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छठ पर्व पर सीएम योगी बोले- भागवत महापुराण सुनना कोई साधारण बात नहीं, कहा; इस बात का सौभाग्य हमारी सरकार को मिला

Chhath Pooja 2024 भाषण में विपक्षियों पर हमला बोलने वाले मुख्यमंत्री योगी भागवत कथा के मंच पर पूरी तरह से संत स्वरूप में नजर आए। उन्होंने राजनीति की बात न करते हुए केवल सनातन धर्म अध्यात्म और संस्कृति पर ही अपना संबोधन केंद्रित रखा। कहा कि अमृत फल वाला जिला प्रतापगढ़ और यहां के लोग अपनी अलग ही पहचान रखते हैं।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Updated: Thu, 07 Nov 2024 05:11 PM (IST)
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सीएम योगी ने करीब 15 मिनट तक लोगों को संबोधित किया।
जासं, प्रतापगढ़ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को प्रतापगढ़ में कहा कि भागवत महापुराण सुनना कोई साधारण बात नहीं है। यह कोई साधारण ग्रंथ भी नहीं है। इसमें ऐसा अमर तत्व है जो न केवल जीव को मोक्ष प्रदान करता है, बल्कि जीवन की उलझन को भी सुलझा कर सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।

15 मिनट तक योगी ने किया संबोधित

यहां बेलखरनाथ धाम के पास करमाही गांव में पूर्व जल शक्ति मंत्री व मौजूदा एमएलसी डा. महेंद्र सिंह के पैतृक निवास पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में शामिल होने आए मुख्यमंत्री ने करीब 15 मिनट संबोधन दिया। कहा कि शुक तीर्थ उत्तर प्रदेश में है। यहां पर कथा वाचन के बिना कोई भागवत कथा का पारंगत नहीं होता। इस पौराणिक स्थल का कायाकल्प का सौभाग्य हमारी सरकार को मिला।

अध्यात्म और संस्कृति पर ही रहा संबोधन केंद्रित 

भाषण में विपक्षियों पर हमला बोलने वाले मुख्यमंत्री योगी भागवत कथा के मंच पर पूरी तरह से संत स्वरूप में नजर आए। उन्होंने राजनीति की बात न करते हुए केवल सनातन धर्म अध्यात्म और संस्कृति पर ही अपना संबोधन केंद्रित रखा। कहा कि अमृत फल वाला जिला प्रतापगढ़ और यहां के लोग अपनी अलग ही पहचान रखते हैं। वह हेलीकाप्टर से कार्यक्रम स्थल के पास बनाए गए हेलीपैड पर उतरे व कार से कथा पंडाल में पहुंचे। कथा व्यास स्वामी राघवाचार्य महाराज का शुभाशीष लिया। डा. महेंद्र ने उनका स्वागत किया।

सजे नदी के घाट, सूर्यदेव को अर्पित हाेगा अर्घ्य

प्रतापगढ़ : डाला छठ व्रत व पूजन के क्रम में गुरुवार की शाम ढलते हुए सूर्य का पूजन किया जाएगा। इसके लिए नदी घाटों पर बड़े पैमाने पर तैयारी की गई है। इसके पहले बुधवार देर शाम खरना किया गया। व्रती महिलाओं ने परंपरा के अनुसार शाम काे गुड़ की खीर बनाकर उसको माता के प्रसाद रूप में ग्रहण किया। इसके साथ ही उनका 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया। छठ पर छठी मैया से संतान की सुख-समृद्धि मांगी जाती है।

वैसे तो यह आस्था का पर्व चार दिनों का होता है, लेकिन इसमें ढलते सूरज व भोर में उगते सूरज को जल अर्पित करना ही मुख्य होता है। इसमें सबसे पहले मंगलवार को नहाय खाय किया गया। दूसरे दिन खरना करके छठी मैया का आगमन घर व हृदय में होने की कामना की गई।

गुरुवार शाम को व्रती महिलाएं नदी में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित करेंगी। उनका पूजन करेंगी। इसके लिए सबसे बड़ा छठ मेला बेल्हा देवी घाट पर लगेगा। वहां पर दोपहर से ही महिलाएं अपनी जगह सुरक्षित करने को पहुंचने लगेंगी। उन्होंने पहले से ही वहां पूजन की वेदी बना रखी है।

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