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Dala Chhath 2022: डाला छठ पर्व निकट, प्रतापगढ़ के बेल्हा देवी धाम घाट की वेदी डूबी है व गंदगी फैली है

Dala Chhath 2022 प्रतापगढ़ में छठ पूजा समिति के महामंत्री पंकज कौशल ने बताया कि बेल्‍हा देवी घाट पर अभी पानी भरा है। वेदी डूबी है व गंदगी फैली है। व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए नगर पालिका व प्रशासन का सहयोग मांगा गया है।

By Jagran NewsEdited By: Brijesh SrivastavaUpdated: Wed, 26 Oct 2022 03:41 PM (IST)
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Dala Chhath 2022: प्रतापगढ़ के बेल्हा देवी धाम नदी घाट पर डाला छठ मनाया जाएगा। अभी यहां गंदगी फैली है।

प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। Dala Chhath 2022 आस्था का प्रतीक डाला छठ पर्व निकट है। पूजा उत्सव की तैयारी में व्रत रखने वाली महिलाएं जुट गई हैं। चार दिन के इस पर्व में आखिरी दो दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है, जो हमेशा की तरह प्रतापगढ़ में बेल्हा देवी धाम पर निभाई जाएगी। हालांकि अभी प्रशासनिक स्‍तर से डाला छठ की तैयारियां नहीं शुरू हुई है। बेल्‍हा देवी धाम के नदी घाट पर अभी पानी भरा है। वेदी डूबी है व गंदगी पसरी है।

चार दिवसीय डाला छठ पर्व 28 अक्‍टूबर को नहाय खास से शुरू होगा : डाला छठ की पर्व की परंपरा प्रतापगढ़ में भी धीरे-धीरे विस्तार ले रही है। नौकरी व व्यवसाय के लिए स्थाई व अस्थाई रूप से पहने वाले बिहार व यूपी के पूर्वांचल के जिलों के परिवार इसे धूमधाम से मनाते हैं। इस बार इसकी शुरुआत 28 अक्टूबर को नहाय-खाय से होगी। घरों में इसकी तैयारी होने लगी है। इसमें घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाएगा। इसके बाद छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन होगा। इसमें भगवान सूर्य और छठी माता की उपासना की जाती है। महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं।

डाला छठ, कब क्‍या है : कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन 29 अक्टूबर को खरना होगा। इसमें इसमें दिनभर का उपवास रखकर अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद बनाया जाता है। शाम को पूजा के लिए गुड़ से खीर मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाती हैं। 30 की शाम को ढलते सूर्य का पूजन करके उनको जलांजलि दी जाएगी, जिसे अर्घ्य कहते हैं। ऐसे ही 31 को भोर में उगते भाष्कर का पूजन बेल्हा देवी धाम में जल में खड़ी होकर महिलाएं करेंगीं।

क्‍या कहती हैं महिलाएं : व्रत रखने वाली महिलाओं सुनैना देवी, रचना यादव, संजना कुमारी, जानकी देवी, पूजा राय आदि का कहना है कि डाला में गन्ना, गुड़, तिल समेत विविध सामग्री सजाकर नदी के तट पर आया जाता है। छठ मैया से संतान के स्‍वास्‍थ्‍य, सफलता, सौभाग्य और खुशहाल जीवन के लिए निर्जला उपवास किया जाता है।

व्‍यवस्‍थाओं को दुरुस्‍त करने की मांग : छठ पूजा समिति के महामंत्री पंकज कौशल ने बताया कि बेल्‍हा देवी घाट पर अभी पानी भरा है। वेदी डूबी है व गंदगी पसरी है। व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए नगर पालिका व प्रशासन का सहयोग मांगा गया है।

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