Tiger Reserve : टाइगर रिजर्व में बढ़ रहे बाघ, छोटा पड़ रहा जंगल- सुरक्षा के लिए वन विभाग बना रहा है यह अनोखा प्लान
खास बात यह है कि माला महोफ में बाघों की संख्या सबसे अधिक है। इसके बाद बराही और हरीपुर रेंज भी अच्छी खासी संध्या में बाघों की मौजूदगी है लेकिन दियोरिया रेंज के जंगल में बाघों की संख्या कम है। इसका प्रमुख कारण यह माना जा रहा कि दूसरी रेंजों के बाघ स्वच्छंद विचरण करते हुए दियोरिया रेंज के जंगल में नहीं पहुंच पाते।
जागरण संवाददाता, पीलीभीत। टाइगर रिजर्व के जंगल में बाघ, तेंदुआ, भालू जैसे वन्यजीवों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में जंगल छोटा पड़ रहा। माना जा रहा कि इसी कारण बाघ और तेंदुआ अक्सर जंगल से बाहर आ जाते हैं। ऐसे में मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं।
वन विभाग ने इस समस्या के निदान के लिए एक बार फिर गढ़ा-लालपुर गलियारा को विकसित करने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। माला रेंज के जंगल से दियोरिया रेंज के जंगल तक वन्यजीवों का आवागमन होने लगे तो बाघ और तेंदुआ के जंगल से बाहर निकलकर आने की संभावना कम ही रहेगी।
माला, महोफ में बाघों की संख्या सबसे अधिक
वर्ष 2022 की गणना के बाद पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में बाघों की संख्या 73 से अधिक होने की पुष्टि की गई थी। गणना मे सिर्फ बाघों की गिनती होती है। शावकों को इसमें शामिल नहीं किया जाता है। ऐसे में पिछले दो साल के दौरान उस समय जो शावक थे, वे अब जवान हो चुके हैं।इससे माना जा रहा है कि बाघों की संख्या और बढ़ चुकी है। खास बात यह है कि माला, महोफ में बाघों की संख्या सबसे अधिक है। इसके बाद बराही और हरीपुर रेंज भी अच्छी खासी संध्या में बाघों की मौजूदगी है लेकिन दियोरिया रेंज के जंगल में बाघों की संख्या कम है। इसका प्रमुख कारण यह माना जा रहा कि दूसरी रेंजों के बाघ स्वच्छंद विचरण करते हुए दियोरिया रेंज के जंगल में नहीं पहुंच पाते।
लालपुर तक गलियारा को फिर से विकसित करने की योजना
क्योंकि माला रेंज के जंगल के बाद कई किमी तक का एरिया एकदम खाली है। दियोरिया रेंज का जंगल अलग-थलग पड़ जाता है। दूसरी रेंजों का बाघों का आवागमन दियोरिया के जंगल में होने लगे, इसके लिए माला रेंज के गढ़ा से लेकर दियोरिया रेंज के लालपुर तक गलियारा को फिर से विकसित करने की योजना है।बताते हैं कि कभी यह वन्यजीवों का प्राकृतिक गलियारा हुआ करता था लेकिन बाद में धीरे धीरे इस इलाके में जंगल समाप्त हो गया। कई गांव बस गए। खाली जमीनों पर खेती होने लगी। मगर बाघों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर जंगल छोटा पड़ने लगा है।पांचों रेंजों के जंगल का कुल क्षेत्रफल 73 हजार हेक्टेयर से अधिक है। अफसरों का कहना है कि यह योजना कार्यरूप लेने में समय लेगी लेकिन इससे फायदा होगा। इधर के बाघ उधर और उधर से इधर जंगल में स्वच्छंद विचरण करेंगे तो उनके जंगल से बाहर खेतों, आबादी के निकट पहुंचने की संभावना कम हो जाएगी।
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