैं। 73 कृत्रिम जलस्रोत बनाए गए ताकि गर्मी में वन्यजीवों को जंगल से बाहर न जाना पड़े।इनमें 16 सोलर पंपों के सहारे पानी भरा जाता है। बाघ विचरण करते हुए बाहरी क्षेत्र में जाएं तो शारदा नहर, लखीमपुर खीरी ब्रांच, हरदोई ब्रांच, सप्त सरोवर, बाइफरकेशन पर प्यास बुझा सकते हैं।बाघों के लिए पानी कितना सहज मिल रहा है, इसका प्रमाण जानना है तो बीते पर्यटन सत्र पर नजर दौड़ाएं।
बाघों के स्वभाव पर अध्ययन के लिए अक्सर जंगल के आसपास दिखने वाले अली जिबरान बताते हैं कि महोफ रेंज में शारदा नहर, बराही रेंज में लखीमपुर खीरी ब्रांच नहर के पास 40 से अधिक बार बाघ देखे गए थे।इन क्षेत्रों में जंगल सफारी की छूट है। मानव आवाजाही के बावजूद बाघों का स्वछंद विचरण संसाधनों की उपलब्धता और सुरक्षा की प्रमाणिकता भी दर्शाता है। माला रेंज में टीले अधिक हैं, इसलिए वहां भी बाघों की संख्या पर्याप्त है।
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