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सबसे कम उम्र की बीडीसी श्वेता कमजोर वर्ग की लड़ाई लड़ेंगी

पंचायत चुनाव में इस बार ऐसे भी कई लोगों ने जनसेवा का रास्ता चुना है जो काफी पढ़े लिखे हैं। जिले की सबसे कम उम्र की बीडीसी बनी श्वेता पांडेय इनमें से एक हैं। वह रानीगंज तहसील क्षेत्र के खमपुर दुबे पट्टी से 87 मतों से बीडीसी का चुनाव जीती हैं। उनकी उम्र मात्र 22 साल है।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 12 May 2021 11:28 PM (IST)
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सबसे कम उम्र की बीडीसी श्वेता कमजोर वर्ग की लड़ाई लड़ेंगी

संसू, प्रतापगढ़ : पंचायत चुनाव में इस बार ऐसे भी कई लोगों ने जनसेवा का रास्ता चुना है, जो काफी पढ़े लिखे हैं। जिले की सबसे कम उम्र की बीडीसी बनी श्वेता पांडेय इनमें से एक हैं। वह रानीगंज तहसील क्षेत्र के खमपुर दुबे पट्टी से 87 मतों से बीडीसी का चुनाव जीती हैं। उनकी उम्र मात्र 22 साल है।

श्वेता ने राजनीति शास्त्र से एमए की डिग्री हासिल की है। श्वेता के पति मनीष पांडेय रानीगंज स्थित एक कालेज से एलएलबी कर रहे हैं। वह खुद प्रधान का चुनाव लड़ना चाहते थे। जब गांव की सीट एससी हो गई तो उन्होंने अपनी पत्नी श्वेता पांडेय को बीडीसी के चुनाव में प्रत्याशी बना कर मैदान में उतार दिया। इस चुनाव में श्वेता को 300 वोट मिले और उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी सालेहा बेगम को 213। इस प्रेकार श्वेता पांडेय पहली बार में ही जिले की सबसे कम उम्र की बीडीसी बन गईं। वह राजनीति शास्त्र में परास्नातक करने के बाद जनसेवा करने उतरी हैं। जागरण से बातचीत में श्वेता ने कहा कि शिक्षा व राजनीति एक सिक्के के दो पहलू हैं। हाईटेक होती राजनीति व विकास कार्यों में शिक्षित होना बहुत जरुरी है। नहीं तो पंचायतें विकास में पिछड़ जाएंगी। खास कर महिलाओं को शिक्षित होना बहुत जरूरी है। उनका सपना है कि खमपुर दुबेपट्टी जिले में विकास के लिए जाना जाए। वह पूरे गांव का सुनियोजित ढंग से विकास कराएंगी। हालांकि बीडीसी उनके कॅरियर का पहला पड़ाव मात्र है, राजनीति से नहीं वह वकालत के पेशे से प्रभावित हैं। कहती हैं कानून के जरिए ही कमजोर वर्ग और महिलाओं को उनका अधिकार दिलाया जा सकता है। ऐसे में उनका उद्देश्य राजनीति नहीं वकालत है। वह एलएलबी करने जा रही हैं और फिर वकालत के जरिए अपने लक्ष्य को भेदेंगी। अभी तो वह गांव में कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए चलाए जा रहे अभियान का प्रमुख हिस्सा हैं, जो उनके पति द्वारा चलाया जा रहा है।