UP News: मेनका गांधी के भाषण के बाद भी वरुण की तल्खी बरकरार, कयासों पर लगा पूर्ण विराम
UP News नए संसद भवन के लोकार्पण के अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी को भाषण के लिए आमंत्रित किया गया। मेनका गांधी ने भी अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनकी सरकार की खुलकर सराहना की। जिसके बाद से यह कयास लगाए जाने लगे कि सांसद वरुण गांधी के तेवरों में नरमी आ सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Mon, 25 Sep 2023 08:49 AM (IST)
पीलीभीत, जागरण संवाददाता। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी को नए संसद भवन के लोकार्पण के अवसर पर भाषण के लिए आमंत्रित किए जाने के बाद तराई के राजनीतिक गलियारे में तमाम तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। लेकिन सांसद वरुण गांधी के भाजपा सरकार के प्रति तल्ख तेवर अभी भी कायम है। वह लगातार बीजेपी के नेताओं और उनके काम पर सवाल उठा रहे हैं।
बीते दिन सांसद वरुण गांधी ने अमेठी के संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित किए जाने की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कड़ी नाराजगी जताई। जाहिर है कि सांसद वरुण गांधी किसी भी ज्वलंत मुद्दे को लेकर सरकार के रवैये पर खुलकर अपनी राय जाहिर करने में कोई संकोच नहीं करते हैं। यही वजह है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सांसद वरुण गांधी की स्थिति को लेकर यहां तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
पीलीभीत से है मां-बेटे का राजनीतिक नाता
पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की पीलीभीत संसदीय क्षेत्र राजनीतिक कर्मभूमि रही है। मेनका गांधी पीलीभीत संसदीय क्षेत्र से कई बार सांसद चुनी गई हैं। वर्ष 2009 में मेनका गांधी ने अपनी यह परंपरागत लोकसभा सीट अपने पुत्र वरुण गांधी के छोड़ दी थी, उस वक्त वह बरेली जिले की आंवला लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद निर्वाचित हुई थीं। जबकि वरुण गांधी अपने पहले ही चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर सांसद निर्वाचित हुए थे।वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी ने पीलीभीत सीट से चुनाव लड़ा था, जबकि वरुण गांधी सुल्तानपुर लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। वर्ष 2019 में पीलीभीत सीट से वरुण गांधी और सुल्तानपुर लोकसभा सीट से मेनका गांधी सांसद निर्वाचित हुई थीं।यह भी पढ़ें: Pilibhit में भाजपा नेतृत्व ने संजीव प्रताप पर फिर जताया भरोसा, समर्थकों में खुशी की लहर
बीजेपी की अनदेखी से उठे कई सवाल
तब राजनीतिक गलियारे में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि मोदी कैबिनेट में मेनका गांधी और वरुण गांधी में किसी एक को शामिल किया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस दौरान तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों ने व्यापक स्तर पर आंदोलन शुरू कर दिया था। सांसद वरुण गांधी ने पार्टी लाइन को दरकिनार कर किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग उठाई थी।
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